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हिंदी 10th कोर्स" ए" सैम्पल पेपर 2023/24

हिंदी 10th कोर्स" ए" वार्षिक  सैम्पल पेपर 2023/24 15मिनट पढ़ने के लिए, गहन अध्ययन के पश्चात हल करना प्रारंभ करें। समय 3घंटे पू र्णांक- 80 सामान्य निर्देश: इस प्रश्नपत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और ख’। खंड-क में वस्तुपरक/बहुविकल्पी और खंड-ख में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं। प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए। खंड ‘क’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। खंड ‘ख’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। खंड – अ (बहुविकल्पी/ वस्तुपरक प्रश्न) निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5=5) हमारे देश में हिंदी फ़िल्मों के गीत अपने आरंभ से ही आम दर्शक के सुख-दुख के साथी रहे हैं। वर्तमान समय में हिंदी फ़िल्मों के गीतों ने आम जन के हृदय में लो...

लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त, विधि विधान

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दीपावली पर लक्ष्मी गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त  दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का मुहूर्त- 12 नवंबर 2023 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 40 मिनट से शाम 07 बजकर 36 मिनट तक।  अवधि: 01 घंटा 54 मिनट  प्रदोष काल- 05:29 से 08:07 तक वृषभ काल- 05:40 से 07 :36 तक दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त- 11:39 से 12:31 तक अवधि- 52 मिनट महानिशीथ काल- 11:39 से 12:31 तक सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक दिवाली शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ)- 01:26 से 02:47 तक सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल)- 05:29 से 10:26 तक रात्रि मुहूर्त्त (लाभ)- 01:44 से 03:23 तक उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ)- 05:02 से 06:41 तक Diwali 2023: पांच राजयोग के साथ इस शुभ मुहूर्त में होगी दिवाली पर लक्ष्मी पूजा, वर्षों बाद बना ऐसा संयोग वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक इस साल दीपावली बहुत ही खास रहेगी, क्योंकि कई दशकों के बाद दिवाली पर एक साथ कई शुभ योग और राजयोग का निर्माण हुआ है।   इस साल 12 नवंबर को दीपावली है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर पूरे देशभर में दिव...

वंदना सभा की वैज्ञानिकता

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  * हमारी वंदना सभा है पूर्ण वैज्ञानिक सभी विद्यालयों में अपने-अपने तरह की प्रार्थनाएं वंदनाएं होती हैं परंतु विद्या भारती की वंदना सभा की जो पद्धति है वह पूर्णतया वैज्ञानिक है व्यवहारिक है। अगर इसके वैज्ञानिक पक्ष पर विचार किया जाए तो सुखासन या पद्मासन अवस्था में वंदना की जो स्थिति है उसके पीछे शरीर विज्ञान है अध्यात्म विज्ञान है जब हम पालथी मार कर रीड की हड्डी को सीधा करके हाथ जोड़ने की स्थिति में बैठते हैं तो सीने के बीचो-बीच जो गड्ढा होता है उस गड्ढे को हाथ जोड़ने की स्थिति में जो मुद्रा बनती है दोनों अंगूठे से उसे मध्य भाग को स्पर्श किया जाता है। जहां हृदय चक्र होता है इस स्थिति में शरीर के सात चक्रों में से एक चक्र हृदय चक्र स्पंदित होता है ।पूरे शरीर का एक मंदिर जैसा आकार बनता है। पालथी मारकर सीधे बैठने पर मूलाधार चक्र जाग्रत होता है, ब्रह्मांड में घूम रही सकारात्मक ऊर्जा सिर से शरीर में प्रवेश करती है। क्योंकि हम  पालथी मार बैठे होते हैं अतः यह ऊर्जा शरीर में प्रवेश तो करती है परंतु शरीर से बाहर नहीं जाने पाती ।अर्थात वंदना सभा का जो समय होता है वह एक तरह से हमारा चार्...

