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Showing posts from August, 2024

विदाई सम्भाषण

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  NCERT  Class 11th: पाठ 4 - विदाई-संभाषण आरोह भाग-1 हिंदी (Vidai Sambhashan) अभ्यास पाठ के साथ 1. शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं? उत्तर शिवशंभु की दो गायों के माध्यम से लेखक यह समझाना चाहते हैं कि जिस देश के पशुओं के बिछड़ते समय ऐसी मनोदशा होती है, वहाँ मनुष्यों की कैसी दशा हो सकती, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है| कहानी में दो गायें होती हैं जिनमें से एक बलवान और दूसरी कमजोर थी| वह कभी-कभी अपने सींगों की टक्कर से दूसरी कमजोर गाय को गिरा देती थी| एक दिन बलवान गाय पुरोहित को दे दी गई| उसके जाने के बाद कमजोर गाय दिन भर भूखी रही| उसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने अपने शासन-काल में भले ही भारतवासियों का शोषण किया हो लेकिन उनके जाने का दुःख सबको है| 2. आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया- यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है? उत्तर लॉर्ड कर्जन ने बंगाल-विभाजन का निर्णय लेकर भारत की एकता को खंडित करने की योजना बनाई| भारतवासियों ने लॉर्ड कर्जन की इस जिद के आगे बहुत विनती की, ताकि यह विभाजन न हो| लेकि...

धोखा ही धोखा

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 हा अपनों को धोखा परायों को धोखा, हां खुद को धोखा ही मैं दे रहा था। समझता था तो भी मैं मानता नहीं था। ये पापों की नैया को मैं के रहा था। हां भगवान बन कर मैं ठगता था सबको, मैं दिन में था  कुछ, रात मैं कुछ और था, मैं औरों को उपदेश देकर ठग रहा था हां भगवान खुद बन मजे ले रहा था। खुल गयी पोल आखिर,मिटा ढोंग सारा, पड़ा जेल में खूब अब मैं रो रहा हूं। ये चालाकियां सब धरी रह गयी हैं, सना सारा जीवन ही छल से रहा था, हां नरक द्वार मेरे लिए हंस रहा है। वे यम दूत जाने मेरा क्या करेंगे? भुगतने पड़ेंगे कुकर्मों के फल सब। कुकर्मों का साथी चुना चे रहा था। रचनाकार प्रेमचंद शर्मा जिरौलिया

देख हालत आज की मन रो रहा

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  मेरे घर में है आज ये क्या हो रहा?  देख हालत आजकी मन रो रहा। खिंच रही आपस में सब की चोटियां,  छिंन रही आपस में सब की रोटियां, मुकदमों की आज रेलम पेल है , हाय ये क्या जेल भी तो फेल है। भ्रष्ट सिस्टम दारु पीकर सो रहा। देख हालत आज की मन रो रहा।(1) रिश्ते नाते खत्म बस धोखा दगा , अब ना कोई है किसी का भी सगा।  खा गई पूरब को पश्चिम की हवा, सूझती है अब नहीं कोई भी दवा। आज तो धीरज भी धीरज खो रहा। देख हालत आज की मन रो रहा।(2) मेरा घर भारत बना है इंडिया, इसलिए शायद हुआ बरबंडिया। हम हुए अंग्रेज अब हिंदू नहीं, हिंदुता का एक भी विंदू नहीं। लूट अंकुर हर कोई है बो रहा। देख हालत आज की मन रो रहा। रचनाकार  प्रेमचंद शर्मा, जिरौलिया

पाथेर पांचाली अपू के ढाई वर्ष

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 NCERT class 11पाठ अपू के ढाई वर्ष  प्रश्न 1 – पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला? उत्तर – ‘पथेर पांचाली’ फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला। इसके बहुत से कारण थे। जैसे लेखक को पैसे का अभाव था। पैसे इकट्ठे होने पर ही वह शूटिंग करता था। वह विज्ञापन कंपनी में काम करता था। इसलिए काम से फुर्सत होने पर ही लेखक तथा अन्य कलाकार फिल्म का काम करते थे। तकनीक के पिछड़ेपन के कारण पात्र, स्थान, दृश्य आदि की समस्याएँ आ जाती थीं। पैसों के अभाव के कारण शूटिंग को बार-बार रोकना पड़ता था। शूटिंग में होने वाली देरी के कारण कई स्थान और पात्र भी या तो बदल जाते थे या उनका देहांत हो जाता था जिस कारण लेखक को उनसे मिलते-झूलते पात्र व् स्थान ढूँढना कठिन हो जाता था। प्रश्न 2 – अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी’ नदारद हो जाती-इस कथन के पीछे क्या भाव है? उत्तर – किसी भी चीज़ में निरंतरता होनी चाहिए ताकि वह स्वाभाविक लगे। ‘उसमें से ‘कंटिन्युइटी’ नदारद हो जाती’ – इस कथन के पीछे भाव यह है कि कोई भी फिल्म हमें...

CBSE 11*डायरी लेखन

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CBSE Class 11 Hindi डायरी लिखने की कला डायरी : डायरी सिर्फ ऐसे ही निजी सत्यों को शब्द देने का ज़रिया हो, जिनकी जिंदगी और रूप में अभिव्यक्ति वर्जित है। वह एक तरह का व्यक्तिगत दस्तावेज़ भी है, जिसमें अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन के अंदर कौंध जानेवाले विचारों, यादगार मुलाकातों और बहस-मुबाहिसों को हम दर्ज कर लेते हैं। अपनी कई तरह की स्मृतियों को हम कैमरे की मदद से भी रिकॉर्ड करते हैं, पर खुद अपना पाठ तैयार करना और जो कुछ घटित हुआ, सबकी कहानी कहना एक ऐसा तरीका है, जो हमें आनेवाले दिनों में उन लम्हों को दुबारा जीने का मौका देता है। आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में यह तरीका सचमुच नायाब है। जिंदगी की तेज़ रफ़्तार में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सतही और फ़ौरी किस्म की चिंताओं के अनवरत मामलों के बीच गहरे आशय वाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को हम भूल जाएँ। डायरी हमें भूलने से बचाती है। यात्राओं के दौरान डायरी लिखना तो बहुत ही उपयोगी साबित होता है। एक लंबे सफ़र का वृत्तांत अगर आप सफ़र से लौट कर लिखना चाहें, तो शायद पूरे अनुभव का दो-तिहाई हिस्सा ही बच-बचा कर शब्दों में उतर...