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Showing posts from February, 2022

संगीत में फिजिक्स

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संगीत और फिजिक्स का सम्बंध(पूरा पढ़ें)  संगीत में फिजिक्स- संगीत में नियमित और स्थिर कंपन , ध्वनि जो कानों को प्रिय लगती है वह नाद कहलाती है ।वैसे नाद दो प्रकार के होते हैं अनाहत नाद और आहत नाद।  संगीत रत्नाकर के अनुसार- "आहतोअनाहतश्चेति द्विधा नादो निगद्यते।"  अनहद या अनाहत नाद जो  केवल अनुभव से ज्ञात हो, जिसके उत्पन्न होने का कोई कारण न  हो। बिना आघात ही अपने आप होने वाला नाद अनहद कहलाता है। ऐसे गुपत या सूक्ष्म नाद भी कहते हैं ।यह नाद केवल योग क्रिया समय ध्यान लगाने पर सुनाई देता है ।हठ योग साधना करने वाले कबीर जैसे साधक इसी नाद कि बात करते  हैं।इसे ईश्वरीय नाद माना जाता है।  आहत नाद - संगीत के क्षेत्र में यही नाद उपयोग होता है ।आहत नाद का अर्थ है -आघात से उत्पन्न ध्वनि। अर्थात किसी भी यंत्र पर चोट करने से जो ध्वनि उत्पन्न होती है ।वह आहत नाद कहलाती है। परंतु वही ध्वनि आहत नाद कह लाएगी जो स्थिर हो ,नियमित हो ,और संगीतमय हो। हर तरह की ध्वनि आहत नाद नहीं कहलाएंगी ।अनुपयोगी  ध्वनियां केवल शोर कहलाती हैं ।आहत नाद नहीं। आइए जानते हैं संगीत में मधुर न...

संगीत से स्वास्थ्यय और उपचार

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   संगीत सरिता प्रवाह -सातवां अंक। संगीत से स्वास्थ्य और उपचार-  सभी जानते और समझते हैं कि जहां कर्कश ध्वनियां व्यक्ति की चिड़चिड़ाहट और ब्लड प्रेशर बढाती हैं, हैडेक बढ़ाती हैं, वहीं दूसरी ओर मधुर संगीत मन को शांति प्रदान करता है। अतः मन जब बहुत अशांत हो तो हम मंदिर में जाते है , संगीत सुनते हैं, या दीपक की जगमगाती लों देखते हैं । जिससे कुछ ही समय में मन‌स्थिति बदलती है तनाव कम होता है और धीरे- धीरे पौजिटिविटी आती है । आज दुनिया भर में संगीत थैरेपी प्रसिद्ध है जो प्राचीन काल से हमारे भारत में प्रचलित रही है । संगीत होता है ताजगी और ऊर्जा का स्रोत। संगीत शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम है। यह शरीर के समस्त तंत्रों पर अपना प्रभाव डालता है। मानसिक तंत्र रोगों पर तो यह विशेष रूप से अधिक प्रभावी सिद्ध हुआ है। आइये  जानते है इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी। संगीत चिकित्सा किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति के साथ प्रयोग करने पर यह अपने मानसिक प्रभाव के कारण रोगी के स्वस्थ होने की दर को बढ़ा देती है। संगीत चिकित्सा की यह एक विशेषता है कि यह शरीर के सारे अंगों और समस्त ...

संगीत के आक्सीजन वट वृक्ष " पलुस्कर

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 संगीत सरिता प्रवाह -अंक छः संगीत के आक्सीजन वट वृक्ष " पलुस्कर" हेय दृष्टि से देखा जाता था कभी संगीत !!पलुस्कर ने दिया उसको पुनर्जीवन। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रघुपति राघव राजा राम एक प्रसिद्ध गीत रहा है ।जो गांधी जी का विशेष प्रिय गीत रहा है। इस गीत की धुन का निर्माण किसने किया यह बहुत कम ही लोग जानते हैं ।आइए जानते हैं इस गीत की धुन कको कंपोज करने वाले संगीत आचार्य शिरोमणि विष्णु दिगंबर पलुस्कर की विषय में। दुनिया में भारत की पहचान की रेखाओं को रेखांकित करें या फिर भारत की ओर से दुनिया को देन की सूची तैयार करें, भारतीय संगीत दोनों ही तरफ अनिवार्य रूप से शामिल होगा. ।आज दुनियाभर में भारतीय संगीत (शास्त्रीय) के प्रति दीवानगी है ।न जाने कहां-कहां से लोग भारतीय संगीत सीखने-जानने-समझने अपने देश आ रहे हैं।न जाने कितने देशों में भारत के अनेकों कलाकार रहकर नाम, काम और दाम तीनों हासिल कर रहे हैं। लेकिन यह जो स्थिति आज है या कि पिछले करीब एक सदी से भारतीय संगीत का इतिहास सिर्फ स्वर्णिम ही स्वर्णिम दिखता है, वह सब इतनी आसानी से हासिल नहीं हुआ. इसे हासिल करने के लिए एक संगीतकार-क...

बसंत पंचमी पूजा -मां सरस्वती जी प्राकट्य दिवस 2022

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शुभकामनाओं सहित 🙏🙏  संगीत सरिता प्रवाह -विशेष अंक मां सरस्वती प्राकट्य दिवस यदि विधि विधान में कठिनाई हो तो ये सरस्वती वंदना ही है सब मंत्रों का सार ।  वीणा वादिनि मात शारदे ,जाड्य हमारा हर दे मां। वर दे बुद्धि प्रदायनि वर दे, प्रखर बुद्धि का वर दे मां। हम से हो कल्याण जगत का, अहित किसी का कभी न हो। परमारथ में जीवन जाये, स्वार्थ भावना कभी न हो। प्रेम नेम और क्षेम हृदय में , कूट कूट कर भरदे मां। वर दे बुद्धि---  देश प्रेम का पाठ पढ़ा दे , गुरुजन आदर सिखला दे। विद्या का भंडार हमें दे ,कर्म योग पथ दिखला दे। झुके हुए हैं , शीश हमारे, वरद हस्त सिर धरदे मां । वर दे बुद्धि--- (लेखक -श्रीयुत प्रेम चंद शर्मा) मां सरस्वती की विशेष पूजा-  : मां सरस्वती विद्या, बुद्धि संगीत साहित्य और कला की देवी  है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है। प्रत्येक साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 25 जनवरी दोपहर 12 बजे से लग रही है परन्तु मनायेंगे 26 जनवरी 2023  को उदया तिथि में।दिन  वृहस्पतिवार क...