वैलेंटाइन डे ही क्यों?हर दिन मेरा प्रेम पर्व है।
खास दिवस के लिए कभी मोहताज नहीं, करूं प्यार की बात छुपा कोई राज नहीं। है अनोखा प्यार का रूप स्वरूप, चिर निराकार, ब्रह्म अनूप अभिव्यक्ति का नहीं, अनुभूति का नाम है प्यार , अव्यक्त ईश्वरीय साक्षात्कार का एहसास है प्यार । आवश्यकता ही नहीं, जिसे किसी उद्दीपन की , एकांत प्रेमी की योग साधना है प्यार। त्रिकुटी में नहीं लगाना पड़ता है ध्यान, जीवन की हर क्रिया में है विद्यमान। योग हो, वियोग में हो ,या हो संयोग , जीवन की औषधि, जीवन का रोग , मुक्ति में भुक्ति , त्याग में प्राप्ति, का नाम है ,प्यार। हार में जीत का, जीत में हार का, नाम है प्यार । ढाई अक्षर सरल सा, नीलकंठ के गरल सा, विष में अमृत सा ,ईश्वर का उपहार है, प्यार । आंसुओं की प्रलय सा, सांसो में विलय सा, वाणी की वीणा सा, ध्रुपद और धमार है ,प्यार। प्राणों के गंधमागध में प्रसरित ,त्रिविध बयार है, प्यार । हरि की अद्भुत लीला सा ,अपरंपार है ,प्यार । मैं प्रेमी हूं ,मुझे गर्व है ,हर दिन मेरा प्रेम पर्व है। पश्चिम के पुजारी तो मा...