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Showing posts from October, 2023

वंदना सभा की वैज्ञानिकता

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  * हमारी वंदना सभा है पूर्ण वैज्ञानिक सभी विद्यालयों में अपने-अपने तरह की प्रार्थनाएं वंदनाएं होती हैं परंतु विद्या भारती की वंदना सभा की जो पद्धति है वह पूर्णतया वैज्ञानिक है व्यवहारिक है। अगर इसके वैज्ञानिक पक्ष पर विचार किया जाए तो सुखासन या पद्मासन अवस्था में वंदना की जो स्थिति है उसके पीछे शरीर विज्ञान है अध्यात्म विज्ञान है जब हम पालथी मार कर रीड की हड्डी को सीधा करके हाथ जोड़ने की स्थिति में बैठते हैं तो सीने के बीचो-बीच जो गड्ढा होता है उस गड्ढे को हाथ जोड़ने की स्थिति में जो मुद्रा बनती है दोनों अंगूठे से उसे मध्य भाग को स्पर्श किया जाता है। जहां हृदय चक्र होता है इस स्थिति में शरीर के सात चक्रों में से एक चक्र हृदय चक्र स्पंदित होता है ।पूरे शरीर का एक मंदिर जैसा आकार बनता है। पालथी मारकर सीधे बैठने पर मूलाधार चक्र जाग्रत होता है, ब्रह्मांड में घूम रही सकारात्मक ऊर्जा सिर से शरीर में प्रवेश करती है। क्योंकि हम  पालथी मार बैठे होते हैं अतः यह ऊर्जा शरीर में प्रवेश तो करती है परंतु शरीर से बाहर नहीं जाने पाती ।अर्थात वंदना सभा का जो समय होता है वह एक तरह से हमारा चार्...

व्यक्तित्व क्या है ,और इसे कैसे सवांरे

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     किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोध प्रतिक्रिया के रूप में होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का परिचय इस बात से मिलता है कि वह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार व्यवहार या प्रतिक्रिया करता है। किसी व्यक्ति को बार-बार आक्रमणकारी व्यवहार करते देखकर हम कह उठते हैं कि वह आक्रमणकारी व्यक्तित्व का व्यक्ति है या हर स्थिति में सही निर्णय लेने पर हम कहते हैं वह बड़ा समझदार सधा हुआ व्यक्ति है। ऐसा व्यक्ति जिसका व्यवहार जिसका आचरण अधिक लोगों को  आकर्षित,प्रभावित करता है आखिरउसके व्यक्तित्व का निर्माण एक दिन में ही नहीं हो गया होता है कुछ सालों में ही नहीं हो गया होता है व्यक्तित्व निर्माण करने के पीछे बहुत सारे घटक काम करते हैं , सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं परिवार का वातावरण माता-पिता के संस्कार विद्यालय का वातावरण गुरुओं की देखरेख। जिस प्रकार एक माली एक जंगल को अपने परिश्रम से उपवन के रूप में बदल सकता है। एक कुम्हार मिट्टी को मनचाही  आकृति वाले पात्र के रूप में बदल सकता है ठीक उसी तरह बालकों के व्यक्तित्व के निर्माण में माता-पिता समाज गुरु और विद्यालय की भूमिका रहत...