class 7th 8th and 9thसमास अर्थ परिभाषा प्रकार और उदाहरण ,पहचान
समास का अर्थ और परिभाषा
भाषा में तीन प्रकार से शब्दों का निर्माण किया जाता है उपसर्गों की द्वारा प्रत्यय द्वारा और समास के द्वारा, उपसर्ग और प्रत्यय के विषय में हम पहले के बिंदुओं में पढ़ चुके हैं उन्हीं बिंदुओं में पढ़ चुके हैं इस अध्याय में हम तीसरी विधि समाास का अध्ययन करेंगे समास का अर्थ है 2 शब्दों को पास पास लाकर नवीन शब्द निर्माण की प्रक्रिया अर्थात 2 शब्दों को पास पास लाकर उन्हें इस प्रकार जोड़ दिया जाए कि वे दोनों जोड़कर एक नए शब्द का निर्माण करें ।एक शब्द का निर्माण करें ।बोलने में भी कम समय लगे और लिखने में भी कम जगह लगे ।इस प्रक्रिया को समाज कहा जाता है इस प्रक्रिया में नए शब्द का निर्माण तो होता है परंतु उसके अर्थ में कोई अंतर नहीं आता अतः समाज को यदि हम परिभाषित करना चाहे तो समाज की परिभाषा होगी
**दो शब्दों का परस्पर मिलन होने के बाद निर्मित नवीन लघु शब्द निर्माण की प्रक्रिया समास है। ,और वह निर्मित नवीन शब्द ,समस्त पद कहलाता है।
**भिन्न भिन्न अर्थ रखने वाले 2 शब्दों या 2 पदों अर्थात पूर्व पद और उत्तर पद के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है। वह प्रक्रिया जिसके द्वारा समस्त पद बनता है, समाज प्रक्रिया कही जाती है।
1*पर्ण और कुटी
पूर्व पद *पर्ण*और उत्तर पद *कुटी* इन दोनों शब्दों को मिलाकर समास करने पर समस्त पद बना - पर्णकुटी
*चार भुजाओं वाला
इसको समास करेंगे तो समस्त पद बनेगा- चतुर्भुज।
उपरोक्त दोनों उदाहरण में स्पष्ट हो रहा है दो या दो से अधिक शब्दों को पास पास लाकर एक नवीन शब्द बना दिया गया है ,जो देखने में अत्यंत लघु प्रतीत हो रहा है ,परंतु इसका अर्थ वहीं रहा ,उसमें कोई अंतर नहीं आया ।
निम्नलिखित उदाहरण देखें
पूर्व पद उत्तर पद समस्त पद
*
देश + निकाला = देश निकाला
नीली + गाय = नीलगाय
राष्ट्र + भक्त = राष्ट्रभक्त
दश + आनन = दशानन
नव + रात्रि = नवरात्रि
आ। + मरण = आमरण
कुल + श्रेष्ठ = कुलश्रेष्ठ
समस्त पद और समास विग्रह का अर्थ
दो पदों के आपस मिश्रित रूप को समस्त पद कहते हैं जबकि उस समस्त पद का विग्रह करना उसको अलग अलग करके दो शब्दों में बांटना विग्रह कहलाता है।
जैसे- अगर कहा जाए चौराहा ।तो यह समस्त पद है ,और चौराहा समस्त पद इसका विग्रह होगा चार राहों का समूह।
समास के प्रकार-.समास से प्रकार के होते हैं-
1.तत्पुरुष समास
2..कर्मधारय समास
3.बहुव्रीहि समास
4.द्विगु समास
5.द्वंद्व समास
6.अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
इस समस्त पद में पूर्व पद गौण होता है तथा उत्तर पद प्रधान होता है।
इस समास की मुख्य पहचान है इस के समस्त पदों में कारक और विभक्ति यों के चिन्ह छुपे रहते हैं ।जो विग्रह करने पर प्रकट हो जाते
हैं।
जैसे
कर्म कारक के चिन्ह को का प्रकट होना
जेबकतरा जेब को कतरने वाला
विदेशगत विदेशको जाने वाला /गया हुआ
ग्रामगत ग्राम को गया
परलोक गमन परलोक को गमन
इन समस्त पदों में विग्रह करने पर कर्म कारक का चिन्ह *को* प्रकट हुआ अतः यहां पर कर्म तत्पुरु है।
करण तत्पुरुष के उदाहरण के से का प्रयोग या प्रकटीकरण
हस्तलिखित हाथ से लिखित
प्रेमाकुल प्रेम से आकुल ।
कष्ट साध्य कष्ट से साधय
रेखांंकित रेखा से अंकित
भुखमरा भूख से मरा
* गुणयुक्त गुणों से युक्त
हस्तलिखित हाथ से लिखित
बिरहाकुल बिरहा से आकुल
रोगमुक्त रोग से मुक्त
तुलसीकृत तुलसी के द्वारा या तुलसी से कृत
शोकाकुल शौक से अकुल
भयग्रस्त भय से ग्रस्त
मनचाहा । मन से चाहा
बाढ़पीड़ित बाढ़ से पीड़ित
संप्रदान तत्पुरुष के उदाहरण ,*के लिए *
