कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

 





कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने

कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

कविता के पंख लगा उड़ने के माने

चिड़िया क्या जाने?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने

फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने।

कविता का मूल भाव:

चिड़िया के बहाने:

कविता चिड़िया की उड़ान के माध्यम से कविता की असीम उड़ान को दर्शाती है। चिड़िया एक सीमा तक ही उड़ सकती है, लेकिन कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं है, as per Hindwi.

फूल के बहाने:

कविता फूल के खिलने और मुरझाने के माध्यम से कविता के शाश्वत होने का वर्णन करती है। फूल एक निश्चित समय तक ही खिलता है, लेकिन कविता हमेशा महकती रहती है,.

बच्चे के बहाने:

कविता बच्चे के खेल के माध्यम से कविता की रचनात्मकता और असीम संभावनाओं को दर्शाती है। बच्चे बिना किसी सीमा के कल्पना करते हैं,

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1.कविता किसके समान होती है?

उत्तर: कविता बच्चे के समान होती है।

2.कविता की सुगंध कब तक रहती है?

उत्तर: कविता फूलों की तरह मुरझाती नहीं है, इसलिए इसकी सुगंध चिरकाल तक रहती है।

सीधी बात किस वजह से टेढ़ी हो जाती है?

उत्तर: भाषा और शब्दों के गलत चयन से सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।

भाषा की जटिलता को समझाने के लिए कवि ने किस चीज़ का उदहारण दिया है|

उत्तर: कवि ने भाषा की जटिलता को समझाने के कील का उदहारण दिया है।

5.फूलो की सुंगंध कब तक रहती है?

उत्तर: फूलो की सुगंध उनके मुरझाने तक रहती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2अंक)

6.चिड़िया की उड़ान और कवि की कल्पना में क्या संबंध है?

उत्तर: वैसे तो चिड़िया की उड़ान कवि की कल्पनाओं को प्रेरित करती है| लेकिन चिड़िया आकाश में एक निश्चित उंचाई तक ही उड़ सकती है, जबकि कवि की कल्पनाओ की उड़ान असीमित होती है| 

7.किसी कविता या फूल में क्या संबंध है?

उत्तर: जिस तरह फूलो से सुगंध आती है उस तरह ही कविता भी सुगंध बिखेरती हैं| किसी फुल की सुगंध मानव शरीर को सुगन्धित करती हैं तो कविता की सुगंध मानव मन को सुगन्धित कर देती है| फूलो की सुगंध उनके मुरझाने के बाद ख़त्म हो जाती है| लेकिन कविताओं की सुगंध सदैव के लिए रहती है| 

8.कविता तथा बच्चों में क्या संबंध हैं?

उत्तर: कविता और बच्चो में समानता होती है| जिस तरह बच्चो की कल्पनाएँ असीमित होती हैं उस प्रकार कवि की कल्पना भी असमिति होती है| बच्चो का मन भी निश्छल होता है| बच्चे हर तरह के भेद-भाव और द्वेष से मुक्त होतें हैं| ऐसे ही कविता लिखते समय कवि को भी निश्छल और भेद-भाव से मुक्त रहना चाहिए| 

कवि की भाषा शैली से कविता का मूल भाव कैसे खो गया?

उत्तर: कवि अपनी कविता के माध्यम से जो मूल भाव प्रकट करना चाहते थे, भाषा की जटिलता में फंस कर उस भाव से भटक गए| कवि शब्दों के जाल में ऐसे उलझ गए कि वो कविता के मूलभाव से पूरी तरह भटक गए| जिस कारण कविता का मूलभाव खो गया| 

10.कवि को उसकी कविता के लिए प्रशंसा कब मिलती हैं?

