कक्षा 12 हिंदी में मोस्ट इंर्पोटेंट

 हिंदी 12 बोर्ड के सर्वाधिक संभावित प्रश्न-

पिछले 5 वर्षों में लगातार पूछे गए-

पद्य भाग-

अध्याय एक-आत्म परिचय,दिन जल्दी जल्दी ढलता है

1.दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता में कवि ने प्रेमकी व्याकुलता और व्यग्रता है ।पथिक को अपने प्रिय जनों से जल्दी मिलने की चाह है। इसलिए वह जल्दी-जल्दी चलने का प्रयास करता है। ठीक इसी प्रकार  पंछी अपने बच्चों से मिलने के विषय में सोचते ही अपने पंखों में गति भर लेते हैं।वे जल्दी से जल्दी अपने बच्चों के पास नीड़ की ओर लौट रहे हैं परन्तु कवि अकेला है ।उसकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं है इसलिए उसके कदमों की चाल शिथिल है।मन में व्याकुलता है। कवि बच्चन का मानना है कि जीवन में गति का कारण प्रेम है।

2.पंथी क्या सोच रहा है और क्यों?

कविता में कवि पक्षियों की तरह अपने घर लौटने को आतुर क्यों नहीं?

उत्तर -पंथी सोच रहा है कि दिन भर चलकर अब मैं अपनी मंजिल के समीप पहुंचने वाला हूं परंतु मंजिल तक पहुंचने से पहले कहीं रात न हो जाए।  फिर अचानक से विचार आता है कि इन पक्षियों का इंतजार इनके बच्चे कर रहे होंगे,रात हो या ना हो, घर पर मेरा इंतजार करने वाला कोई नहीं। उसका मन शिथिल हो जाता है।

3-कवि के अनुसार शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है?

उत्तर -कवि के अनुसार शीतल वाणी में आग के होने का अभिप्राय है ऐसी वाणी जिसमें भले ही शीतलता प्रकट होती है लेकिन उसमें जोश भरा हो। वाणी भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है,और भावों का  घर है हृदय। कवि कोमल और शांत भाव से कविता लिख रहा है परंतु उसके अंदर अत्यधिक वैचारिक उथल पुथल है।उसके हृदय में आग छिपी है।कवि के सामान्य शब्दों में भी शक्ति, क्षमता और क्रांति की आग है। वास्तव में वह अपनी वाणी से सोए हुए जनमानस को जगाना चाहता है और चेतना का संचार करना चाहता है।इसी भाव को विरोधाभास अलंकार युक्त शैली में लिखते हुए कवि कहता है "शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूं!"

अध्याय2 पतंग -

1.आप कैसे कह सकते हैं कि कवि ने  पतंग कविता में बाल सुलभ साहस 
और एवं आकांक्षाओं का सुंदर चित्रण किया है ? स्पष्ट करें। 
अथवा 
पतंग कविता का मूल भाव स्पष्ट करें।

अथवा -पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना किससे की  है और क्यों?

उत्तर -पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना पतंग

और रुई से की है। पतंग के माध्यम से बाल सुलभ इच्छाओं  और उत्साह का चित्रण किया गया है। बालसुलभ क्रियाकलाप ,मौसम के परिवर्तन,और परिवर्तन प्राकृतिक सौंदर्य, की अभिव्यक्ति हेतु कविता में सुंदर बिंदुओं का उपयोग किया गया है। बच्चोंकी उमंगों का रंग बिरंगा सपना है -पतंग। जब यह पतंगे आकाश में उड़ती हैं तो तितलियां जैसी लगती है और सभी का मनअपनी और आकर्षित करती हैं। बालों को बड़ा इन्हें अपनी हाथोंसे छूना चाहता है और उसके पर जाना चाहता है। इस प्रक्रिया में गिरने वाले और गिरकर संभालने वाले बच्चे भी शामिल हैं। वास्तव में पतंग उनकी इच्छा स्वतंत्रता ,स्वच्छंदता, उमंग, साहस ,उत्साह आदि का प्रतीक है।


2-पतंग कविता में बच्चों द्वारा दिशाओं को मृदंग की तरह बजानेसे कवि से कवि का क्या आशय है।

उत्तर -जब बच्चे छत पर चल रहे होते हैं दौड़ रहे होती हैं ,तब उनके पैरों के पद जाप  से मृदंग जैसी  ध्वनि  प्रतीत होती हैं। ऐसा लगता है जैसे मृदंग बज रहा है ।यह ध्वनि बालकों के दौड़ने की दिशा से आती है। 

3.पतंग कविता के आधार पर शरद ऋतु का बम अपने शब्दों में स्पष्टकीजिए?

