व्यक्तित्व क्या है ,और इसे कैसे सवांरे


    


किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोध प्रतिक्रिया के रूप में होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का परिचय इस बात से मिलता है कि वह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार व्यवहार या प्रतिक्रिया करता है। किसी व्यक्ति को बार-बार आक्रमणकारी व्यवहार करते देखकर हम कह उठते हैं कि वह आक्रमणकारी व्यक्तित्व का व्यक्ति है या हर स्थिति में सही निर्णय लेने पर हम कहते हैं वह बड़ा समझदार सधा हुआ व्यक्ति है। ऐसा व्यक्ति जिसका व्यवहार जिसका आचरण अधिक लोगों को  आकर्षित,प्रभावित करता है आखिरउसके व्यक्तित्व का निर्माण एक दिन में ही नहीं हो गया होता है कुछ सालों में ही नहीं हो गया होता है व्यक्तित्व निर्माण करने के पीछे बहुत सारे घटक काम करते हैं , सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं परिवार का वातावरण माता-पिता के संस्कार विद्यालय का वातावरण गुरुओं की देखरेख। जिस प्रकार एक माली एक जंगल को अपने परिश्रम से उपवन के रूप में बदल सकता है। एक कुम्हार मिट्टी को मनचाही  आकृति वाले पात्र के रूप में बदल सकता है ठीक उसी तरह बालकों के व्यक्तित्व के निर्माण में माता-पिता समाज गुरु और विद्यालय की भूमिका रहती है। हमारा परिश्रम ही बालकों को वीर परिश्रमी ईमानदार योग्य नागरिक बना कर देश और समाज उपयोगी बना कर उसका जीवन सार्थक बना सकता हैं। माना कि हर बालक अपनी प्रकृति और प्रवृत्ति लेकर पैदा होता है परंतु बाह्य परिवेश का उसके जीवन में एक विशेष महत्वपूर्ण योगदान होता है । और विद्यालय व स्थान है जहां बालक को वह वातावरण देखकर उसकी चहुंमुखी विकास के प्रयास किए जाते हैं। उसका नैतिक ,आध्यात्मिक ,शारीरिक ,मानसिक, प्राणिक, आत्मिक, चारित्रिक, रचनात्मक, संवेगों का

संपूर्ण विकास किया जाता है।

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