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हिंदी द्वितीय मासिक परीक्षा 9th

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  द्वितीय मासिक परीक्षा सत्र 2021-22पाठ्यक्रम  कक्षा - नवम      क्षितिज (गद्य)               1-ल्हासा की ओर                2-दो बैलों की कथा  पद्य      1- वाख               2- साखी  कृतिका        1- मेरे संग की औरतें  व्याकरण            1-अलंकार           2-अर्थ के आधार पर वाक्य भेद दिनांक- 18/8/21    प्रश्न पत्र विशेष- यह प्रश्न पत्र 50 अंक का है। जिसमें 30 अंक  विस्तृत उत्तरीय और 10अंक लघु उत्तरीय तथा 10अंक बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ( Mcq) प्रश्न निर्माण के  है ,ये Mcq  आप को दिए गये गद्यांश और पद्यांश  से बनाने हैं।। सभी प्रश्न अनिवार्य है। सभी प्रश्नों के उत्तर क्रम से ही लिखें।                   ‌‌ खण्ड  (क)  विस्तृत उत्तरीय-प्रश्न  1-10तक-30अंक प्रश्न...

औरत या ढोंग

  औरत ने जनम दिया मर्दों को (साधना -1958) Aurat ne janam diya mardon ko (Sadhna - 1958) औरत ने जनम दिया मर्दों को,  मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला कुचला, जब जी चाहा  दुत्कार दिया |. तुलती है कहीं दीदारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में ये वो बेइज्ज़त  की चीज़ है जो, बंट जाती है इज्ज़तदारों में । मर्दों के लिए हर ज़ुल्म रवां, औरत के लिए रोना भी खता मर्दों के लिए लाखों सेजें, औरत के लिए बस एक चिता मर्दों के लिए हर ऐश का हक, औरत के लिए जीना  भी सज़ा । जिन होठों ने इनको प्यार किया, उन होठों का व्योपार किया जिस कोख में इनका जिस्म ढला, उस कोख का कारोबार किया जिस तन से उगे कोपल बन कर, उस तन को ज़लील-...

तुम जो भी समझो

  प्यार किया नहीं हो गया रे तुम जो भी समझो। बस गये तुम मन में मोहन बन तुम जो भी समझो। तुम आगे बढते रहे ,आशियाने‌ बदलते रहे हम निशान तलाशते रहे , बीहड़ में खो गये हम, तुम जो भी समझो। तलाशते तलाशते बावले हो गये हम नदी नालों पर्वतों के अंतर भूल गये हम  तुम जो भी समझो आज भी उतना ही चाहते हैं हम प्यार चाहकर भी नहीं होता कम तुम जो भी समझो। सर्वस्व थे सर्वस्व हो तुम, तुम जो भी समझो। प्राण हैं तुम्ही से प्राण भी दे सकते हम तुम जो भी समझो।

सुभाषितानिि संस्कृत रुचिरा प्रथमोपाठ (8th class)

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१.  गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः । सुस्वदुतोयाः प्रवहन्ति नद्यः समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।। भावार्थ :– प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रुचिरा’ के प्रथम अध्याय “सुभाषितानि” से ली गई है । इन पंक्तियों के माध्यम से यह पाठ हमें यह शिक्षा देता है कि, हमें सदैव अच्छी बातों को अपनाना चाहिए। और उसी के अनुसार आचरण करना चाहिए ।   जब कोई अच्छा गुण किसी गुणवान व्यक्ति के पास जाता है तो वह सदैव अच्छा ही बनकर रहता है । लेकिन जब यही गुण किसी दोष वाले व्यक्ति के पास जाता है तो वह दोष बन जाता है, उसी प्रकार नदियों का पानी पीने योग्य होता है, लेकिन जब यह नदियाँ समुंद्र में मिल जाती है तो, इसका पानी पीने योग्य नहीं रहता है। साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।। तृणं न खादन्नपि जीवमानः   तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥ 2 ॥     साहित्य , संगीत , कला से विहीन व्यक्ति संसार में बिना पूँछ, बिना सींग वाला पशु माना जाता है, यह पशु घास नहीं खाकर भी जीवित रहता है, इस प्रकार से यह इन पशुओ का सौभाग्य माना गया है। लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य म...

साधना का पथ कठिन है

                                शपथ लेना तो सरल है                                पर निभाना है कठिन । साधना का पथ कठिन है साधना का पथ कठिन॥ शलभ बन जलना सरल है प्रेम की जलती शिखा पर। स्वयं को तिल-तिल जलाकर दीप बनना है कठिन ॥१॥ है अचेतन जो युगों से लहर के अनुकूल बहते साथ बहना है सरल प्रतिकूल बहना है कठिन ॥२॥ ठोकरें खाकर नियति की जी रहा सदियों से मानव। है सरल आँसू बहना मुस्काना है कठिन ॥३॥ तप-तपस्या के सहारे इन्द्र बनना तो सरल है। स्वर्ग का ऐश्वर्य पाकर मद भुलाना है कठिन  ॥४॥

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम संघ गीत

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    न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी सदा जो बिना जगाये ही जगा है अँधेरा उसे देखकर ही भगा है वंही बीज पनपा पनपना जिसे था धुना क्या किसके उगाये उगा है अगर उअग सको तो उगो सूर्य से तुम प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी सही राह को छोड़कर जो मुड़े है वही देखकर दूसरों को कुढ़े है बिना पंख तोले ,उड़ेे‌ जोो गगन में, न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े है अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम प्रखरता तुम्हारे कदम चूम लेगी न जो बर्फ की आँधियों से लड़े है कभी पग न उनके शिखर पर पड़े है जिन्हें लक्ष्य से कम ,अधिक प्यार खुद से है वही जी चुराकर तरसते खड़े है अगर जी सको तो जियो झूम कर अमरता तुम्हारे कदम चूम लेगी न हो साथ कोई अकेले बढे तुम सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी...

2021/22हिदीं परीक्षा प्रणाली 9th,10th

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प्रिय विद्यार्थियों!  cbse के पाठ्यक्रम में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है ।अब आपकी परीक्षाएं सत्र/ सेमेस्टर के अनुरुप हुआ करेंगी। नीचे उसकी जानकारी भी जा रही है ।किसी भी प्रकार का कोई भी प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में लिखें ।इन्हें भली-भांति समझ लें, किस प्रकार इनका अंक विभाजन होगा।