शांत ठहरे जल में देख रही थी बीता कल, बना रही थी सांझी रंगोली में तुम्हारी ही मन मोहक छवि बल और छल। तुम आए और पत्थर मार कर चले गये। न रहा शांत जल,और न संस्मृत बीता कल। ऐसा करने से मिलता क्या है तुम्हें,? क्या स्थाई एक रस पीड़ा का भी नहीं है अधिकार? प्रतिपल क्यों देते हो नयी पीड़ा का उपहार?
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मंच संचालन होली
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1.दीप प्रज्वलन -विशाल सभागार में हमारे मध्य अतिथि गण पधार चुके हैं , अतिथि गणों से आग्रह है देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का श्रीगणेश करें। दीप मंत्र-दीप ज्योति परम ज्योति दीप ज्योति जनार्दन ,। दीपो हरतु मे पापं, दीप ज्योति नमोस्तुते । शुभम करोतु कल्याणम ,आरोग्यम सुख संपदां,। द्वेष बुद्धि विनाशाय, आत्म ज्योति नमोस्तुते ,। आत्मज्योति प्रदीप्ताय, ब्रह्मा ज्योति नमोस्तुते । ब्रह्मा ज्योति प्रदीप्ताय , गुरु ज्योति नमोस्तुते। अतिथि महानुभावों से निवेदन के वह अपना स्थान ग्रहण करने की कृपा करें। 2.अतिथि स्वागत एवं परिचय ---- आज दिनांक 2 मार्च 2023 फागुन शुक्ल पक्ष 10वीं के शुभ दिन पर हम सभी उपस्थित हुए हैं, होली मिलन समारोह हेतु। सभागार में उपस्थित सभी बंधु एवं भगिनीयों का स्वागत एवं अभिनंदन । गुजिया की बहार लिए, रंगों की फुहार लिए, और अपनो का प्यार लिए , फागुन आया द्वार, शुभ हो सभी को होली का त्योहार, गिले शिकवे भूलकर,खोलो दिल के द्वार। ढप बजाते झूमते गायें चलो धमार, हंसगुल्लों का ले हुर्राटा पिचकारी की धार शुभ हो सभी को होली का त्यौहा...
बड़े न होवै गुन बिना (बात 2017 की है)
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रहीम की ये पंक्तियां बेसाख्ता याद आ गयीं, 3 जीवन का कितना अनुभव रहा होगा कवि को कि हर युग में सटीक बैठती है ये पंक्तियां, बड़े कहलाने वाले अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाले लोग इर्द गिर्द मिल ही जायेंगे आपको। 4 5 बड़े न हूजै गुणन बिनु, 6 7 बिरदु बढ़ाई पाय। 8 9 कहत धतूरौं सौं कनक , 10 11 गहनों गढौ न जाय। 12 13 बात सात साल पहले की है स्वयं को विद्यालय और विद्यार्थियों के लिए होम कर देने का भाव भी किसी की ईर्ष्या का विषय हो सकता है ये नया अनुभव उसी वर्ष हुआ। वाकया था विद्यालय वार्षिक उत्सव का । भव्य प्रोग्राम था । सांस्कृतिक श्रंखला में पर्यावरण संरक्षण पर ईश्वर कृपा से एक महीने की नींद खोकर रात रात भर जागकर एक स्क्रिप्ट तैयार हुई,शरीर की अनदेखी करने पर बाद में तीन महीने का उपचार भी कराना पड़ा। खैर, सरस्वती कृपा से स्क्रिप्ट ऐसी बन पड़ी थी कि स्टूडियों रिकार्डिंग से लेकर राष्ट्रीय स्तर के अधिकारियों ने भूरि भूरि प्रशंसा की। मैं संकोच से गढ़ी जा रही थी, क्यों कि रिंग मास्टर बेशक मैं थी परन्तु सर्कस में पूरी विद्यालय टीम जुटी थी। मुझे अंदाजा नहीं था कि लोगों को इतनी पसं...
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक ,हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक,स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं।। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ध्वज संक्षेपाक्षर(short name RSS ) -आर० एस० एस०। स्थापना- 27 सितम्बर 1925; 97 वर्ष पहले विजयादशमी 1925 को स्थापना हुई 2025को स्वर्ण जयंती मनाई जाएगी। संस्थापक डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार । यह संगठन एक प्रकार स्वयंसेवी, निःस्वार्थ राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत अर्धसैनिक, संगठन है।जो हिन्दू राष्ट्र की भावना को समर्पित है। मुख्यालय नागपुर महाराष्ट्र में है । सेवित क्षेत्र क्षेत्र भारत विधि समूह चर्चा, बैठकों और अभ्यास के माध्यम से शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण सदस्यता संख्या- 50-60लाख। 56876 शाखाएँ (2016) आधिकारिक भाषा संस्कृत, हिन्दी, महासचिव-सुरेश 'भैयाजी' जोशी।...
