सिल्वर वेडिंग
. यशोधर बाबू अपने बच्चों तथा पत्नी से क्या चाहते थे?
A. पैसा
B. सम्मान
C. परंपराओं का पालन
D. मुक्ति
'सिल्वर वैडिंग' पाठ के लेखक का नाम क्या है?
A. फणीश्वर नाथ रेणु
B. मनोहर श्याम जोशी
C. श्याम मनोहर जोशी
D. मनोहर वर्मा
. 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के कथानायक का नाम क्या है?
A. यशोधर बाबू
B. भूषण
C. किशनदा
D. चड्ढा
यशोधर बाबू किसको अपना आदर्श मानते थे?
A. भूषण को
B. किशनदा को
C. अपनी पत्नी को
D. अपने साले को
. यशोधर बाबू सर्वप्रथम किस पद पर नियुक्त हुए?
A. बॉय सर्विस
B. क्लर्क
C. सहायक क्लर्क
D. सेक्शन आफ़िसर
6. यशोधर का पूरा नाम है-
A. यशोधर बाबू
B. ए०डी० पंत
C. वाई .सी.पंत
D. ओ०डी० पंत
यशोधर बाबू के विवाह की कौन-सी वर्षगाँठ मनाई गई?
A. बीसवीं
B. तीसवीं
C. पच्चीसवीं
D. चालीसवींदफ्तर के बाबुओं को अपनी सिल्वर वैडिंग के लिए यशोधर बाबू ने कुल कितने रुपये दिए?
A. दस
B. पंद्रह
C. बीस
D. तीस
. लेखक ने यशोधर बाबू को किशनदा का कौन-सा पुत्र कहा है?
A. मानस पुत्र
B. दत्तक पुत्र
C. नाजायज़ पुत्र
D. पुत्र
. यशोधर बाबू मूलतः कहाँ के रहने वाले थे?
A. दिल्ली के
B. आगरा के
C. कुमाऊँ के
D. मेरठ के
किशनदा यशोधर को क्या कहकर बुलाते थे?
A. भाऊ
B. बेटा
C. यशोधर
D. भाई
'सिल्वर वैडिंग' में गाउन पहनते समय यशोधर बाबू को कौन-सी बात चुभी?
A. पत्नी द्वारा उपेक्षा
B. भूषण के व्यंग्य वचन
C. केक काटना
D. दूध लाने की बात
जब सब्जी लेकर यशोधर घर पहुँचे तो उनकी दशा कैसी थी?
A. द्वारिका जाने वाले सुदामा जैसी
B. द्वारिका से लौटे सुदामा जैसी
C. बचपन के सुदामा जैसी
D. पत्नी के साथ सुदामा जैसी
. यशोधर बाबू के कितने बेटे थे?
A. एक
B. दो
C. तीन
D. चार
. यशोधर बाबू किस प्रकार के जीवन के पक्षधर थे?
. यशोधर बाबू जुड़े हुए हैं-
A. आधुनिकता से
B. पुरानी परंपराओं से
C. विलायती जीवन से
D. सरकारी कार्यालय से
यशोधर बाबू की पत्नी किसका साथ देती है?
A. पति का
B. आधुनिकता का
C. अपने बच्चों का
D. मौज मस्ती का
यशोधर बाबू के बड़े लड़के को कितने रुपये मासिक की नौकरी मिली?
A. 1800 रुपये
B. 1600 रुपये
C. 1500 रुपये
D. 1400 रुपये
19. यशोधर बाबू का अपने बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार था?
A. स्नेहपूर्ण
B. ईष्यापूर्ण
C. घृणापूर्ण
D. अलगाव भरा
. यशोधर बाबू के क्वार्टर में कितने कमरे थे?
A. दो
B. तीन
C. चार
D. एक
'सिल्वर वैडिंग' पर भूषण ने अपने पिता को क्या उपहार दिया?
A. घड़ी
B. पैंट
C. पैंट और कमीज़
D. ऊनी ड्रेसिंग गाउन
यशोधर बाबू का व्यक्तित्व कैसा है?
