दिल ही तो है
खुशी देख थोड़ा चहक गया, प्यार में थोड़ा बहक गया, तो मैं क्या करूं?,दिल ही तो है। माना हिमालय था, हिम बन पिघल गया, सागर से मिलने को गंगा बन मचल गया, नदी बन बह गया ,तो मैं क्या करूं? दिल ही तो है। मिले हज़ारों दीवाने, बने रहे जो परबाने। तेरे सिवा कोई और न भाया,तो मैं क्या करूं? एक आये एक जाये ,सराय तो नहीं, दिल ही तो है। मोर भी मिला और चातक भी, हंस भी मिला और जातक भी, गधा ही मन को भाया तो मैं क्या करूं? दिल ही तो है। सरला भारद्वाज (पथिक) 24/3/21/4:00/pm