बसंत पंचमी पूजा -मां सरस्वती जी प्राकट्य दिवस 2022

शुभकामनाओं सहित 🙏🙏

 संगीत सरिता प्रवाह -विशेष अंक मां सरस्वती प्राकट्य दिवस

यदि विधि विधान में कठिनाई हो तो ये सरस्वती वंदना ही है सब मंत्रों का सार ।

 वीणा वादिनि मात शारदे ,जाड्य हमारा हर दे मां।

वर दे बुद्धि प्रदायनि वर दे, प्रखर बुद्धि का वर दे मां।

हम से हो कल्याण जगत का, अहित किसी का कभी न हो।

परमारथ में जीवन जाये, स्वार्थ भावना कभी न हो।

प्रेम नेम और क्षेम हृदय में , कूट कूट कर भरदे मां।

वर दे बुद्धि---

 देश प्रेम का पाठ पढ़ा दे , गुरुजन आदर सिखला दे।

विद्या का भंडार हमें दे ,कर्म योग पथ दिखला दे।

झुके हुए हैं , शीश हमारे, वरद हस्त सिर धरदे मां ।

वर दे बुद्धि--- (लेखक -श्रीयुत प्रेम चंद शर्मा)

मां सरस्वती की विशेष पूजा-

 : मां सरस्वती विद्या, बुद्धि संगीत साहित्य और कला की देवी  है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है। प्रत्येक साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 25 जनवरी दोपहर 12 बजे से लग रही है परन्तु मनायेंगे 26 जनवरी 2023  को उदया तिथि में।दिन  वृहस्पतिवार को यह बड़ा ही शुभ योग बन रहा है भगवान नारायण, गुरु बृहस्पति और मां का प्राकट्य दिवस के साथ बसंत पंचमी मनाई जा रही है। जानकार मानते हैं कि विधिपूर्वक इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से भक्तों को देवी मां की कृपा से बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी खास बातें –


पूजा का मुहूर्त:-

पूजा का मुहूर्त:माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि गुरुवार, 26 जनवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन शुक्रवार,27 जनवरी  को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट यानि 5 घंटे 28 मिनट तक का रहेगा.


बसंत पंचमी का महत्व: ये पर्व बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक है, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसका अर्थ है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन लोग बगैर पंचांग देखे दिन भर में कभी भी अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं। वहीं, कई लोग इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने का भी विधान है।

क्या है पूजा विधि: इस दिन केवल घरों में ही नहीं, शिक्षण संस्थानों में भी मां सरस्वती की पूजा आयोजित की जाती है। प्रातः जल्दी उठकर नहा-धो लें और पूजा घर की साफ-सफाई करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें और उन्हें पुष्प अर्पित करें। उनके मंत्रों का जाप करें। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना बेहतर होगा। इस दिन पीला रंग का कुछ मीठा पकवान बनाएं। खासकर पीले चावल खाने को इस दिन उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा करने का भी विधान है।


देवी सरस्वती के मंत्र: 

श्लोक – ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च


वंदना – या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥


छोटे बच्चों का करें पुस्तक पूजन

सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। आज के दिन छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान करवाना सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन उनका पुस्तक पूजन करने से वो अधिक बुद्धिमान बनते हैं।


 हंस का महत्व

हंस माता सरस्वती का वाहन है। हंस को लेकर कहा जाता है कि वो अपने विवेक से पानी मिले दूध से दूध अलग कर लेता है। इस प्रकार हंस हमें यह संदेश देता है कि हम भी लाभप्रद और कल्याणकारी रास्ते ही चुने और अपना जीवन विवेकपूर्ण ढंग से व्यतीत करें।


इस तरह करें ज्ञान का विस्तार…

विद्या और ज्ञान बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब बच्चों को किताबें-कॉपियां, कलम और पढ़ाई के लिए जरूरी चीजें बांटनी चाहिए।

सरस्वती गायत्री मंत्र क्या है…

‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।’


इसके जाप से विद्या में वृद्धि की है मान्यता…

‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरितोय हाथ जोड़ अर्जी करूं विद्या वर दे मोय।’


इन कार्यों की शुरुआत करने की है मान्यता…

बसंत पंचमी का दिन नई विद्या, कला, संगीत आदि सीखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। छोटे बच्चों की पढ़ाई भी इसी दिन से शुरू करवाई जाती है। इस दिन गृह प्रवेश या नए मकान बनाने का काम भी शुरू करते हैं।


इनकी पूजा का भी है विधान…

ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन, षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है।


माघ माह की शुक्ल पंचमी यानी बसंत पंचमी…

माघ माह की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी कहते हैं और इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से संवर जाती है. खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछी होती है और कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है


सरस्वती पूजा धार्मिक कथा…

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।


कैसे करें मां सरस्वती की पूजा…

इस दिन प्रातः स्नानादि के पश्चात सफेद या फिर पीले वस्त्र पहनकर सबसे पहले पूरे विधि-विधान से कलश स्थापित करें। फिर चन्दन , सफेद वस्त्र , फूल , दही-मक्खन , सफ़ेद तिल का लड्डू , अक्षत , घृत , नारियल और इसका जल , श्रीफल , बेर इत्यादि अर्पित करें।


इस दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती को पीले या सफेद पुष्प जरूर अर्पित करने चाहिए। प्रसाद में मिसरी, दही व लावा आदि का प्रयोग करना चाहिए।

पूजा करने के दौरान इन बातों का रखें ख्याल…

मां सरस्वती की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शुरू करनी चाहिए। बसंत पंचमी के दिन पूजा सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे में करनी चाहिए।


सरला भारद्वाज

4/5/22


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