आराम कुर्सी आराम के लिए कुर्सी
मार्गव्यय मार्ग के लिए व्यय
भोजनालय भोजन के लिए आलय
रसोईघर रसोई के लिए घर
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
यज्ञशाला यज्ञ के लिए शाला
मालगोदाम माल के लिए गोदाम
आराम कुर्सी । आराम के लिए कुर्सी
भोजनपात्र भोजन के लिए पात्र
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
अपादान तत्पुरुष के उदाहरण से अलग होने के अर्थ में प्रयोग
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
मार्ग भ्रष्ट मार्ग से भ्रष्ट
धर्म भ्रष्ट धर्म से भ्रष्ट
पदच्युत पद से हटाया हुआ
देश निकाला देश से निकाला हुआ
कार्यमुक्त कार्य से मुक्त
विद्याहीन विद्या से हीन
नेत्रहीन नेत्र से हीन
धनहीन धन से हीन
ऋण मुक्त ऋण से मुक्त
संबंध तत्पुरुष के उदाहरण काकी के चिन्ह का प्रयोग
राजकुमार राजा का कुमार
राजपुत्र राजा का पुत्र
जीवनसाथी जीवन का साथी
प्राणनाथ प्राणों का नाथ
मृत्युदंड मृत्यु का दंड
सिर दर्द सिर का दर्द
राष्ट्रपति राष्ट्र का पति
घुड़दौड़ घोड़े की दौड़
मातृभक्ति माता की भक्ति
गृहस्वामी घर का स्वामी
ग्राम पंचाय ग्राम की पंचायत
दिनचर्या दिन की चर्या
सेनानायक सेना का नायक
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण में और पर का प्रयोग
रसगुल्ला रस में डूबा गुल्ला
दही वड़ा दही में डूबा बड़ा
परापरश्रित दूसरों पर आश्रित
परोपकार दूसरों पर उपकार
घुड़सवार घोड़े पर सवार
शरणागत शरण में आगत
पुरुषोत्तम पुरुषों में उत्तम
लोकप्रिय लोक में प्रिय
आत्मविश्वास आत्मा पर विश्वास
दानवीर दान में भी
आनंद मग्न । आनंद में मग्न
ध्यान मग्न । ध्यान में मग्न
युधिष्ठिर युद्ध में स्थिर
देशाटन देश में अटन
गृहप्रवेश ग्रह में प्रवेश
रेलगाड़ी रेल पर चलने वाली गाड़ी
रसमग्न रस में मग्न
आपबीती अपने पर बीती
कर्मधारय समास
कर्मधारय समास में प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष्य होता है यह द्वितीय पद प्रधान समास है।
जैसे
नीलकमल नीला है जो कमल
नीलगाय नीली है जो गाय
नीलांबर नीला है जो अंबर या वस्त्र
पीतांबर पीला है जो वस्त्र या अंबर
मुखारविंद मुख है अरविंद के समान या कमल के समान
विशालकाय विशाल है जो काया
महात्मा महान है जो आत्मा
देवात्मा देवताओं जैसी है जो आत्मा
पर नारी पराई है जो नारी
उत्तम पुरुष उत्तम है जो पुरुष
काली मिर्च काली है जो मिर्च
का पुरुष कायर है जो पुरुष
प्रधानमंत्री प्रधान है जो मंत्री
महर्षि महान है जो ऋषि
बहुव्रीहि समास
इस समाज में तृतीय पद प्रधान होता है। अर्थात ना तो इसका प्रथम पद प्रधान होता है, और ना इस का द्वितीय पद प्रधान होता है। विग्रह करने पर तीसरा अर्थ निकलता है। विग्रह करने पर यदि प्रश्न किया जाए किसका या कैसा तो तीसरा अर्थ निकलता है। अतः बहुव्रीहि समास तृतीय पद प्रधान होता है या अन्य पद प्रधान होता है।
उदाहरण
दशानन । दस हैं आनन जिसके , अर्थात रावण
लंबोदर लंबा है उधर जिसका अर्थात गणेश
वीणावादिनी वीणा बनाने वाली सरस्वती
मुरलीधर मुरली धारण करने वाले अर्थात कृष्णा
नीलकंठ नीला है कंठ जिनका अर्थात शिव या एक पक्षी
सिंह वाहिनी शेर के वाहन पर सवार होने वाली अर्थात दुर्गा
कमलासना कमल के आसन वाली अर्थात लक्ष्मी
चतुरानन -चार मुखों अर्थात ब्रह्मा जी
गणपति गणों के स्वामी गणेश
अवध पति अर्थात अवध के स्वामी राम
चंद्रमौली चंद्रमा है जिनका मुकुट । अर्थात शिव
द्विगु समास
समास का प्रथम पद संख्यावाची और समूहवाची होता है तथा विशेषण और विशेष्य युक्त होता है
जैसे चौराहा चार राहों का समूह अर्थात यहां चार संख्या समूह के साथ आ रही है ।