A. बनावटी
B. धार्मिक
C. मौज मस्ती
D. सादगीपूर्ण
सिल्वर वेडिंग" मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखी गई एक हिंदी कहानी है, जो एक व्यक्ति यशोधर बाबू के जीवन को दर्शाती है जो अपने पारंपरिक मूल्यों और जीवन शैली को बनाए रखने की कोशिश करता है, जबकि उसके बच्चे आधुनिक जीवन शैली अपना लेते हैं। यह कहानी पुरानी और नई पीढ़ी के बीच के अंतर को उजागर करती है।
कहानी का सार:
"सिल्वर वेडिंग" कहानी यशोधर बाबू के जीवन को केंद्र में रखकर, उनकी शादी की 25वीं वर्षगांठ (सिल्वर वेडिंग) को उत्सव के रूप में मनाने के प्रयास को दर्शाती है। यशोधर बाबू एक पारंपरिक व्यक्ति हैं, जो अपने मूल्यों और सिद्धांतों से जुड़े हुए हैं, लेकिन उनके बच्चे आधुनिक जीवन शैली को अपना लेते हैं। कहानी में उनके और उनके बच्चों के बीच के मतभेदों और संघर्षों को दर्शाया गया है।
मुख्य पात्र:
यशोधर बाबू:
कहानी का मुख्य पात्र, जो एक पारंपरिक व्यक्ति है और अपने मूल्यों और जीवन शैली से जुड़ा हुआ है।
यशोधर बाबू के बच्चे:
जो आधुनिक जीवन शैली को अपनाते हैं और अपने पिता के मूल्यों के खिलाफ रहते हैं।
कहानी की मूल संवेदना:
कहानी की मूल संवेदना यह है कि समय के साथ समाज में परिवर्तन होते हैं, लेकिन हमें अपनी जड़ों और मूल्यों को भी बनाए रखना चाहिए। कहानी हमें सिखाती है कि हमें पुरानी और नई पीढ़ी के बीच के अंतर को समझना चाहिए और एक-दूसरे को स्वीकार करना चाहिए।
कहानी में उठाए गए विषय:
पारंपरिक और आधुनिक मूल्यों का टकराव:
यशोधर बाबू के पारंपरिक मूल्यों और उनके बच्चों की आधुनिक जीवन शैली के बीच का संघर्ष।
बुजुर्गों का सम्मान:
यशोधर बाबू के पारंपरिक मूल्यों को उनके बच्चों द्वारा नजरअंदाज करना।
मानवीय मूल्यों का ह्रास:
आधुनिक जीवन शैली में मानवीय मूल्यों के कम होने की भावना।
पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव:
पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से होने वाले बदलाव।
कहानी की प्रासंगिकता:
आज भी "सिल्वर वेडिंग" कहानी समाज में प्रासंगिक है, क्योंकि यह हमें समय के साथ समाज में होने वाले परिवर्तनों को समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता को दर्शाती है।
संक्षेप में, "सिल्वर वेडिंग" एक ऐसी कहानी है जो हमें पुरानी और नई पीढ़ी के बीच के अंतर को समझने और एक-दूसरे को स्वीकार करने की आवश्यकता को सिखाती है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों? चर्चा कीजिए। (CBSE-2008, 2010, 2016)
उत्तर:
यशोधर बाबू बचपन से ही जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। उनका पालन-पोषण उनकी विधवा बुआ ने किया। मैट्रिक होने के बाद वे दिल्ली आ गए तथा किशन दा जैसे कुंआरे के पास रहे। इस तरह वे सदैव उन लोगों के साथ रहे जिन्हें कभी परिवार का सुख नहीं मिला। वे सदैव पुराने लोगों के साथ रहे, पले, बढ़े। अत: उन परंपराओं को छोड़ नहीं सकते थे। उन पर किशन दा के सिद्धांतों का बहुत प्रभाव था। इन सब कारणों से यशोधर बाबू समय के साथ बदलने में असफल रहते हैं। दूसरी तरफ, उनकी पत्नी पुराने संस्कारों की थीं। वे एक संयुक्त परिवार में आई थीं जहाँ उन्हें सुखद अनुभव हुआ। उनकी इच्छाएँ अतृप्त रहीं। वे मातृ सुलभ प्रेम के कारण अपनी संतानों का पक्ष लेती हैं और बेटी के अंगु एकपाई पहात हैं। वे बेयों के किसी मामले में दल नाहीं देता। इस प्रकर वे स्वायं को शीघ्र ही बदल लेती है।
प्रश्न 2.
पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं? (CBSE-2009, 2012, 2014)
उत्तर:
‘जो हुआ होगा’ वाक्यांश का प्रयोग किशनदा की मृत्यु के संदर्भ में होता है। यशोधर ने किशनदा के जाति भाई से उनकी मृत्यु का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया- जो हुआ होगा अर्थात् क्या हुआ, पता नहीं। इस वाक्य की अनेक छवियाँ बनती हैं –
पहला अर्थ खुद कहानीकार ने बताया कि पता नहीं, क्या हुआ।
दूसरा अर्थ यह है कि किशनदा अकेले रहे। जीवन के अंतिम क्षणों में भी किसी ने उन्हें नहीं स्वीकारा। इस कारण उनके मन में जीने की इच्छा समाप्त हो गई।
तीसरा अर्थ समाज की मानसिकता है। किशनदा जैसे व्यक्ति का समाज के लिए कोई महत्त्व नहीं है। वे सामाजिक नियमों के विरोध में रहे। फलतः समाज ने भी उन्हें दरकिनार कर दिया।
प्रश्न 3.
‘समहाउ इंप्रापर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं? इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है? (CBSE-2008, 2009, 2011)
उत्तर:
यशोधर बाबू ‘समहाउ इंप्रॉपर’ वाक्यांश का प्रयोग तकिया कलाम की तरह करते हैं। उन्हें जब कुछ अनुचित लगता में उन्हें कई कमियाँ नजर आती हैं। वे नए के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते। यह वाक्यांश उनके असंतुलन एवं रूढ़ आदर्श वादी व्यक्तित्व को दर्शाता है ।यह वाक्यांश उनके लिए प्रश्न चिन्ह बन गया है। वे जिस जिस बात को भारतीय परंपरा के अनुकूल नहीं समझते उस स्थान पर इस वाक्यांश का प्रयोग उन्होंने कियाहै।जैसे -दफ़्तर में सिल्वर वैडिंग पर
स्कूटर की सवारी पर
साधारण पुत्र को असाधारण वेतन मिलने पर
अपनों से परायेपन का व्यवहार मिलने पर
डी०डी०ए० फ़्लैट का पैसा न भरने पर
पुत्र द्वारा वेतन पिता को न दिए जाने पर
खुशहाली में रिश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
पत्नी के आधुनिक बनने पर
शादी के संबंध में बेटी के निर्णय पर
घर में सिल्वर वैडिंग पार्टी पर
केक काटने की विदेशी परंपरा पर आदि
कहानी के अंत में यशोधर के व्यक्तित्व की सारी विशेषता सामने उभरकर आती है। वे जमाने के हिसाब से अप्रासंगिक हो गए हैं। यह पीढ़ियों के अंतराल को दर्शाता है।
प्रश्न 4.
