औरत या ढोंग

 

औरत ने जनम दिया मर्दों को (साधना -1958) Aurat ne janam diya mardon ko (Sadhna - 1958)

औरत ने जनम दिया मर्दों को,  मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला, जब जी चाहा  दुत्कार दिया |.

तुलती है कहीं दीदारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में
ये वो बेइज्ज़त  की चीज़ है जो, बंट जाती है इज्ज़तदारों में ।

मर्दों के लिए हर ज़ुल्म रवां, औरत के लिए रोना भी खता
मर्दों के लिए लाखों सेजें, औरत के लिए बस एक चिता
मर्दों के लिए हर ऐश का हक, औरत के लिए जीना  भी सज़ा ।

जिन होठों ने इनको प्यार किया, उन होठों का व्योपार किया
जिस कोख में इनका जिस्म ढला, उस कोख का कारोबार किया
जिस तन से उगे कोपल बन कर, उस तन को ज़लील-ओ-खार किया ।

मर्दों ने बनायीं जो रस्में, उनको हक का फरमान कहा
औरत के ज़िंदा जलने 
को, कुर्बानी और बलिदान कहा
किस्मत के बदले रोटी 
दी, और उसको भी एहसान कहा ।

संसार की हर इक बेशर्मी, ग़ुरबत की गोद में पलती है
चकलों ही में आ के रूकती है, फाकों से जो राह निकलती है
मर्दों की हवस है जो अक्सर, औरत के पाप में ढलती  है ।

औरत संसार की इस्मत है, फिर भी तकदीर की हेटी है
अवतार पयम्बर जनती है, फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बदकिस्मत माँ है  जो, बेटों की सेज पे लेटी है  | 


[Composer : N.Dutta; Singer : Lata Mangeshkar;  Producer & Director : B.R. Chopra;  Actor : Vaijyanthi Mala]

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