उत्तर: जब कवि अपनी कविता में जटिल शब्दों और अलंकारों का उपयोग करता है, तो उससे उस कविता का अर्थ समझ पाना तो जटिल होता है| लेकिन वो जटिल शब्द और अलंकार उस कविता को सुन्दर बना देते हैं| पाठको को भले उस कविता का मूल अर्थ समझ ना आयें लेकिन कविता के अलंकार और जटिल शब्दोकी सुन्दरता के कारण पाठक कविता की प्रशंशा ज़रुर करते हैं| इस कविता में भी जटिल शब्द और अलंकार पाठको को प्रशंसा योग्य लगे और इस कविता को पाठकों की प्रशंशा प्राप्त हुई| 

लघु उत्तरीय प्रश्न (3अंक)

कविता के सन्दर्भ में कवि के क्या विचार हैं?

उत्तर: कवि के अनुसार किसी भी कवि को कविता लिखते समय सभी पूर्वाग्रह, भेद और द्वेष से मुक्त रहकर काव्य रचना करनी चाहिए| काव्य रचना जनजागृति के लिए होनी चाहिए| कविता के अम्ध्यम से किसी भी वर्ग या पंथ के प्रति द्वेष का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए| जिस तरह बच्चे खलेते समय आपस में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं करते हैं ठीक इस प्रकार ही कविता भी बच्चो की खेल भावना की तरह ही होनी चाहिए| जहाँ किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं होना चाहिए| 

12.कविता अपनी सुगंध किस प्रकार फैलाती है ?

उत्तर: जिस प्रकार फूल सुगंध बिखेरते हैं और वातावरण को महकातें हैं, उस प्रकार ही कविता भी सुगंध बिखेरती हैं और मानव मन को तृप्त करती है| कविता भी फूलो की तरह रंग-बिरंगी और खुबसूरत होती हैं| लेकिन कविता फूलो से एक बात में अलग होतीं हैं| फूलो की एक आयुसीमा होती है और एक समय के पश्चात फुल मुरझा जातें हैं| मुरझाने के बाद फूलो की सुन्दरता और उनकी सुगंध भी समाप्त हो जाती है| लेकिन कविता की सुगंध और सौंदर्य चिरकाल तक बना रहता है और कविता अपनी सुगंध हमेशा बिखेरती रहती हैं|  

भाषा का प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए?

उत्तर: भाषा का उपयोग सहजता और शालीनता से करना चाहिए| किसी भाषा में असंख्य शब्द और अलंकार होते हैं| गलत शब्दों के चयन से कविता का मूल भाव भी गलत हो जता है| ये कवि पर निर्भर करता है कि वो काव्य रचना में सही शबदो का चयन करें और उचित अलंकारों का उपयोग करे| कवि को कविता में शब्दों और अलंकारों का उपयोग उचित सन्दर्भ में करना चाहिए| जिससे कविता का मूलभाव सुन्दर और प्रेरक बने| इसलिए कवि कहते हैं कि भाषा का प्रयोग सहूलियत से करना चाहिए। 

कुंवर नारायण का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।

उत्तर: कुंवर नारायण का जन्म 1927 को फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई| कुंवर नारायण, अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के प्रमुख कवियों में से एक थे| इनकी प्रमुख रचनाएं चक्रव्यूह, परिवेश, अपने सामने, हाशिए के बहाने, कविता के बहाने, कोई दूसरा नहीं और हम-तुम आदि हैं| इन्हे कबीर सम्मान, व्यास सम्मान, लोहिया सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा केरल के कुमारन आशान पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया था| इनकी मृत्यु 2017 में हुई थी| 

“बात सीधी थी पर एक बार ……… बात और भी परचीदा होती चली गई|” इन पंक्तियों के शिल्प सौंदर्य की व्याख्या कीजिये।

उत्तर: (क) इस पंक्ति में खड़ी हिंदी बोली का उपयोग किया गया है।

(ख) इन पंक्तियों की भाषा सरल और सहज है।

(ग) इन पंक्तियों की रचना मुक्त छंद में की गयी है।

(घ) इन पंक्तियों में सुन्दरता के साथ मुहावरों का उपयोग किया गया है, जैसे- परचिदा होना ।       

(ड़) इन पंक्तियों में पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 5अंक)

