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आरोह भाग 1.कबीरदास के पद NCERT 11 हिंदी कोर

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    प्रस्तुति -सरला भारद्वाज        सरस्वती विद्या मंदिर कमला नगर आगरा। संत कबीरदास व्यक्तित्व एवं कृतित्व एवं पद कक्षा 11हेतु- नाम  -संत कबीर दास जन्म स्थान -वाराणसी, उत्तर प्रदेश(लहरतारा तालाब से प्राप्त)  संरक्षक पालक पिता का नाम -नीरू  संरक्षक पालक माता का नाम -नीमा पत्नी का नाम --लोई संतान --कमाल (पुत्र), कमाली (पुत्री) विशेषताएं -- समाज सुधारक,न्याय के पक्षधर, नीति उपदेशक , साम्प्रदायिक भेदभाव,ऊंच-नीच के घोर विरोधी। शिक्षा - -निरक्षर  मुख्य रचनाएं--  साखी, सबद, रमैनी काल  ---भक्तिकाल  शाखा --ज्ञानमार्गी शाखा मृत्यु -  मगहर ,संवत 1575, सोमवार, माघ मास, शुक्लपक्ष एकादशी। उक्ति -संवत  भाषा--  अवधी, सुधक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी  उनके जन्म और मृत्युके के संदर्भ में निम्नलिखित दोहे प्रचलितहै- जन्म -चौदह सौ पचपन साल गये,, चंद्र बार एक ठाठ ठये।  जेठसुदी सुदी बरसाइत में, पूर्णमासी को प्रकट भए।  मृत्यु -सम्वत् , पन्द्रह सौ पछत्तरा, कियो मगहर को गौन माघ सुदी एकादशी, रल्यौ पौन में पौन।। लेखनी के विषय - ...

विकास नही हम विनाश ओर बढ़ रहें हैं

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सरला भारद्वाज पथिक 26/3/25 4pm  लोग कहते हैं हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं! पर वास्तव में हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं! बच्चों के हाथ में किताबों की जगह अश्लील साहित्य आ जाए, शाम को मंदिरों की जगह मदिरालयों पर भीड़ बढ़ जाए, तो समझ लो हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। माता पिता जब औलाद को चंद लाभ के लिए झूठ और बेमानी पढ़ाने लग जाएं , उनकी गलतियों के सुधार की जगह ,खुद सफाई देने लग जाएं, तो समझो लो हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं । औलादें जब मां बाप से ऊंची आवाज़ में बतियाएं , राम को भूल जब कंश और औरंगजेब आदर्श बन जाएं , तो समझ लो कि हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। पिता के वचनों की धूल उड़ाते हुए जब संतान निर्णय लेने लग जाए ,  विवश पिता जब अपने मन की पीड़ा भी न कह पाए , तो समझो लो कि हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। चरित्र का निर्माता जब असहाय हो जाए,  नयी पीढी को  जब चरित्र की भाषा  समझ न आए, जलेबी की रक्षक जब बंदरिया ही बन जाए, तो समझ लो हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था जब पंगु हो जाए , आसन पर बैठा मठाधीश, उचित अनुचित का निर्णय न लें पाए , तो समझो हम विनाश की ओर बढ रहे हैं। ...

यकीन मानिए राक्षस आज भी हैं,मैंने देखा है!

