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भक्त कवि और राज धर्म

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                  ‌                                           सरला भारद्वाज 30/5/23        भक्ति कालीन कवि तुलसीदास,तात्कालिक स्थितियां और राजधर्म विश्लेषण- साहित्य समाज का दर्पण है ऐसा हम सभी बचपन से पढ़ते कहते और सुनते आए हैं। यह उक्ति कितनी खरी उतरती है ?यह चिंतन का विषय है। दर्पण में वैसा ही दिखता है ,जैसा होता है। तो आज मुझे लगा क्यों ना भक्तिकालीन काव्य साहित्य के दर्पण में समाज का नैतिक, राजनीतिक, व्यवहारिक , वैज्ञानिक  पक्ष देखा जाए। विश्लेषण किया जाए कि आखिर भक्ति कालीन कवि कोरे भक्त ही थे, या भक्त होने के साथ-साथ एक सच्चे समाज सुधारक, लोक नायक, बेबाक वक्ता, राजनैतिक विश्लेषक भी थे। आइए सर्वप्रथम इन सभी बिंदुओं को एक ही ग्रंथ और कवि के रचना साहित्य में खोजने का प्रयास करते हैं। आइए सर्वप्रथम खोज करते हैं राम चरित मानस और तुलसी के कृतित्व से, जो भारतीय आचरण निर्माण एवं नैतिक मूल्यों का स्रोत है ।जहां ज...

नाटक-क्रान्ति तीर्थ

(पर्दे के पीछे से गीत के स्वर) मंच पर कलश लेकर कुछ लोगों का प्रवेश । (वंदे मातरम का स्वर) *-- शिव --अरे भैया  ये सब कौन हैं ?यह कलश लेकर क्या कर रहे हैं? *-- आयुषमान अग्रवाल- पता नहीं यार, किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं शायद!! *--निकुंज -- पर इधर कौन सा तीर्थ है, जहां पर यात्रा करने जा रहे हैं? *--- शिव - ओ चलो किसी से पूछते हैं! *  आयुष्मान  -हां चलो पूछते हैं हां हां चलो पूछते हैं। * आयुष्मान  -नमस्ते भैया । आप सब लोग कहां जा रहे हैं? *-- विवेक -- वंदे मातरम भाई,  हम सब लोग क्रांति तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। *--  आयुष्मान --यह कौन सा तीर्थ  है? *--- विवेक- यह वह तीर्थ है भैया, जिनकी वजह से हम आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं! *- निकुंज दिवाकर-- मतलब? प्रियम दिवाकर- आओ हम तुम्हें समझाते हैं! पूरी जानकारी देते हैं।! सब लोग बैठ जाओ !आप लोग भी बैठ जाओ भाइयों! अक्षत-- मेरे हाथ में  आपको जो कलश दिखाई दे रहा है ना, पता है उसमें क्या है? *---- निकुंज-  पवित्र नदी का जल होगा? *--- पार्थ- नहीं जल तो नहीं, पवित्र मिट्टी अवश्य है, इस कलश में...

राधे राधे का गणित -लाभ और व्यवहार

 राधे राधे! राधे राधे शब्द की महिमा निराली है। ब्रह्म वैवर्त पुराण खण्ड चार के अनुसार -रा के उच्चारण मात्र से कृष्ण हृष्ट-पुष्ट होते हैं (प्रसन्न होतें हैं) और धा के उच्चारण मात्र से भक्त के पीछे दौड़े चले आते हैं। राधे में ही कृष्ण समाहित हैं।एक राधे के उच्चारण मात्र से दोनों का स्मरण हो जाता है।राधे का अर्थ है मुक्ति प्रदायिनी।बृज में एक उक्ति है--"राधे कहो राधे कहावो, दोनों को फल आप ही पावो "! राधे राधे कहने से राग द्वेष,छल कपट ,का कूड़ा मन से निकल जाता हैं। मुक्त होता है प्राणी विकारों से। अभिवादन का व्यवहार पक्ष - अभिवादन में हमने राधे राधे कहा फिर सामने वाले ने स्वीकारोक्ति में राधे राधे कहा पुनः हमने स्वीकारोक्ति की, इस प्रकार तीनों भुवनों की एक एक माला पूर्ण हुई।यदि सामने वाला पवित्र मन से स्वीकारोक्ति नहीं करता , ईर्ष्या या दंभ से भर स्वीकारोक्ति कहे, तब भी लाभ प्रथम व्यक्ति को ही जायेगा। अतः ऐसी स्थिति में ऐसे अवगुणी ं व्यक्ति के पास ठहरिए नहीं बल्कि मन ही मन पुनः राधे स्मरण कर आगे बढ़ जाना चाहिए।राधे नाम की सकारात्मक ऊर्जा की सुरसरि निरंतर बहती रहे,रुके नहीं । व्या...
 *विद्यालय का निर्धारित पाठ्यक्रम* - *संगीत एवं वंदना विभाग* सरस्वती विद्या मंदिर कमला नगर आगरा। *1-सम्पूर्ण वंदना 7वे संस्करण अनुसार*(6,7,8,की प्रत्येक कक्षा से एक टीम) 2.*वार्षिक गीत*(सभी कक्षाओं के लिए) 3.*भजन*-शिव,राम, कृष्ण, हनुमान,देवी,(सभी पारंपरिक एवं मौलिक) तथा कबीर मीरा ,तुलसी, सूरदास की एक एक रचना(6-8के छात्र) 4-*लोकगीत*- बृज के रसिया,भजन,देवीछन,होली, मल्हार, लांगुरिया।( मर्यादित शिक्षापरक संस्कृति का संरक्षण संवर्धन हेतु)(6-8) 6.*देशगीत* -2संघ गीत,2फिल्मी गीत, दो अन्य रचनाएं।7.*निर्धारित तालें* -कहरवा,खेमटा,दीपचंदी ,रूपक,भजन का ठेका, 8.*निर्धारित राग*- भैरव,भैरवी, यमन कल्याण, सारंग। प्राचार्य -    वंदना विभाग प्रमुख-    1- 2-                      ्