16.कवि कविता को किस प्रकार लिखता है और एक कविता मानव जीवन को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर: कवि के अनुसार कविता की रचना के लिए कवि को कल्पना की ऊँची उड़ान भरनी पड़ती है| जिस प्रकार पक्षी उड़ते हैं, ऐसे ही कवि की कल्पनाएँ भी उड़ान भरती हैं| पक्षी की उड़ान एक निश्चित उंचाई तक होती है लेकिन कवि की कल्पनाओ की उड़ान असीमित होती है| पक्षी अपने पंखो से उड़ता है तो कविता, कवि की कल्पनाओं के पंखो पर सवार होकर उड़ान भरती है| कविता भी फूलो की तरह सुगंध बिखेरती है और लोगो के मन को सुगन्धित करती है| जैसे फुल रंगबिरंगे और सुन्दर होतें हैं| ऐसे ही कवि भी शब्दों और अलंकारों के उपयोग से कविता को रंग-बिरंगा और सुन्दर बना देता है| कविताओं की सुन्दरता और सुगंध चीर काल तक बनी रहती है| कवि, कविता के माध्यम से उचित शब्दों और अलंकारों के चयन से अपने मन के भाव अभिव्यक्त करता है| पाठको से प्राप्त होने वाली प्रशंशा, किसी भी कविता के प्राण की तरह होती है|    

कविता और बच्चो के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: कविता भी बच्चो की तरह निश्चल और स्वतंत्र होती है| जिस प्रकार बच्चे खेलते समय किसी भी प्रकार का भेद-भाव आपस में नहीं करतें हैं| उस तरह ही कविता भी भेद-भाव से मुक्त होती है| जैसे बच्चो की कल्पनाएँ स्वतंत्र होती हैं, ऐसे ही कविता भी स्वतंत्र भाव से लिखी जाती हैं| जैसे किसी शरारती बच्चे की शरारत को समझ पाना मुश्किल होता है| ऐसे ही कविता जब शब्दों और अलंकारों की जटिलता के ज़ाल में उलझ जाती है तो उसके भाव को समझ पाना मुश्किल हो जाता है| उलझी हुई कविता को समझने का कितना भी प्रयास क्यों ना किया जाए, वो हाथ से फिसला जाती है, ठीक किसी शरारती बच्चे की तरह| कविता भी बच्चो की कल्पना के सामन असीमित उड़ान भरती है और बच्चो के सामान ही मासूम, निश्छल और भेद-भव या द्वेष से मुक्त होती है| 

भाषा किसी बात को किस प्रकार प्रभावित करती है?

उत्तर: भाषा ही आपसी संवाद का माध्यम है| हमें यदि किसी से कुछ पूछना है या उसे कुछ बताना है तो इसके लिए हमें उससे बात करनी पड़ेगी| बात करने के लिए भाषा की ज़रूरत होती है| इस प्रकार बात और भाषा एक दुसरे की पूरक होतीं हैं| किसी से बात करते समय हमारी भाषा शैली कैसी है और हम कैसे शब्दों का चयन कर रहें हैं? ये महत्वपूर्ण होता है| यदि हम बात करते समय जटिल भाषा का उपयोग करते हैं, तो हो सकता है कि वो सामने वाले को समझ ही ना आयें| इस प्रकार ही हम बात करते समय कैसे शब्दों का चयन कर रहें हैं, ये भी महत्वपूर्ण है| गलत शब्दों का चयन हमारी बात के अर्थ को भी गलत बना सकता है| इसलिए भाषा और शब्दों का चयन बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए| भाषा के बिना कोई भी व्यक्ति अपने भाव और अपनी बात को दुसरे तक पहुँचा ही नहीं पायेगा| विभिन्न प्रकार के असंख्य शब्दों को जोड़कर भाषा बनती है| किसी भी बात के लिए भाषा का होना बहुत ज़रूरी है| विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए भषा ही एकमात्र माध्यम है| 

