भारत की खोज प्रश्न उत्तर-



पाठ-1.अहमद नगर का किला

 

प्रश्न 1. भारत की अमरता के विषय में नेहरू जी के मन में कौन-से प्रश्न उभरते थे?

उत्तर- नेहरू जी भारत की अमरता से पूर्ण रूप से अभिभूत थे। उनके मन में निम्नलिखित प्रश्न उभरते थे-


आखिर यह भारत है क्या? अतीत में वह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? आज उसके पास ऐसा क्या बचा है, जिसे मज़बूत कहा जा सके तथा आधुनिक विश्व में उसका तालमेल कैसे बैठ सकता है?


प्रश्न 2. लेखक ने सिंधु घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो के विषय में क्या बताया था?

उत्तर- लेखक भारत के वर्तमान को समझने के लिए उसके अतीत को जानना चाहता था। इसी दृष्टि से उसने सिंधु घाटी की सभ्यता का अध्ययन किया। उसने इसके विषय में कहा कि पाँच हजार वर्ष पूर्व निर्मित होने वाली यहाँ की सभ्यता पूर्ण विकसित थी तथा यही भारत की आधुनिक सभ्यता का आधार भी थी। यहाँ की संस्कृति एवं सभ्यता सदैव परिवर्तनशील एवं विकासशील रही है। दूसरी संस्कृतियों एवं सभ्यताओं का संपर्क भी यहाँ की संस्कृति और सभ्यता को हिला नहीं सका।


प्रश्न 3. नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं विदेशी साहित्य के अध्ययन की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं अन्य विदेशी लोगों के साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता इसलिए है, ताकि हम उनके द्वारा बताई गई भारत की विशेषताओं को जान सकें।


प्रश्न 4. नेहरू जी कुंभ के स्नान-पर्व पर हैरान क्यों हुए थे?

उत्तर- नेहरू जी को कुंभ के स्नान-पर्व को देखकर यह हैरानी होती थी कि यह पर्व सदियों से बराबर चला आ रहा है। इतने वर्षों से गंगा स्नान का महत्त्व बना हुआ है। भारत की न जाने कितनी पीढ़ियों का इस नदी के साथ निरंतर लगाव बना हुआ है। हज़ारों वर्षों से भारत के कोने-कोने से लोग यहाँ स्नान करने जाते हैं। आज भी यह आस्था एवं विश्वास गंगा के प्रति बनी हुई है।


प्रश्न 5. ‘भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक के अन्त में नेहरू जी ने क्या निष्कर्ष निकाला है?

उत्तर- भारत के अतीत के अध्ययन से पंडित जवाहरलाल नेहरू बहुत ही प्रभावित हुए थे। वे इसके अध्ययन के पश्चात् इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि भारत की सभ्यता और संस्कृति चाहे कितनी ही प्राचीन क्यों न हो, किंतु उसका महत्त्व आज भी बना हुआ है। आधुनिक भारत की नींव का आधार भारत की प्राचीन संस्कृति ही है।


प्रश्न 6. लेखक के अनुसार भारत की शक्ति क्या है और उस शक्ति का पतन कब हुआ?

उत्तर- लेखक ने भारत की शक्ति उसके प्राचीन और नवीन के मध्य सामंजस्य स्थापना की तीव्र इच्छा को माना है जिसके कारण वह पुराने विचारों को सुरक्षित रख सकने के साथ-साथ नए विचारों को भी अपना सका। तकनीकी दौड़ में पिछड़ने के कारण ही भारत की शक्ति का पतन हुआ। मानसिक जड़ता और निराशा के कारण ही भारत के लोग अपने प्राचीन विचारों का महत्त्व भूल गए और नए विचारों को अपना नहीं सके। इसलिए भारत की शक्ति का पतन हुआ।


प्रश्न 7. ‘भारत की तलाश’ में लेखक ने किसे भारत की वह शक्ति बताया जो विदेशी शासक को चुनौती दे सकती है?