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                     प्रथम मासिक परीक्षा - कक्षा -नवम   समय 2घंटा                                                    ‌पूर्णांक -40                                    ‌वि‌षय  हिंदी- सभी प्रश्न अनिवार्य है सुस्पष्ट लेख में उचित उत्तर लिखिए। प्रश्न 1. दो बैलों की कथा नामक पाठ में जानवरों में सबसे अधिक बुद्धिहीन किसे माना गया है: – 1. गाय  2. बैल 3. लोमड़ी 4. गधा प्रश्न 2. इस पाठ के आधार पर दो बैल है उनके नाम हैं:- 1.सोना और चांदी  2.हीरा और मोती  3..चुन्नू-मुन्नू 4.इनमें से कोई नहीं प्रश्न 3. ‘दो बैलों की कथा’ हमें सीख दे रही है:-  1.शत्रु को शत्रु समझना उचित है2.मालिक की सेवा करते रहना 3.आजादी के लिए स्वयं लड़ना .4.दूसरोंके अत्याचार सहते रहना! प्रश्न 4. पाठ के अनुसार गधे के गुण हैं:- ...

सुंदरकांड प्रश्न मंच, हनुमान जयंती

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6अप्रेल 2023 हनुमान जयंती   *सुंदरकांड प्रश्नोत्तरी,  1*तुलसीदास ने सुंदरकांड के मंगलाचरण में प्रथम श्लोक में वंदना की है  1.शिव की 2.राम की  3.हनुमान जी की4-गुरु जी की। 2*तुलसीदास ने ज्ञानियों में अग्रणी बताया है - 1.शिव को 2.स्वयं को  3.हनुमान को4-श्री राम को। 3*किसके वचन सुनकर हनुमानजी का आत्मविश्वास और हर्ष बढ़ गया-  1.श्रीराम के  2.जामवंत के  3.सुग्रीव के4. अंगद के 4*सिंधु तीर का अर्थ है-  1-बाण2- किनारा 3. समुद्र तट4.राम का बाण 5*भूधर का अर्थ है- 1. पर्वत 2.धरती को धारण करने वाला  3.राजा4. भूमि  6*हनुमानज की थकान मिटाने के लिए सागर के बीच उपस्थित हुआ - 1.सुमेरु2.महेन्द्र  3.मैनाक 4.कैलाश  7*हनुमान जी ने किससे कहा राम काज कीने बिना मोहि कहां विश्राम - 1.सुरसा से 2.लंकिनी से  3.मैनाक से4.विभीषण से  8*सुरसा थी राक्षसी - 1.साध्वी 2.सर्पों की माता  3.सूर्य देव की माता 4-सती माता9 9*यह बात किसने किससे कहीं -"अहा आज देवताओं ने मेरे पेट प्रबंध के लिए भरपूर आहार दिया है "_ 1.लंकिनी ने 2.सुरसा ने 3.संपाती न...

सरस्वती विद्या मंदिर हिंदी टीजीटी प्रश्न पत्र

हिंदी टीजीटी प्रश्न पत्र    पूर्णांक -50 (प्रश्न संख्या 1 से 40 1 -1अंक ,तथा41 से 42 पांच- पांच अंक।) 1.. ‘वीणापाणि’ में समास है- कर्मधारय तत्पुरुष बहुव्रीहि द्विगु Ans (3): ‘वीणापाणि’ में बहुव्रीहि समास है। जिस समास में किसी अन्य पद की प्रधानता हो, वह बहुव्रीहि समास कहलाता है; जैसे- वीणापाणि = वीणा है जिसके पाणि (हाथ) में अर्थात सरस्वती। 2. ‘नम:’ शब्द के योग में ‘विभक्ति’ होती है- प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी Ans (4): ‘नम:’ शब्द के योग में चतुर्थी‘विभक्ति’ होती है। 3.जिस समस्त पद में पूर्व या उत्तर पद की बजाय किसी अन्य अर्थ की प्रधानता होती है, उसमें होता है- बहुव्रीहि समास तत्पुरुष समास अव्ययीभाव समास द्वंद्व समास Ans (1): जिस समस्त पद में पूर्व या उत्तर पद की बजाय किसी अन्य अर्थ की प्रधानता होती है, उसमें बहुव्रीहि समास होता है; जैसे- अन्यमनस्क = अन्य में है मन जिसका वह। 4. ‘नदी कोश भर टेढ़ी है’- का संस्कृत अनुवाद होगा? नदी क्रोशेण कुटिला। नदी क्रोशाय कुटिला। नदी क्रोशं कुटिला। नदी क्रोशात्‌ कुटिला। Ans (3): ‘नदी कोश भर टेढ़ी है’ का संस्कृत अनुवाद- ‘नदी क्रोशं कुटिला।’ हो...