उन पंक्तियों को लिखिए, जिनमें भाषा की जटिलता का वर्णन किया गया है? तथा उन पंक्तियों का आशय भी स्पष्ट करें। 

उत्तर: निम्नलिखित पंक्तियों से कवि ने भाषा की जटिलता को प्रदर्शित किया है– 

“ जोर जबरदस्ती से

बात की चूड़ी मर गई 

और वह भाषा में बेकार घूमने लगी ।”

इन पंक्तियों से कवि का आशय है कि एक बार जब वो सरल बात लिखने का प्रयास कर रहे थे| तो वो भाषा की जटिलता में इस प्रकार उलझते चले गए कि वो अपने मूल भाव को अभिव्यक्त ही नहीं कर पाए| कवि इस घटना को एक चूड़ी वाली कील के माध्यम से समझाने की कोशिश करता है| कवि कहता है कि जिस प्रकार किसी कील की चूड़ियां बेकार हो जाने पर वो किसी काम की नहीं रह जाती| उसे कील को दिवार में सीधे ठोकना पड़ता है| उस तरह ही जटिल भाषा से कविता भी अपना प्रभाव खो देती है और अपने मूल भाव से भटक जाती है| पाठको के लिए ऐसी कविता को समझ पाना कठिन हो जाता है| और इस तरह कविता मूल्यहीन हो जाती है|

कविता “कविता के बहाने” का सारांश लिखिए । 

उत्तर: कवि अपनी कविता में कविता की तुलना फूलों, चिड़ियाँ तथा बच्चो से कर रहें हैं| कवि अपनी तुलना में कविता और इनके मध्य की समानता और भिन्नता को भी बताते हैं| कवि कहतें हैं की जिस प्रकार चिड़िया उड़ती है, ऐसे ही कविता भी कल्पना के पंखो से उड़ान भरती है| लेकिन चिड़िया की उड़ान सिमित होती है| जबकि कविता की उड़ान असीमित होती है| कविता भी फूलो की तरह सुगंध बिखेरती है और रंग-बिरंगी और सुन्दर होती है| फूलो की सुगंध किसी के शरीर को सुंगंधित करती है, तो कविता पाठक के मन को सुगन्धित करती है| लेकिन फुल मुरझा कर अपनी सुगंध और सुन्दरता खो देते हैं| लेकिन कविता की सुगंध और सुन्दरता चिरकाल तक बनी रहती है| कविता बच्चो की तरह निष्कपट और भेद-भाव से मुक्त होती है| कविता भी बच्चो की कल्पनाओं की तरह असीमित और द्वेष से मुक्त होती है| जिस प्रकार बच्चे खेलते समय आपस में कोई भेद-भाव नहीं करते हैं| इस प्रकार ही कविता भी किसी से कोई भेद-भाव नहीं रखती है| कवि कहतें हैं कि कविता लिखते समय कवि को भी बच्चो के सामान निश्छल और भेद-भाव से मुक्त रहना चाहिए|


*कविता -बात सीधी थी पर *

लिए उसे सही दिशा में धूमाना पढता है क्योंकि गलत दिशा में धुमाने से पेंच कसने के बजाय खुलने लगता है और जबरदस्ती कसने की कोशिश करने पर पेंच के खाँचे खत्म होकर टूट जाते हैं। ठीक यही बात कवि पर भी लागू होती है। बात को सही तरीके से कैसे कहा जाय या कैसे लिखा जाए, ताकि वह लोगों की समझ में आसानी से आ सके। इस समस्या को धैर्यपूर्वक समझे बिना कवि कविता के शब्दों को तोड़-मरोड़ कर भाषा को और अधिक जटिल बनाता चला गया। कविता में प्रभावशाली व् जटिल शब्दों के प्रयोग से तमाशा देखने वाले अर्थात कविता पढ़ने व् सुनने वाले कवि की प्रशंसा करने लगे क्योंकि कविता देखने व् सुनने में तो प्रभावशाली लग रही थी। परन्तु अंत में वही हुआ जिसका कवि को डर था। जटिल भाषा का प्रयोग करने से दिखने व् सुनने में तो कवि की कविता सुंदर तो दिखने लगी परन्तु उसके भाव किसी को भी समझ में नहीं आ रहे थे। और भाव स्पष्ट करने के लिए जब कवि ने जोर-जबरदस्ती भाषा में बदलाव किए तो कविता प्रभावहीन व उद्देश्यहीन हो गई और कविता केवल शब्दों के आसपास घूमती नज़र आने लगी। 



