कहानी -झुनझुना वाले बाबा
*कहानी*
*झुनझुना वाले बाबा*
एक परिवार में सब बड़े मिलजुलकर रहते थे ,साथ हंसते गाते और सहयोग भाव से आगे बढ़ते जाते थे। सभी को समान सम्मान और अवसर मिलते थे ।एक दिन उस परिवार उम्रदराज असक्त व्यक्ति ने धुंधली दृष्टि के कारण दूषित जल पी लिया। संवेदनशील परिवार को आत्मबोध हुआ कि बाबा को कोई कष्ट न हो ,और एक झुनझुना थमा दिया और कहा कि जब भी कभी कोई आवश्यकता हो इस झुनझुने को बजा देना ,हम दौड़े चले आएंगे। बाबा को झुनझुना आवश्यकता के लिए बजाना था पर झुनझुने पर दूसरों को दौड़ाने में उन्हें आनंद आने लगा।अब वे बाबा झुनझुना यूं ही बजाने लगे।अब उन्हें एक नयी तरकीब सूझी , झुनझुना के तारों से टेड़ा मेड़ा एक चश्मा बनाया और अपने ईर्ष्यालु मित्र को पहनाया और कहा कि इस झुनझुने में बड़ी ताकत है ।सब नाचते हैं इसके आगे। इससे बना यह चश्मा भी कमाल है !इसे पहनकर जरा मेरे खेतों पर जाओ और मेरे परिवार को लहलहाती फसल में क्या कमी है बताओं! झुनझुने की झनक के नशा में ईर्ष्यालु मित्र दौड़ा। लहलहाती फसल को देखकर छाती पर सांप लोट गया ।उसने कहा-फसल कुछ ज्यादा ही लहलहाती है।लगता है पडौस के खेत की शक्ति खींच ली हैं।यह इतनी अच्छी नहीं होनी चाहिए कि दूसरे की फसल सांस न ले सके। परिवार के सदस्य इसका समाधान और सुझाव दें।
*पाठक समाधान दें*
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(क) हमें अच्छी क़िस्म के बीज नहीं डालना चाहिए दूसरों का भी ध्यान रखें।
(ख)हम अगर खरपतवार न निकालें तो समस्या खुद सुलझ जाएगी।
(ग) हमें वैज्ञानिक नहीं पारंपरिक खेती करनी चाहिए।
(घ) पडौसी भी हमारी तरह उन्नत वैज्ञानिक आधुनिक खेती करे और अपनी फसल पुष्ट बनाएं।
सरला भारद्वाज (पथिक)
13/5/259pm
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