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सभी सनातनियों ने  पौराणिक कथाओं में यज्ञ विध्वंस करने वाले राक्षसों के अधर्म पूर्ण आचरण और अत्याचारों की कथाएं खूब सुनी समझी हैं।समझते समझते ये समझ लियाा कि वे देखने बड़े  में भयावह होते होंगे।उनके बड़े बड़े नाखून और दांत होते होंगे।आज पृथ्वी पर वो दिखाई नहीं देते भगवान ने उन्हें परमधाम पहुंचा दिया। ये भ्रम मुझे भी था,लगता था कि अब उनका स्वरूप बदल गया है पापाचार और अनाचार के रुप में ।पर आंखों से पर्दा हट गया , मैंने राक्षसों  और राक्षसियों  को साक्षात इन्हीं आंखों से देखा है ।इन दिनों अपने किसी प्रिय की प्राण रक्षा और स्वास्थ्य सुधार के लिए जब कभी भी एकांत में दूर किसी कोने में सबसे अलग महामृत्युंजय जाप ,हनुमान बाहुक, रोगनाशक कीलक आदि स्तोत्र के लिए बैठकर ध्यान साधती हूं, सब कुछ जानबूझकर भी आधुनिक अवतारी दैत्य/दैत्या पूछते हैं,क्या कर रही हो?   हाथ से चुप रहने के संकेत को बड़ी बेशर्मी से ठुकराते हुए लगातार  कयी दिनों से अपनी फ़ालतू की  निरर्थक बकवास सुनने की अपेक्षा की जा रही है। मुझे ईश्वर के अतिरिक्त किसी से संवाद में रुचि नहीं यह सुनने के बाद अ...

तज़िए ताहि कोटि बैरी सम

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  जीवन में बहुत सी बातें, स्मृति और संतों के वचन ,जीवन का सबक बन जाते हैं। सतसाहित्य पढ़कर बड़ी हुई हूं ंऔर उन मूल्यों में ढली हुई हूं। जाके प्रिय न राम वैदेही,  तजिए ताहि कोटि बैरी सम, यद्यपि परम सनेही । तुलसी बाबा ने ये हिदायत इसलिए दी ताकि सरल इंसान सरलता से शांति के साथ जी पाएं। जो इस मत से सहमत नहीं वे एक बार आस्तीन में सांप पालकर देखें, अर्थ समझ में आ जाएगा। विश्वास करें ,अंध विश्वास से दूर रहें! विश्वासघात वहीं होता है जहां अंध विश्वास हो।" दुर्जन से दूरी भली "रहीम भी कहते हैं - काटे चाटे स्वान के दुहूं भांति विपरीत।" भाई कुत्ता काटे या प्यार से चाटे ,रैबीज तो लगेगा ही । जब ये बात पता चल जाए तो बुद्धिमान लोग कुत्तों को टुकड़ा तो डालते हैं पर अपनी  पवित्र चौखट  के बाहर, चौखट के भीतर नहीं प्रवेश मिलता। सामान्य सामाजिक जीवन में भी यही व्यवहार लागू होता है। नीच, लीचड़, और कीचड़ ,से दूरी बनाने का व्यवहार। आध्यात्मिक सकारात्मक नियम कहता है कि  सद जनों के हृदय  से दिए गये आशीर्वाद  बहुत प्रभावी  होते हैं। सद जनों को हृदय में रखिए।शुभ कार्यों ...

हिंदी प्रश्न पत्र 11

   सरस्वती विद्या मंदिर कमला नगर आगरा - पूर्णांक -80         समय 3 घंटे हिंदी केंद्रिक  कक्षा 11 वार्षिक प्रश्न पत्र इस प्रश्न पत्र में तीन खंड हैं सभी खंडो के निर्देश अनुसार  सुस्पष्ट लेख में उत्तर लिखिए।                      "खंड क " निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए  प्रश्न 1*. लोकतंत्र के तीनों पायों-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अपना-अपना महत्त्व है, किंतु जब प्रथम दो अपने मार्ग या उद्देश्य के प्रति शिथिल होती हैं या संविधान के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करती हैं, तो न्यायपालिका का विशेष महत्त्व हो जाता है। न्यायपालिका ही है जो हमें आईना दिखाती है, किंतु आईना तभी उपयोगी होता है, जब उसमें दिखाई देने वाले चेहरे की विद्रूपता को सुधारने का प्रयास हो।सर्वोच्च न्यायालय के अनेक जनहितकारी निर्णयों को कुछ लोगों ने न्यायपालिका की अतिसक्रियता माना, पर जनता को लगा कि न्यायालय सही है। राजनीतिक चश्मे से देखने पर भ्रम की स्थिति हो सकती है। प्रश्न यह है कि जब ...
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