संगीत से स्वास्थ्यय और उपचार

  संगीत सरिता प्रवाह -सातवां अंक।

संगीत से स्वास्थ्य और उपचार-

 सभी जानते और समझते हैं कि जहां कर्कश ध्वनियां व्यक्ति की चिड़चिड़ाहट और ब्लड प्रेशर बढाती हैं, हैडेक बढ़ाती हैं, वहीं दूसरी ओर मधुर संगीत मन को शांति प्रदान करता है। अतः मन जब बहुत अशांत हो तो हम मंदिर में जाते है , संगीत सुनते हैं, या दीपक की जगमगाती लों देखते हैं । जिससे कुछ ही समय में मन‌स्थिति बदलती है तनाव कम होता है और धीरे- धीरे पौजिटिविटी आती है ।

आज दुनिया भर में संगीत थैरेपी प्रसिद्ध है जो प्राचीन काल से हमारे भारत में प्रचलित रही है । संगीत होता है ताजगी और ऊर्जा का स्रोत।

संगीत शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम है। यह शरीर के समस्त तंत्रों पर अपना प्रभाव डालता है। मानसिक तंत्र रोगों पर तो यह विशेष रूप से अधिक प्रभावी सिद्ध हुआ है।


आइये  जानते है इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी।

संगीत चिकित्सा किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति के साथ प्रयोग करने पर यह अपने मानसिक प्रभाव के कारण रोगी के स्वस्थ होने की दर को बढ़ा देती है। संगीत चिकित्सा की यह एक विशेषता है कि यह शरीर के सारे अंगों और समस्त शारीरिक कार्यप्रणाली पर उत्तेजना व शिथिलन दोनों तरह से प्रभाव डालती है। संगीत का यह प्रभाव रोग एवं संगीत की प्रकृति पर निर्भर करता है। आइये जानते हैं कि कौन सा राग किस रोग के इलाज के लिए उपयोगी होता है।


 विविध रोग में उपयोगी राग -

* मानसिक रोगों में उपयोगी राग ललित और केदार।

*हड्डियों  के रोग में -राग : यमन, कल्याण, नट भैरव, हिन्डौल, जोनपुरी। 

 *अस्थमा-,  भैरवी ,श्री शुद्ध कल्याण, मालकोंस ,ललित।

* ब्लड प्रेशर में विशेष लाभकारी-राग : हिण्डौल, पूरिया, कौशिक कानडा, तोडी, पूर्वी, मुल्तानी। लो व हाई ब्लड प्रेशर में विशेष लाभकारी - लाभकारी भैरवी ,भूपाली।

*हृदय रोग -राग  दरबारी ,सारंग।

अनिद्रा- सोहनी राग।

*एसिडिटी- खमाज राग।

*डिप्रेशन- विहाग ,मधुमंती।

*कमजोरी- जैजैवंती।

*खून की कमी- राग पीलू।

*याद्दाश्त- राग शिवरंजनी।

*सिरदर्द- भैरव।

 इनमें से कुछ प्रयोग हमने अपने घर में किए जो कामयाब रहे।


साभार -सरला भारद्वाज।

19/2/22





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