मंच संचालन होली
1.दीप प्रज्वलन -विशाल सभागार में हमारे मध्य अतिथि गण पधार चुके हैं , अतिथि गणों से आग्रह है देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का श्रीगणेश करें।
दीप मंत्र-दीप ज्योति परम ज्योति दीप ज्योति जनार्दन ,।
दीपो हरतु मे पापं, दीप ज्योति नमोस्तुते ।
शुभम करोतु कल्याणम ,आरोग्यम सुख संपदां,।
द्वेष बुद्धि विनाशाय, आत्म ज्योति नमोस्तुते ,।
आत्मज्योति प्रदीप्ताय, ब्रह्मा ज्योति नमोस्तुते ।
ब्रह्मा ज्योति प्रदीप्ताय , गुरु ज्योति नमोस्तुते।
अतिथि महानुभावों से निवेदन के वह अपना स्थान ग्रहण करने की कृपा करें।
2.अतिथि स्वागत एवं परिचय ----
आज दिनांक 2 मार्च 2023 फागुन शुक्ल पक्ष 10वीं के शुभ दिन पर हम सभी उपस्थित हुए हैं, होली मिलन समारोह हेतु। सभागार में उपस्थित सभी बंधु एवं भगिनीयों का स्वागत एवं अभिनंदन ।
गुजिया की बहार लिए,
रंगों की फुहार लिए,
और अपनो का प्यार लिए ,
फागुन आया द्वार,
शुभ हो सभी को होली का त्योहार,
गिले शिकवे भूलकर,खोलो दिल के द्वार।
ढप बजाते झूमते गायें चलो धमार,
हंसगुल्लों का ले हुर्राटा पिचकारी की धार
शुभ हो सभी को होली का त्यौहार।
3*अपने इन्हीं शब्दों के साथ होली के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक पक्ष पर प्रकाश डालने हेतु मैं आमंत्रित करती हूं आचार्य नारायण चतुर्वेदी जी को।
4ढप बजाता मास फागुन गया है ।
रसिक जन के रसिक मन को भा गया है।
बस उठे बृज की गलियों में झांझ ढप मृदंग।
आओ हम सब झूमें नाचे गायें हिलमिल संग।
लगाएं एक दूजे को स्नेह का रंग।
स्वस्थ होली कैसे मनाएं सीखें और सिखाएं ढंग।
बृज की होली गीतों की मंचीय प्रस्तुति।
5- अध्यक्षीय भाषण एवं उद्बोधन।
6.कार्यक्रम समापन एवं कल्याण मंत्र -
सर्वे भवंतु सुखिनः ,सर्वे संतु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्।
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