मियां नसरुद्दीन 11हिंदी आरोह

पाठ- मियां नसरुद्दीन 

 प्रश्न. 1.

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?

उत्तर:

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है, क्योंकि वे मसीहाई अंदाज में रोटी पकाने की कला का बखान करते हैं। वे स्वयं भी छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका खानदान वर्षों से इस काम में लगा हुआ है। वे रोटी बनाने को कला मानते हैं तथा स्वयं को उस्ताद कहते हैं। उनका बातचीत करने का ढंग भी महान कलाकारों जैसा है। अन्य नानबाई सिर्फ रोटी पकाते हैं। वे नया कुछ नहीं कर पाते।

प्रश्न. 2.

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

उत्तर:

लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास इसलिए गई थी क्योंकि वह रोटी बनाने की कारीगरी के बारे में जानकारी हासिल करके दूसरे लोगों को बताना चाहती थी। मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे। वह उनकी इस कारीगरी का रहस्य भी जानना चाहती थी।



प्रश्न. 3.

बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

उत्तर:

लेखिका ने जब मियाँ नसीरुद्दीन से उनके खानदानी नानबाई होने का रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्ग बादशाह के लिए भी रोटियाँ बनाते थे। लेखिका ने उनसे बादशाह का नाम पूछा तो उनकी दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी। सच्चाई यह थी कि वे किसी बादशाह का नाम नहीं जानते थे और न ही उनके परिवार का किसी बादशाह से संबंध था। बादशाह का बावची होने की बात उन्होंने अपने परिवार की बड़ाई करने के लिए कह दिया था। बादशाह का प्रसंग आते ही वे बेरुखी दिखाने लगे।


प्रश्न. 4.

‘मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया’-इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

इस कथन से पूर्व लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से पूछा था कि उनके दादा और वालिद मरहूम किस बादशाह के शाही बावर्चीखाने में खिदमत करते थे? इस पर मियाँ बिगड़ गए और उन्होंने खफा होकर कहा-क्या चिट्ठी भेजोगे ? जो नाम पूछ रहे हो? इसी प्रश्न के बाद उनकी दिलचस्पी खत्म हो गई। अब उनके चेहरे पर ऐसा भाव उभर आया मानो वे किसी तूफान को दबाए हुए बैठे हैं। उसके बाद लेखिका के मन में आया कि पूछ लें कि आपके कितने बेटे-बेटियाँ हैं। किंतु लेखिका ने उनकी दशा देखकर यह प्रश्न नहीं किया। फिर लेखिका ने उनसे जानना चाहा कि कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं? तो मियाँ ने गुस्से में उत्तर दिया कि खाली शगिर्दी ही नहीं, दो रुपए मन आटा और चार रुपए मन मैदा के हिसाब से इन्हें मजूरी भी देता हूँ। लेखिका द्वारा रोटियों का नाम पूछने पर भी मियाँ ने पल्ला झाड़ते हुए उसे कुछ रोटियों । के नाम गिना दिए। इस प्रकार मियाँ नसीरुद्दीन के गुस्से के कारण लेखिका उनसे व्यक्तिगत प्रश्न न कर सकी।


प्रश्न.5.पाठ में मियाँ नसीरूद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है?


उत्तर


पाठ में मियाँ नसीरूद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने इस प्रकार खींचा है- मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काईयाँ भोलापन और पेशानी पर मजे हुए कारीगर के तेवर|

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