सुभाषितानिि संस्कृत रुचिरा प्रथमोपाठ (8th class)

१. गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति

ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः ।
सुस्वदुतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।

भावार्थ :– प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रुचिरा’ के प्रथम अध्याय “सुभाषितानि” से ली गई है । इन पंक्तियों के माध्यम से यह पाठ हमें यह शिक्षा देता है कि, हमें सदैव अच्छी बातों को अपनाना चाहिए। और उसी के अनुसार आचरण करना चाहिए ।

 जब कोई अच्छा गुण किसी गुणवान व्यक्ति के पास जाता है तो वह सदैव अच्छा ही बनकर रहता है । लेकिन जब यही गुण किसी दोष वाले व्यक्ति के पास जाता है तो वह दोष बन जाता है, उसी प्रकार नदियों का पानी पीने योग्य होता है, लेकिन जब यह नदियाँ समुंद्र में मिल जाती है तो, इसका पानी पीने योग्य नहीं रहता है।

साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः
साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।।
तृणं न खादन्नपि जीवमानः
 तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥ 2 ॥   

साहित्य , संगीत , कला से विहीन व्यक्ति संसार में बिना पूँछ, बिना सींग वाला पशु माना जाता है, यह पशु घास नहीं खाकर भी जीवित रहता है, इस प्रकार से यह इन पशुओ का सौभाग्य माना गया है।

लुब्धस्य नश्यति यशः पिशुनस्य मैत्री
नष्टक्रियस्य कुलमर्थपरस्य धर्मः ।।
विद्याफलं व्यसनिनः कृपणस्य सौख्यं
य 

राज्यं प्रमत्तसचिवस्य नराधिपस्य ॥३!!

लालची व्यक्तियों का यश, चुगलखोर की मित्रता, धन को महत्व देने वाले का धर्म, बुरी आदतों वालों की विद्या, कंजूस का सुख और जिस राज्य के मंत्री गलत आचरण वाले होते हैं , उसका राज्य, समाप्त हो जाता हैं।

 

 पीत्वा रसं तु कटुकं मधुरं समानं
माधुर्यमेव जनयेन्मधुमक्षिकासौ ।
सन्तस्तथैव समसज्जनदुर्जनानां
श्रुत्वा वचः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति ॥

मधुमक्खी मीठे तथा कड़वे फूलों का रस पीकर भी मीठे शहद का निर्माण करती है। उसी प्रकार संत लोग सज्जन और दुर्जन दोनों लोगों की बातों को सुनकर हमें केवल अच्छे वचन ही सुनाते हैं ।

  



★ दूसरे लोगों के द्वारा तारीफ किए जाने पर भी महान व्यक्ति कभी भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ते हैं । उसी प्रकार गणित में नौ अंक किसी भी तरह से किसी भी स्थान पर लिखे जाने पर अपना वास्तविक स्वरूप नहीं छोड़ता है ।




★ दूसरे लोगों के द्वारा तारीफ किए जाने पर भी महान व्यक्ति कभी भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ते हैं । उसी प्रकार गणित में नौ अंक किसी भी तरह से किसी भी स्थान पर लिखे जाने पर अपना वास्तविक स्वरूप नहीं छोड़ता है ।       



 
 

अभ्यासः (Exercise)

प्रश्नः 1.
पाठे दत्तानां पद्यानां (श्लोकानां) सस्वरवाचनं कुरुत-(पाठ में दिए गए श्लोकों का सस्वर वाचन कीजिए-)
उत्तरम्:
छात्र स्वयं सुस्वर वाचन करें।

प्रश्नः 2.
श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत-(श्लोक के अंशों में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-)
(क) समुद्रमासाद्य ………………………..
(ख) ……………………….. वचः मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।
(ग) तद्भागधेयं …………………………….. पशूनाम्।
(घ) विद्याफलं …………………………… कृपणस्य सौख्यम्।
(ङ) पौरुषं विहाय यः ……………………….. अवलम्बते। ।
(च) चिन्तनीया हि विपदाम् …………………………. प्रतिक्रियाः ।
उत्तरम्:
(क) भवन्त्यपेयाः,
(ख) श्रुत्वा,
(ग) परमं,
(घ) व्यसनिन:,
(ङ) दैवम्,

(च) आदावेव।    

प्रश्नः 3.

प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए-)
(क) व्यसनिन: किं नश्यति?
(ख) कस्य यशः नश्यति?
(ग) मधुमक्षिका किं जनयति?
(घ) मधुरसूक्तरस के सृजन्ति?
(ङ) अर्थिनः केभ्यः विमुखा न यान्ति।
उत्तरम्:
(क) विद्याफलम्,
(ख) लुब्धस्य,
(ग) माधुर्यम्,
(घ) सन्तः
(ङ) महीरुहेभ्यः


       

प्रश्नः 4.

अधोलिखित-तद्भव-शब्दानां कृते पाठात् चित्वा संस्कृतपदानि लिखत-(नीचे लिखे तद्भव शब्दों के लिए पाठ में से संस्कृत शब्द चुनकर लिखिए-)
यथा- कंजूस कृपणः
कड़वा …………….
पूँछ …………..
सन्तः …………….
लोभी ……………….
मधुमक्खी ………………….
तिनका ………………
उत्तरम्:
कटुकम्, पुच्छम्, लुब्धः, मधुमक्षिका, तृणम्।

प्रश्नः 5.
अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च चित्वा लिखत-(नीचे लिखे वाक्यों में से कर्तृपद और क्रियापदों का चयन करके लिखिए-)


लिखे वाक्यों में से कर्तृपद और क्रियापदों का चयन करके लिखिए-)
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 सुभाषितानि Q5
उत्तरम्:
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 सुभाषितानि Q5.1

Comments

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  2. Mam ham yah sanskriti class lag Nahin rahi hai mam copy mein karna ha

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  3. Mam Sanskrit class to lag rahi Nahin hai to main bhi hamen copy mein karna hai

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  4. Copy mein karna hai class to lagi hi nahin hai to main hamen copy banani padegi

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