तुम तो आज से दीप हो

https://youtu.be/IoFzqvNRTek

 "मैम मैं जीवन में कुछ कर नहीं पाऊंगा। मैं बहुत लो फिर करता हूं! "

तुम्हारे ये शब्द और स्नेह से मुझसे लिपट कर रोना,मेरे अंतस को भेद गया दीप! हां दीप ही कहूंगी तुम्हें,आज से मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से नहीं दीप नाम से ही पुकारूंगी तुम्हें।ये मेरा तुम्हारा जो सीक्रेट है न देखना एक दिन जब खुलेगा तब तुम दीप से सूरज बन चुके होंगे।आज अपने पैंदे में प्रकाश तलाश रहे तुम दुनिया को प्रकाशित करोगे।ये मेरे अंतर्मन की आवाज है प्यारे छात्र दीप!तुम तो मेरे पास आकर अपनी वेदना कह कर मेरे समझाने पर मुस्कुरा कर जा बैठे अपनी सीट पर, 

पर अवकाश के बाद बहुत थके होने पर भी मैं तसल्ली  सीट पर न बैठ सकी। तीन रातों से ठीक से सो भी नहीं पाती।न जाने कितने विचार कितने छात्रों के चेहरे ,जीवन के न जाने कितने उतार चढ़ाव,और न जाने भगवत कृपा से किए गये अनेकानेक प्रयोगों के चलचित्र नाचने लगे आंखों के सामने।अपने नन्हे शिशु की पीड़ा में जो छटपटाहट एक मां की  होती है वैसा ही हाल हुआ कुछ।अंदर से आवाजें आने लगी कि मेरे दीप में कुछ आशा के तेल की जो कमी है वो पूरी करनी है।फिर अस्फुटित ओठों ने कहा -दीप नहीं,  मां शक्ति के समक्ष जलने वाला अखंड दीप है तू।खंडित नहीं होने दे सकती।तुझे नहीं पता तू सबसे स्पेशल,सबसे, सच्चा, सबसे अच्छा, सरल हृदय बालक है ।इस भीड़ में शामिल नहीं सबसे अलग है।  बिल्कुल कलाम की तरह।  अब्दुल कलाम को भी फेल होने पर कुछ ऐसा ही फील हुआ था।वे भी सोचते थे कि वे जीवन में पायलेट नहीं बन पायेंगे ।पर ईश्वर तो उन्हें भारत का पहला मिशाइल मैं बनाना चाहते थें।बेटे  हमारे हाथ में बस परिश्रम और मन में विश्वास हो,बाकी सोचने का काम ईश्वर का है। वह सब का माता पिता है।उसने भविष्य में हमारे लिए क्या लिखा है ,वहीं जानता है।हम तो बस इतना जानते हैं कि तुम्हारे जैसे प्यारे बच्चे हार नहीं मानते बल्कि मुश्किल के समय अपनों से वार्ता करते हैं,और उन अपनों में मेरा नाम भी है।

इस बात से बिल्कुल परेशान होने की आवश्यकता नहीं कि बोर्ड में तुम्हारे कम अंक होंगे या ज्यादा? जो भी होंगे तुम्हारी अपनी मेहनत के ईमानदारी के होने चाहिए बस ये सोचना है। थोड़ा थोड़ा करके लगातार नया कुछ सीखना है। बल्कि मैं भी सीखूंगी तुम्हारे साथ ,और सिखाओगे तुम। कल से कुछ छोटी छोटी कविता और स्टोरी भी सुनेंगे सुनाएंगे हम।खूब हंसेंगे मुस्कुराएंगे हम , जिसने भी लो फील कराया है तुम्हें,उसे लोहा मनबायेगे हम ,एक इतिहास बनायेंगे हम। आशाओं के गीत गुनगुनाएंगे हम।

अभी  अपनी कापी में लिखों में कर सकता हूं।और मैं ही कर सकता हूं।

ये पत्र तुम्हारे साथ  -साथ तुम जैसे स्पेशल छात्रों के लिए है

और साथ में हैं एक तुम्हारे लिए गीत।

ध्यान से सुनना और समझना।

तुम्हारी 

परम स्नेही

आचार्या 

सरला भारद्वाज


https://youtu.be/IoFzqvNRTek

12/8/23

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