काव्यांश 3-

हार कर मैंने उसे कील की तरह

उसी जगह ठोंक दिया।

ऊपर से ठीकठाक

पर अंदर से

न तो उसमें कसाव था

न ताकत!

बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह

मुझसे खेल रही थी,

मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-

“क्या तुमने भाषा को

सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”



कठिन शब्द –

ठोंकना – किसी चीज को किसी दूसरी चीज के अन्दर गड़ाना, जमाना, धंसाना

कसाव – खिचाव, गहराई

सहूलियत – सहजता, सुविधा

बरतना – व्यवहार में लाना


 व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि आखिर में जब कवि अपनी बात अथवा अपने भाव स्पष्ट नहीं कर सका तो उसने अपनी बात को वहीं पर छोड़ दिया जैसे पेंच की चूड़ी समाप्त होने पर उसे कील की तरह ठोंक दिया जाता है। कहने का अभिप्राय यह है कि जब कवि हर तरह से बदलाव करने पर भी अपनी बात को स्पष्ट नहीं कर सका तो कवि ने अपनी कविता को उसी तरह छोड़ दिया जिस तरह पेंच को अंत में ठोक दिया जाता है। जिस स्थिति में कवि की कविता थी वह बाहर से देखने पर तो कविता जैसी लगती थी, परंतु उसमें भावों की गहराई नहीं थी, उसके शब्दों में ताकत नहीं थी। कहने का अर्थ है कि कविता प्रभावशाली नहीं थी। जब कवि अपनी बात स्पष्ट न कर सका तो बात ने एक शरारती बच्चे के समान, पसीना पोंछते कवि से पूछा कि क्या तुमने कभी भाषा को सरलता, सहजता और सुविधा से प्रयोग करना नहीं सीखा है। कहने का अभिप्राय यह है कि अच्छी बात को कहने के लिए और अच्छी कविता को बनाने के लिए सही भाषा व सही शब्दों का, सही बात अथवा भाव से जुड़ना आवश्यक है। तभी उसे समझने में आसानी होगी।



बात सीधी थी पर" कुँवर नारायण द्वारा लिखी गई एक कविता है, जिसका मूल भाव भाषा के चक्कर में सीधी बात के उलझ जाने और फिर उसे सहजता से व्यक्त करने की कठिनाई है। 

कविता का सारांश:

कवि कहता है कि बात तो सीधी थी, लेकिन भाषा के प्रयोग ने उसे जटिल बना दिया।

उसे सुलझाने की कोशिश में, कवि ने और भी उलझा दिया।

अंततः, बात का प्रभाव खत्म हो गया और वह शब्दों का एक समूह बनकर रह गई।

कवि को डर था कि भाषा के साथ जबरदस्ती करने से बात का प्रभाव खत्म हो जाएगा, और वही हुआ।

कवि ने अंत में हार मानकर, बात को "कील की तरह" उसी जगह ठोक दिया, यानी बात को बिना किसी प्रभाव के छोड़ दिया। 

कविता का संदेश:

यह कविता भाषा के महत्व और उसके सही प्रयोग पर जोर देती है।

कवि यह कहना चाहता है कि सीधी बात को भी, अगर सही तरीके से नहीं कहा जाए, तो वह उलझ सकती है और उसका प्रभाव खत्म हो सकता है।

कविता में, कवि ने भाषा के साथ की गई "जबरदस्ती" पर व्यंग्य किया है, जो बात को और भी जटिल बना देती है।

