पतंग धन्वा 12 ncert
पतंग कविता का सार कविता पतंग आलोक धन्वा के एकमात्र संग्रह का हिस्सा है। यह एक लंबी कविता है जिसके तीसरे भाग को आपको पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है। पतंग के बहाने इस कविता में बालसुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण किया गया है। कवि कहते हैं कि सावन के महीने में आने वाली तेज़ बारिशें भी चली गई हैं और भादो का महीना भी बीत गया है। सावन और भादो के महीनों में आसमान में बादल छाये रहते हैं। लेकिन शरद ऋतु के आते ही आसमान एकदम साफ, स्वच्छ व निर्मल हो जाता हैं। शरद ऋतु में सुबह के समय आकाश में छाई हुई लालिमा कवि को खरगोश की आँखों की भांति लाल दिखाई दे रही हैं। शरद ऋतु कई पुलों को पार करते हुए आई है अर्थात पिछले साल की शरद ऋतु के जाने से इस साल की शरद ऋतु के आने तक कई ऋतुएँ बीती हैं, इन्हीं ऋतुओं को कवि ने पुल का नाम दिया है। शरद ऋतु में मौसम एकदम सुहाना हो जाता है जिसे देखकर बच्चों के समूह पतंग उड़ाने के लिए अपने घरों से बाहर निकल आते हैं। कवि शरद ऋतु को बालक की संज्ञा देते हुए कहता है कि बालक शरद अपने चमकीले इशारों से बच्चों के समूह को पतंग उड़ाने के लिए बुलाता है। उसने आकाश को मुलायम...