पहेली कविता, उत्तर खोजें
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बहुत कुछ कह कर भी मौन हूं , पहचाना मुझे , मैं कौन हूं ? मेरे किस पर्यायवाची से राम को भी जाना जाता है? मुझसे जन्मी है लक्ष्मी , किन नामों से जाना जाता है? मेरे नाम से लक्ष्मी का नाम तो बताओ? किस देश का गौरवान्वित प्रतीक हूं मैं, जरा यह भी तो बतलाओ ? देश के गौरवान्वित प्रतीकों में क्यों है मेरा स्थान? मेरे किस गुण से दिया गया है ये मान? जानो बूझो समझो और और बतलाओ! भारत के सपूत हो तुम, आचरण से दिखलाओ! जल में "ज "जोड़कर मेरे नाम के पर्याय बनाओ। शब्दो की तिकड़म से ज्ञानी बन जाओ। राजीव और इंदीवर का शाब्दिक अर्थ भी बतलाओ, सभी उत्तर खोजकर, पहेली विजेता बन जाओ। सरला भारद्वाज 22/12/2022 10:30am नोट -सभी प्रश्नो के उत्तर तलाशें, क्यों कि हर पंक्ति में पहेली है
किसी के भी पैंतीस टुकड़े हों,अपन का क्या जाता है
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किसी के भी पैंतीस टुकड़े हों,या तीन सौ, अपन का क्या जाता है? अपन का तो भैया , भाईचारे का नाता है। चंद टुकड़ों के लिए तो सबका जमीर भी बिक जाता है, राजा हरिश्चंद्र तो काशी में ठोकर ही खाता है, श्रद्धा के टुकड़े हों या भक्ति के , फायदे के लिए तो अब्दुल ही भाता है। कायदे की सनक छोड़, फायदे का चश्मा लगाकर तो देखो, अब्दुल के सुर में बांग मिलाकर तो देखो, पाप और पुण्य का भेद सब मिट जाता है, देश धर्म का ओढ़ा चोला ,खुद ही उतर जाता है। खैर दूरदृष्टाओं को तो अब्दुल में खोट ही नज़र आता है, अक्खड़ और फक्कड़ों को व्यापार कहां आता है। दूर दृष्टां को तो निकट दृष्टि दोष है, और कहते फिरते हैं कि मेरे अब्दुल में खोट है, कितने फर्राटे से वह कैंची चलाता है, शूरवीर है वह धड़ल्ले से मंदिर में चला आता है, भविष्य की किसे फिकर, हमें तो बस वर्तमान ही नज़र आता है।
मैं क्यों लिखता हूं
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पाठ्यपुस्तक NCERT कक्षा कक्षा 10 विषय हिंदी कृतिका पाठ 5 कृतिका कठिन शब्द उन्मेष – प्रकार निमित्त – कारण प्रसूत – उत्पन्न विवशता – मजबूरी कृतिकार – रचनाकार ज्वलंत – जलता हुआ कदाचित – शायद बखानना – बढ़-चढ़ कर बताना परवर्त्ती – बाद का तत्काल – तुरंत कसर – कमी भोक्ता – अनुभव करने वाला आहत – पीड़ित विद्रोह – विरोध बौद्धिक – बुद्धि से संबंधित समूची – पूरी मैं क्यों लिखता हूं? पाठ के प्रश्न और उत्तर प्रश्न 1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों? उत्तर: लेखक की मान्यता है कि सच्चा लेखन भीतरी विवशता से पैदा होता है। यह विवशता मन के अंदर से उपजी अनुभूति से जागती है, बाहर की घटनाओं को देखकर नहीं जागती। जब तक कवि का हृदय किसी अनुभव के कारण पूरी तरह संवेदित नहीं होता और उसमें अभिव्यक्त होने की पीड़ा नहीं अकुलाती, तब तक वह कुछ लिख नहीं पाता। प्रश्न 2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया? उत्तर- लेखक हिरोशिमा के बम विस्फोट के परिणामों को अखबारों में पढ़ चुका था। जापान जाकर उसने हिरोशिमा के अस्पतालों...