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान है और कैसे? (CBSE-2012)
उत्तर:
मेरे जीवन को दिशा देने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान मेरे गुरुओं का रहा है। उन्होंने हमेशा मुझे यही शिक्षा दी कि सत्य बोलो। सत्य बोलने वाला व्यक्ति हर तरह की परेशानी से मुक्त हो जाता है जबकि झूठ बोलने वाला अपने ही जाल में फँस जाता है। उसे एक झूठ छुपाने के लिए सैकड़ों झूठ बोलने पड़ते हैं। अपने गुरुओं की इस बात को मैंने हमेशा याद रखा। वास्तव में उनकी इसी शिक्षा ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी।
प्रश्न 5.वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं? (सैंपल पेपर-2005)
उत्तर:
इस कहानी में दर्शाए गए परिवार के स्वरूप व संरचना आज भी लगभग हर परिवार में पाई जाती है। संयुक्त परिवार प्रथा समाप्त हो रही है। पुरानी पीढ़ी की बातों या सलाह को नयी पीढ़ी सिरे से नकार रही है। नए युवा कुछ नया करना चाहते हैं, परंतु बुजुर्ग परंपराओं के निर्वाह में विश्वास रखते हैं। यशोधर बाबू की तरह आज का मध्यवर्गीय पिता विवश है। वह किसी विषय पर अपना निर्णय नहीं दे सकता। माताएँ बच्चों के समर्थन में खड़ी नजर आती हैं। आज बच्चे अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने में अधिक खुश रहते हैं। वे आधुनिक जीवन शैली को ही सब कुछ मानते हैं। लड़कियाँ फ़ैशन के अनुसार वस्त्र पहनती हैं। यशोधर की लड़की उसी का प्रतिनिधि है। अत: यह कहानी आज लगभग हर परिवार की है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे/कहेंगी और क्यों?
(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।
उत्तर:
मेरी समझ में पीढ़ी अंतराल ही ‘सिल्वर वैडिंग’ शीर्षक कहानी की मूल संवेदना है। यशोधर बाबू और उसके पुत्रों में एक पीढ़ी को अंतराल है। इसी कारण यशोधर बाबू अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं। यह सिद्धांत और व्यवहार की लड़ाई है। यशोधर बाबू सिद्धांतवादी हैं तो उनके पुत्र व्यवहारवादी। आज सिद्धांत नहीं व्यावहारिकता चलती है। यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं जो नयी पीढ़ी के साथ कहीं भी तालमेल नहीं रखते। पीढ़ी का अंतराल और उनके विचारों का अंतराल यशोधर बाबू और उनके परिवार के सदस्यों में वैचारिक अलगाव पैदा कर देता है।
प्रश्न 7.
अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
उत्तर:
हमारे घर व विद्यालय के आस-पास निम्नलिखित बदलाव हो रहे हैं जिन्हें बुजुर्ग पसंद नहीं करते
युवाओं द्वारा मोबाइल का प्रयोग करना।
युवाओं द्वारा पैदल न चलकर तीव्र गति से चलाते हुए मोटर-साइकिल या स्कूटर का प्रयोग।
लड़कियों द्वारा जीन्स व शर्ट पहनना।
लड़के-लड़कियों की दोस्ती व पार्क में घूमना।
खड़े होकर भोजन करना।
तेज आवाज में संगीत सुनना।
बुजुर्ग पीढ़ी इन सभी परिवर्तनों का विरोध करती है। उन्हें लगता है कि ये हमारी संस्कृति के खिलाफ़ हैं। कुछ सुविधाओं को वे स्वास्थ्य की दृष्टि से खराब मानते हैं तो कुछ उनकी परंपरा को खत्म कर रहे हैं। महिलाओं व लड़कियों को अपनी सभ्यता व संस्कृति के अनुसार आचरण करना चाहिए।
प्रश्न 8.
यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं है।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है।
उत्तर:
यशोधर बाबू के बारे में हमारी यही धारणा बनती है कि यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता है पर पुराना छोड़ता नहीं, इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है। यद्यपि वे सिद्धांतवादी हैं तथापि व्यावहारिक पक्ष भी उन्हें अच्छी तरह मालूम है। लेकिन सिद्धांत और व्यवहार के इस द्वंद्व में यशोधर बाबू कुछ भी निर्णय लेने में असमर्थ हैं। उन्हें कई बार तो पत्नी और बच्चों का व्यवहार अच्छा लगता है तो कभी अपने सिद्धांत। इस द्वंद्व के साथ जीने के लिए मजबूर हैं। उनका दफ्तरी जीवन जहाँ सिद्धांतवादी है वहीं पारिवारिक जीवन व्यवहारवादी। दोनों में सामंजस्य बिठा पाना उनके लिए लगभग असंभव है। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है।
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