यह कविता सरल भाषा के महत्व को दर्शाती है और यह भी बताती है कि शब्दों का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है।

कवि ने भाषा के साथ "सहूलियत से बरतना" सीखने की बात कही है, जिसका अर्थ है कि भाषा का प्रयोग सहजता और सरलता से करना चाहिए। 

मुख्य बातें:

भाषा का महत्व:

कविता भाषा के महत्व और उसके सही प्रयोग पर प्रकाश डालती है। 

सरलता:

सीधी बात को भी जटिल बनाया जा सकता है, अगर उसे सही तरीके से व्यक्त न किया जाए। 

भाषा के साथ जबरदस्ती:

कविता में भाषा के साथ की गई "जबरदस्ती" पर व्यंग्य किया गया है। 

सहजता:

कविता में सहज भाषा के प्रयोग पर जोर दिया गया है।


प्रश्न अभ्यास 

1. कविता का मूल भाव क्या है?

उत्तर: कविता का मूल भाव भाषा की सहजता और सरलता है। कवि ने यह दर्शाया है कि सीधी बात भी कभी-कभी जटिल हो जाती है और उसे स्पष्ट रूप से कहने के लिए सही शब्दों का चयन करना आवश्यक है। 

2. कवि ने 'बात' को 'कील' के समान क्यों बताया है?

उत्तर: कवि ने 'बात' को 'कील' के समान इसलिए बताया है क्योंकि जिस प्रकार कील को दीवार में ठोकने के लिए सही दिशा और दबाव की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार अपनी बात को स्पष्ट रूप से कहने के लिए सही शब्दों और भावों का चयन करना आवश्यक है। 

3. कविता में 'भाषा' और 'कथ्य' के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: कविता में भाषा और कथ्य (विषय) के बीच गहरा संबंध है। कवि का मानना है कि यदि भाषा कथ्य के अनुकूल नहीं है, तो बात प्रभावी नहीं रह पाती। 

4. कवि ने 'बात' को 'शारीरिक बल' से न कहकर 'भाषा' से जोड़ने की बात क्यों कही?

उत्तर: कवि ने 'बात' को 'शारीरिक बल' से न कहकर 'भाषा' से जोड़ने की बात इसलिए कही है, क्योंकि भाषा का प्रयोग विचारों को संप्रेषित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। शारीरिक बल का प्रयोग अनुचित और अनावश्यक है। 

5. कविता में 'सरल बात' को 'जटिल' होने से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: 'सरल बात' को 'जटिल' होने से तात्पर्य है कि कभी-कभी हम अपनी बात को स्पष्ट रूप से कहने की कोशिश में उसे और अधिक उलझा देते हैं। 

6. कविता में कवि ने भाषा के प्रयोग में किस बात पर जोर दिया है?

उत्तर: कविता में कवि ने भाषा के प्रयोग में सहजता, सरलता और स्पष्टता पर जोर दिया है। 

7. 'बात सीधी थी पर' कविता किस प्रकार की भाषा का प्रयोग करती है?

उत्तर: 'बात सीधी थी पर' कविता सहज, सरल और बोलचाल की भाषा का प्रयोग करती है। 

8. कविता में 'भाषा' और 'भाव' के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: कविता में 'भाषा' और 'भाव' के बीच गहरा संबंध है। कवि का मानना है कि भाषा को भावों के अनुरूप होना चाहिए ताकि वह बात प्रभावी ढंग से संप्रेषित हो सके। 

9. 'बात सीधी थी पर' कविता का संदेश क्या है?

उत्तर: 'बात सीधी थी पर' कविता का संदेश यह है कि भाषा का प्रयोग करते समय सहजता, सरलता और स्पष्टता का ध्यान रखना चाहिए। 

10. इस कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर: इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी बात को स्पष्ट रूप से कहने के लिए सही शब्दों का चयन करना चाहिए और भाषा के प्रयोग में सहजता और सरलता का ध्यान रखना चाहिए। 

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