उत्तर -पतंग कविता में शरद ऋतु के लिए अत्यंत कलात्मक ढंग से बिंबो का प्रयोग किया गया है। कविने  सवेरे करके लिए खरगोश की लालआंखों जैसा दृश्य बिंब, तथा  जोर जोर से घंटी बजाते हुए शरद का आना श्रव्य बिंब का प्रयोग किया गया है। साइकिल चलाते हुए बालक का आना बिंब बड़ा कलात्मक बन पड़ा है।

गद्य भाग-

अध्याय 10 भक्तिन-

1-*भक्ति की बेटी के मामले में पंचायतके फैसले पर टिप्पणी कीजिए। ऐसे रवैया से कैसे निपटा जा सकता है?

*भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा पति थोप देने की घटना के विरोध में टिप्पणीकीजिए।

*भक्ति की बेटी पर पंचायत द्वारा पति को क्यों थोप गया इस घटना के विरोध में दो तर्क दीजिए।

उत्तर -भक्ति की बेटी के मामले में पंचायत का फैसला पुरुषवादी मानसिकता का द्योतक है। क्योंकि उसे समय स्त्रियोंको कोई फैसला लेनेका अधिकार नहीं था। महादेवी वर्मा के समय के भारत में उनकी इच्छा को अनदेखा कर दिया जाता था। लड़कियों को अपनी इच्छा के अनुसार वर चुनने की स्वतंत्रता नहीं थी। भक्ति कीबेटी के भी यही हुआ।

पति की मृत्यु के पश्चात उसका जेठौत अपने साले के

के साथ अपनी बेटी का विवाह करवाना चाहता था। परंतु वह उसे वर्ग के रूप मेंनापास नापसंद करती थी। तो उसे महाशय ने उसको चरित्रहीन कलंकित सिद्ध करके एक नया हथगंडा अपनाकर पंचायत का सहारा लेकर उसका विवाह उससे करवाया और पति के रूप में उस चरित्र हीन व्यक्ति को उस लड़की पर थोप दिया मानवीय अधिकारों के विरुद्ध आज भी भारत में कुछ शादियां ऐसे ही होती हैं जहां लड़की की इच्छा का कोई मान नहीं होता।

मेरे विचार में जो समाज स्त्री विरोधी पुरुष वादी अहं की मानसिकता से ग्रस्त हो ,उस समाज में स्त्रियों को आत्मनिर्भर और शिक्षित बनाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है।

बाजार दर्शन 

1.बाजार दर्शन पाठ में बाजार को शैतान का जल क्यों कहा गया है?

उत्तर -बाजार दर्शन पाठ में बाजार को शैतानका जाल इसलिए कहा गया है, क्योंकि जिस प्रकार चतुर शिकारी जाल फैला कर शिकार को जाल में फंसाता  है ठीक उसी प्रकार सुसज्जित बाजार ग्राहक को आकर्षित करता है।

यह मूकआकर्षण मनुष्यके मन में चाह अथवा अभाव उत्पन्न करता है।

व्यक्ति यह सोचने लगता है कि यहां बाजार में असीमितवस्तुएं हैं परंतु उसके पास सीमित वस्तुएं हैं। अपनी जरूरत का उचित ज्ञान न होने के कारण वह उसके आकर्षण जाल में फसता जाताहै और अनावश्यक वस्तुओं को खरीद लेता है।

2. बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बाजार का पोषण करने वाले अर्थशास्त्र को अन्यायशास्त्र और अनीति शास्त्री क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए?

अथवा लेखक ने अर्थशास्त्र को अन्यथाशास्त्र क्यों कहा है ?उदाहरण सहित समझाइए?