अतः यहां पर द्विगु समास है।
अन्य उदाहरण
समस्त पद। समास विग्रह
चारपाई चार पायों का समूह
पंचवटी पांच वटवृक्ष का समूह
तिराहा । तीन राहों का समूह
नवरात्रि नौ रातों का समूह
सप्ताह । 7 दिनों का समूह
पखवाड़ा । 15 दिनों का समूह
दशक 10 वर्षों का समूह
त्रिलोक । तीन लोकों का समूह
चतुर्वेद चार वेदों का समूह
सप्तशती 700 श्लोकों का समूह
नवरत्न नौ रत्नों का समूह
पंच मेवा । पांच मेवाओं का समूह
पंचामृत। पांच अमृत ओं का समूह
त्रिवेणी 3 नदियों का समूह
अवध पति अर्थात अवध के स्वामी राम
चंद्रमौली चंद्रमा है जिनका मुकुट । अर्थात शिव
द्विगु समास
समास का प्रथम पद संख्यावाची और समूहवाची होता है तथा विशेषण और विशेष्य युक्त होता है
जैसे चौराहा चार राहों का समूह अर्थात यहां चार संख्या समूह के साथ आ रही है ।
अतः यहां पर द्विगु समास है।
अन्य उदाहरण
समस्त पद। समास विग्रह
चारपाई चार पायों का समूह
पंचवटी पांच वटवृक्ष का समूह
तिराहा । तीन राहों का समूह
नवरात्रि नौ रातों का समूह
सप्ताह । 7 दिनों का समूह
पखवाड़ा । 15 दिनों का समूह
दशक 10 वर्षों का समूह
त्रिलोक । तीन लोकों का समूह
चतुर्वेद चार वेदों का समूह
सप्तशती 700 श्लोकों का समूह
नवरत्न नौ रत्नों का समूह
पंच मेवा । पांच मेवाओं का समूह
पंचामृत। पांच अमृत ओं का समूह
त्रिवेणी 3 नदियों का समूह
द्वंद्व समास
द्वंद समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इसकी सरल सी पहचान है कि इस के समस्त पद एक दूसरे के विपरीतार्थक होते हैं। विलोम शब्द होते हैं ।विग्रह करने पर बीच में और जुड़ जाता है।
जैसे
माता पिता -इसका विग्रह - होगा माता और पिता।
द्वंद समास के उदाहरण
समस्त पद । समास विग्रह
यश -अपयश यशऔर अपयश
पाप -पुण्य पाप और पुण्य
धर्म -अधर्म धर्म और अधर्म
आकाश -पाताल आकाश और पाताल
नवीन- प्राचीन । नवीन और प्राचीन
ऊपर -नीचे । ऊपर और नीचे
देश-विदेश । देश और विदेश
आय -व्यय आय और व्यय
लाभ -हानि लाभ और हानि
दाल -चावल । दाल और चावल
किताब -कापी किताब और कापी
काम -धंधा काम और धंधा।
अव्ययीभाव समास
इस समास की मुख्य पहचान है इसका प्रथम पद अव्यय होता है। समस्त पदों में अधिकतर समस्त पदों का प्रथम पद उपसर्ग होता है
उदाहरण
समस्त पद अव्यय विग्रह
आजीवन आ जीवन भर
यथोचित यथा शक्ति के अनुसार
भरपूर भर पूरा भरा हुआ
प्रतिदिन । प्रति हर दिन
हर घड़ी हर घड़़ी, घड़ी
प्रत्येक प्रति एक हर, एक
प्रत्यक्ष प्र आंखों के सामने
अनुरूप अनु रूप के अनुसार
बेमिसाल बे जिसकी मिसाल न हो
वे मौके बे बिना मौके के
आमरण । मरने तक
हर घड़ी घड़ी घड़ी
बेखटके बे बिना खटके के
बेखटके बे बिना खटके के
Krishna Shah sisodiya
ReplyDeleteKrishna Shah sisodiya
ReplyDeleteकृष्णा सिसोदिया आपने अपना नाम लिखा है कमेंट में मैं समझ नहीं पा रही हूं आपको टॉपिक कैसा लगा
ReplyDeleteMam bahut acha
DeleteMam thanks for nice information
DeleteMam thanks for this nice information
DeleteFrom
Divyansh Bansal
Mai thanks
DeleteThank you so much mam for this
ReplyDeleteMam it is interesting
ReplyDeleteMam my name is Ankit Jadoun
ReplyDeleteThanku mam
ReplyDeleteMam your voice is so sweet
ReplyDeleteMamm I am Devansh jain from class 8 d in Svm mam ye bahut bada h pura copy par note karna h
ReplyDeleteMam your teaching is best bahut acha explain karti hai ap
ReplyDeleteMam thanks for this work
ReplyDeleteakshat sisodiya 7E
ReplyDeleteMam your teaching is best bahut acha explain karti hai ap
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