उत्तर-‘भारत की तलाश’ में लेखक भारतवासियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहा था, ताकि समय आने पर वह भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष का नेतृत्व कर सके। सर्वप्रथम लेखक ने मध्यवर्ग के लोगों की ओर देखा। लेखक को लगा कि मध्यवर्ग वह वर्ग है जो अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बनाए गए ढाँचे की उपज है। उनमें वह शक्ति एवं दृढ़ निश्चय नहीं, जो विदेशी सरकार को उखाड़ फेंके। वे अपने स्वार्थों से चिपके हुए होते हैं। फिर लेखक की दृष्टि ग्रामीण लोगों पर पड़ी। उनमें उन्हें ऐसा कुछ अनुभव हुआ जो मध्यवर्ग में नहीं था। इनमें लेखक को अपनी उम्मीद से भी अधिक मिला। उनमें वह दृढ़ता और आंतरिक शक्ति थी जो अंग्रेज़ी साम्राज्य को चुनौती दे सकती थी। कहने का तात्पर्य है कि नेहरू जी ने साधारण ग्रामीण जनता को वह शक्ति कहा जो भारत के राष्ट्रीय संघर्ष का आधार बन सकती थी।


प्रश्न 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत माता के स्वरूप को किन शब्दों में स्पष्ट किया?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू किसी भी सभा में जाते तो वहाँ उनके स्वागत में लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते। नेहरू जी ने जब भारत माता के विषय में प्रश्न किया तो वे सब एक-दूसरे के मुँह की ओर देखने लगे। तब नेहरू जी ने कहा कि भारत माता भारत की मिट्टी, नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत और भारत की जनता ही है। भारत माता के स्वरूप में यहाँ रहने वाले सभी लोग आ जाते हैं। हिमालय से कन्याकुमारी तक, पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक की सीमाओं में आबद्ध यह पूरा देश भारत माता है।


प्रश्न 9. पठित पाठ के आधार पर बताइए कि भारत की विविधता कौन-कौन सी है और उनके रहते हुए भारत की एकता कैसे है?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के विभिन्न भागों में जाकर देखा तो उन्हें लगा कि भारत में अनेक विविधताएँ साक्षात् रूप में विद्यमान हैं। यहाँ के लोगों के जीवन में यह विविधता सर्वत्र देखी जा सकती है। उनके रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, भाषा, धर्म आदि में यह विविधता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। भारत की भौगोलिक स्थिति में उसकी विविधता छुपी हुई नहीं है। कहीं बर्फ से ढका प्रदेश है तो कहीं तपता रेगिस्तान है। कहीं अत्यधिक वर्षा होती है तो कहीं एक-एक बूंद के लिए लोग तरसते हैं। इतनी विविधता होते हुए भी भारत एक है। उसकी एकता के सूत्र उसकी संस्कृति एवं सभ्यता में देखे जा सकते हैं। यहाँ विचारों की एकता ही उसकी एकता का मज़बूत आधार है।


प्रश्न 10. भारत की जन संस्कृति लेखक को कहाँ दिखाई पड़ी थी?

उत्तर- लेखक भारतीय संस्कृति के प्रति आस्थावान रहा है। उसके विविध रूपों को देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा रही है। उन्हें भारत की जन संस्कृति के दर्शन यहाँ के रामायण एवं महाभारत तथा अन्य महान ग्रंथों में हुए। रामायण एवं महाभारत का प्रभाव देश के कोने-कोने में है। इन ग्रंथों के अनुवाद अनेक भाषाओं में हुए हैं। उन्हें विविध भाषाओं के माध्यम से मंच पर भी दिखाया गया है। अशिक्षित व्यक्ति भी इनका आनंद लेते हैं। रामायण की चौपाइयों को अनपढ़ व्यक्ति कंठस्थ ही नहीं करते, अपितु अवसर पड़ने पर प्रमाण-स्वरूप उन्हें प्रस्तुत भी करते हैं। गरीब होते हुए ग्रामीण उन्हें अपनी धरोहर के रूप में बनाए हुए हैं। जन-जन में सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित है।


बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक पाठ में लेखक ने भारत के किस काल-इतिहास का वर्णन किया है?

(A) वर्तमानकाल का

(B) भविष्यकाल का

(C) अतीतकाल का

(D) उपरोक्त में से किसी का

उत्तर- (C) अतीतकाल का


2. लेखक भारत के अतीत के इतिहास में किस रास्ते से पहुंचा था?

(A) पूर्व से .

(B) पश्चिम से

(C) दक्षिण से

(D) उत्तर से

उत्तर-(B) पश्चिम से


3. लेखक किसे खारिज करने का साहस कर रहा था?

(A) अतीत की विरासत को .

(B) भारत के इतिहास को

(C) यहाँ के लोगों के अटूट विश्वास को

(D) भारत की संस्कृति को

उत्तर-(A) अतीत की विरासत को ।


4. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के इतिहास को किस दृष्टि से देखा था?

(A) कवि की दृष्टि से

(B) आलोचक की दृष्टि से

(C) इतिहासकार की दृष्टि से

(D) दर्शनशास्त्री की दृष्टि से

उत्तर- (B) आलोचक की दृष्टि से .


5. लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को कितनी पुरानी बताया है?