व्यक्तित्व क्या है ,और इसे कैसे सवांरे

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     किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोध प्रतिक्रिया के रूप में होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का परिचय इस बात से मिलता है कि वह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार व्यवहार या प्रतिक्रिया करता है। किसी व्यक्ति को बार-बार आक्रमणकारी व्यवहार करते देखकर हम कह उठते हैं कि वह आक्रमणकारी व्यक्तित्व का व्यक्ति है या हर स्थिति में सही निर्णय लेने पर हम कहते हैं वह बड़ा समझदार सधा हुआ व्यक्ति है। ऐसा व्यक्ति जिसका व्यवहार जिसका आचरण अधिक लोगों को  आकर्षित,प्रभावित करता है आखिरउसके व्यक्तित्व का निर्माण एक दिन में ही नहीं हो गया होता है कुछ सालों में ही नहीं हो गया होता है व्यक्तित्व निर्माण करने के पीछे बहुत सारे घटक काम करते हैं , सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं परिवार का वातावरण माता-पिता के संस्कार विद्यालय का वातावरण गुरुओं की देखरेख। जिस प्रकार एक माली एक जंगल को अपने परिश्रम से उपवन के रूप में बदल सकता है। एक कुम्हार मिट्टी को मनचाही  आकृति वाले पात्र के रूप में बदल सकता है ठीक उसी तरह बालकों के व्यक्तित्व के निर्माण में माता-पिता समाज गुरु और विद्यालय की भूमिका रहत...
     हिन्दी -कक्षा- नवम                 पूर्णांक-40 द्वितीय मासिक परीक्षा- सितम्बर 2023 नोट -प्रश्न पत्र में दिए गए प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर सुस्पष्ट उत्तर लिखिए- प्रश्न 1.अपठित गद्यांश .5अंक                             अपठित गद्यांश  यों तो मानव के इतिहास के आरंभ से ही इस कला का सूत्रपात हो गया था। लोग अपने कार्यों या विचारों के समर्थन के लिए गोष्ठियों या सभाओं का आयोजन किया करते थे। प्रचार के लिए भजन-कीर्तन मंडलियाँ भी बनाई जाती थीं। परंतु उनका क्षेत्र अधिकतर धार्मिक, दार्शनिक या भक्ति संबंधी होता था। वर्तमान विज्ञापन कला विशुद्ध व्यावसायिक कला है और आधुनिक व्यवसाय का एक अनिवार्य अंग है। विज्ञापन के लिए कई साधनों का उपयोग किया जाता है; जैसे-हैंडबिल, रेडियो और दीवार-पोस्टर, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, बड़े-बड़े साइनबोर्ड और दूरदर्शन। जब से छपाई का प्रचार-प्रसार बढ़ा तब से इश्तिहार या हैंडबिल का विज्ञापन के लिए प्रयोग आरंभ हुआ। कागज और मुद्रण सुविधा ...

किसी के पास जबाब है इसका

 आखिर क्यों..??????? चाहे हजारों स्त्री से उसके संबंध हो,  चाहे कई नाजायज़ अनुबंध हो, लेकिन पुरुष कभी वेश्या नहीं कहलाते। चाहे वह कितने ही प्रपंच कर ले.  और इससे कितने ही प्राण हर ले, लेकिन पुरुष कभी डायन नही कहलाते।  अपनी खानदानी अस्मत कोठों पर बेच आता है, नज़रे पराई स्त्री पर चाहे लगाता है,  लेकिन पुरुष कभी कुल्टा नहीं कहलाते।  चाहे ये कितने ही क्रूर स्वभाव के हों,  चाहे कितने ही घृणित बर्ताव के हों  लेकिन पुरुष कभी चुड़ैल नहीं कहलाते।  यहां तक की दो पुरूषों के झगडे में  घर से लेकर सड़क तक के रगड़े में स्त्रियों के नाम पर ही गालियां दी जाती हैं,  और फिर शान से ये मर्द कहलाते हैं।  क्यों डायन, कुल्टा, चुड़ैल, वेश्या, बद्दलन  केवल नारी ही कहलाए.. .?  क्या इन शब्दों के पुर्लिंग शब्द, पितृसत्तात्मक समाज ने नहीं बनाए.......? क्या यहाँ कोई ऐसा पुरुष है जिसे सड़क पर चलते हुए ये भय लगता हो  कि अकस्मात ही पीछे से तेज़ रफ़्तार में  एक स्कॉर्पियो आएगी  और उसमें बैठी चार महिलाएँ  जबरन उसे गाड़ी में उठा कर ले...

तुम तो आज से दीप हो

https://youtu.be/IoFzqvNRTek  "मैम मैं जीवन में कुछ कर नहीं पाऊंगा। मैं बहुत लो फिर करता हूं! " तुम्हारे ये शब्द और स्नेह से मुझसे लिपट कर रोना,मेरे अंतस को भेद गया दीप! हां दीप ही कहूंगी तुम्हें,आज से मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से नहीं दीप नाम से ही पुकारूंगी तुम्हें।ये मेरा तुम्हारा जो सीक्रेट है न देखना एक दिन जब खुलेगा तब तुम दीप से सूरज बन चुके होंगे।आज अपने पैंदे में प्रकाश तलाश रहे तुम दुनिया को प्रकाशित करोगे।ये मेरे अंतर्मन की आवाज है प्यारे छात्र दीप!तुम तो मेरे पास आकर अपनी वेदना कह कर मेरे समझाने पर मुस्कुरा कर जा बैठे अपनी सीट पर,  पर अवकाश के बाद बहुत थके होने पर भी मैं तसल्ली  सीट पर न बैठ सकी। तीन रातों से ठीक से सो भी नहीं पाती।न जाने कितने विचार कितने छात्रों के चेहरे ,जीवन के न जाने कितने उतार चढ़ाव,और न जाने भगवत कृपा से किए गये अनेकानेक प्रयोगों के चलचित्र नाचने लगे आंखों के सामने।अपने नन्हे शिशु की पीड़ा में जो छटपटाहट एक मां की  होती है वैसा ही हाल हुआ कुछ।अंदर से आवाजें आने लगी कि मेरे दीप में कुछ आशा के तेल की जो कमी है वो पूरी करनी है।फिर अस्फ...