उत्तर -बाजार दर्शन पाठ के लेखक ने बाजार को अर्थशास्त्र का  अनीति शास्त्र कहा है ।जो बाजार के बाजारपन,  लोभ, लालच ,छल, कपट आदि को बढ़ावा देता है ।लेखक इसका उदाहरण देते हुए कहता है कि कपट की प्रवृत्ति को बढ़ाने का अर्थ है- परस्पर सद्भाव का घटना। सद्भाव घटने के कारण ही दो भाई या दो पडौसी , मित्र,आपस में दुकान दार जैसा व्यापारिक ग्राहक सा व्यवहार करते हैं । ऐसा लगताहै एक दूसरे को ठगने की घात में हो। एक की हानि में दूसरे को अपना लाभ दिखता है। ऐसे बाजार मैं कपटी सफल होता है और निष्कपप्टी  शिकार हो जाता है।

3.बाजार के जादू चढ़ने उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

अथवा  ,बाजार का जादू चढ़ने  उतरने का आशय स्पष्ट कीजिए।

बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर -बाजार के जादू से तात्पर्य उसे स्थिति से है जब व्यक्ति बाजार की चकाचौंध देखकर उन वस्तुओं को खरीदनेके लिए लालायतहो जाता है बाजार के जादूका प्रभाव उसे चुंबक की तरह खींचता है।उसे यह लगता है कि मैं यह सामान ले लूं तो मेरा समाज में सम्मान ,धाक बढ़ेगी आराम बढ़ेगा। परंतु अनावश्यक खरीद लेने पर उसे पछतावा होता है और बाद में उसे ऐसा लगता है कि मुझे कुछ और ले लेना चाहिए था । 

4. चूरन वाले भगत जी पर बाजार का जादू नहीं चला पाता क्यों?

 उत्तर -चूरन वाले भगतजी पर बाजारका जादू इसलिए नहीं चल सकता क्योंकि वह एक विवेकी व्यक्ति हैं। वे खुली आंख, सतुष्ट मन, और मगन भाव से चौकबाजार में चले जाते हैं। वह अपनी आवश्यकता को भली भांति जानते हैं। निश्चित रूप से उनका आचरण बाजार में शांतिस्थापित करेगा ।ऐसे आचरण वाले व्यक्ति बाजार से लाभ उठा भी लेते हैं और बाजार को भी लाभ देते हैं।

5.बाजार दर्शन पाठ के आधार पर "पैसे की व्यंग शक्ति" को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

 अथवा बाजार दर्शनपाठ के आधार पर "पैसै की व्यंग शक्ति "कथन को स्पष्ट करें।

उत्तर.बाजार दर्शन पाठ के आधार पर पैसे की व्यंग्यशक्ति का अभिप्राय है _स्वयं को दूसरों से निम्न समझना।

पैसेकी व्यंग शक्ति का मनुष्य की चेतना पर अवश्य प्रभाव पड़ता है। जैसे -व्यक्ति के सामने से धूल उड़ती हुई गाड़ी निकल जाए तो वह सोचने लगता है- काश मेरे:पास भी यह गाड़ी होती तो मैं भी बैठकर जाता।मै अमीर मां-बाप की संतान होता। परंतु भगत जी के मन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

6.बाजार दर्शन निबंध  उपभोक्तावाद और बाजारवाद की अंतर्वस्तु को समझने में बेजोड़ है उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए।

उत्तर. यह निबंध उपभोक्तावाद और बाजारवाद की अंतर्वस्तु को समझने में इसलिए बेजोड़ है क्योंकि बाजार में दुकानदार किसी भी प्रकार से अपना समान मनचाहे दामों पर बेचना चाहते हैं। वह ग्राहक को तरह-तरह से ललचाते जाते हैं। ग्राहक बाजार में अनेक प्रकार की आकर्षक वस्तुएं देखकर आकर्षित होताहै ।ऐसा माया जाल ,जहांसे ग्राहक ठगे बिना लौट नहीं पाता ।यदि उसकी जेब जवाब ना दे तब भी खरीद लेता है ।कोई बेहया ही होगा जो उसके जाल में न फंसे। इसका मूक आमंत्रण सबको लुभाता है ।व्यक्ति लालचमें आकर अनावश्यक वस्तुएं भी खरीद लेताहै।

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