बातें तो होती हैं पर खुद ही खुद से
फ़साना आज फोन मे से यूँ ही एक नंबर चेक कर रहे थे हम। तभी तुम्हारे नाम राशी पर मेरी उँगलियाँ रुक सी गयी.... दिल की धड़कनों के साथ तुम्हारा नंबर आज भी save है मेरी मेमोरी में। कभी कभी देख कर दिल को सुकून से भरने देते हैं.... तुम्हारी तस्वीरों को तो delete कर दिया था मेंने कमजोर कर रही थी मुझे , जकड़ रही थी तुम्हारी यादों मे...... दर्द बढ़ता ही जाता था तुम्हे तस्वीरों मे देखकर.... तुम्हारा पास ना होना बहुत कचोडता है मुझे...... कल ही मेंने तुम्हारा फ़ेसबुक टाइमलाइन चेक किया था... खुद से बचा कर तुम्हारे सारे कॉमेंट पढ़े थे मेंने... ना जाने कितनों ने तारीफ मे जाने क्या क्या लिख रखा था.... गुरूर सा हो रहा था अपनी पसंद पर और एक जलन सी भी हो रही थी... मगर तसस्ली हुई तुम आज भी किसी को भाव नही देते हो ठीक पहले की तरह..... शायद याद हो तुम्हे आज से 12 साल पहले हम रात के 11 बजे छत पर ठिठुरते हुऐ मेसेज करते थे तुम्हे ,कभी दायाँ हाथ पॉकेट मे कभी बायाँ हाथ..... बड़ी ठंड थी उन दिनो मे ठीक से टाइप भी नही कर पा रहा था हाथ...... तुम घर मे बेठे मुझे लेट रिप्लाइ दिया करते थे..... तुम्हारे सो जान...