(A) एक हज़ार वर्ष

(B) दो हज़ार वर्ष

(C) तीन हज़ार वर्ष

(D) पाँच हजार वर्ष

उत्तर- (D) पाँच हज़ार वर्ष

पाठ 2तलाश

 प्रश्न 1. भारत की अमरता के विषय में नेहरू जी के मन में कौन-से प्रश्न उभरते थे?

उत्तर- नेहरू जी भारत की अमरता से पूर्ण रूप से अभिभूत थे। उनके मन में निम्नलिखित प्रश्न उभरते थे-


आखिर यह भारत है क्या? अतीत में वह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? आज उसके पास ऐसा क्या बचा है, जिसे मज़बूत कहा जा सके तथा आधुनिक विश्व में उसका तालमेल कैसे बैठ सकता है?


प्रश्न 2. लेखक ने सिंधु घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो के विषय में क्या बताया था?

उत्तर- लेखक भारत के वर्तमान को समझने के लिए उसके अतीत को जानना चाहता था। इसी दृष्टि से उसने सिंधु घाटी की सभ्यता का अध्ययन किया। उसने इसके विषय में कहा कि पाँच हजार वर्ष पूर्व निर्मित होने वाली यहाँ की सभ्यता पूर्ण विकसित थी तथा यही भारत की आधुनिक सभ्यता का आधार भी थी। यहाँ की संस्कृति एवं सभ्यता सदैव परिवर्तनशील एवं विकासशील रही है। दूसरी संस्कृतियों एवं सभ्यताओं का संपर्क भी यहाँ की संस्कृति और सभ्यता को हिला नहीं सका।


प्रश्न 3. नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं विदेशी साहित्य के अध्ययन की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं अन्य विदेशी लोगों के साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता इसलिए है, ताकि हम उनके द्वारा बताई गई भारत की विशेषताओं को जान सकें।


प्रश्न 4. नेहरू जी कुंभ के स्नान-पर्व पर हैरान क्यों हुए थे?

उत्तर- नेहरू जी को कुंभ के स्नान-पर्व को देखकर यह हैरानी होती थी कि यह पर्व सदियों से बराबर चला आ रहा है। इतने वर्षों से गंगा स्नान का महत्त्व बना हुआ है। भारत की न जाने कितनी पीढ़ियों का इस नदी के साथ निरंतर लगाव बना हुआ है। हज़ारों वर्षों से भारत के कोने-कोने से लोग यहाँ स्नान करने जाते हैं। आज भी यह आस्था एवं विश्वास गंगा के प्रति बनी हुई है।


प्रश्न 5. ‘भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक के अन्त में नेहरू जी ने क्या निष्कर्ष निकाला है?

उत्तर- भारत के अतीत के अध्ययन से पंडित जवाहरलाल नेहरू बहुत ही प्रभावित हुए थे। वे इसके अध्ययन के पश्चात् इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि भारत की सभ्यता और संस्कृति चाहे कितनी ही प्राचीन क्यों न हो, किंतु उसका महत्त्व आज भी बना हुआ है। आधुनिक भारत की नींव का आधार भारत की प्राचीन संस्कृति ही है।


प्रश्न 6. लेखक के अनुसार भारत की शक्ति क्या है और उस शक्ति का पतन कब हुआ?

उत्तर- लेखक ने भारत की शक्ति उसके प्राचीन और नवीन के मध्य सामंजस्य स्थापना की तीव्र इच्छा को माना है जिसके कारण वह पुराने विचारों को सुरक्षित रख सकने के साथ-साथ नए विचारों को भी अपना सका। तकनीकी दौड़ में पिछड़ने के कारण ही भारत की शक्ति का पतन हुआ। मानसिक जड़ता और निराशा के कारण ही भारत के लोग अपने प्राचीन विचारों का महत्त्व भूल गए और नए विचारों को अपना नहीं सके। इसलिए भारत की शक्ति का पतन हुआ।


प्रश्न 7. ‘भारत की तलाश’ में लेखक ने किसे भारत की वह शक्ति बताया जो विदेशी शासक को चुनौती दे सकती है?

उत्तर-‘भारत की तलाश’ में लेखक भारतवासियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहा था, ताकि समय आने पर वह भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष का नेतृत्व कर सके। सर्वप्रथम लेखक ने मध्यवर्ग के लोगों की ओर देखा। लेखक को लगा कि मध्यवर्ग वह वर्ग है जो अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बनाए गए ढाँचे की उपज है। उनमें वह शक्ति एवं दृढ़ निश्चय नहीं, जो विदेशी सरकार को उखाड़ फेंके। वे अपने स्वार्थों से चिपके हुए होते हैं। फिर लेखक की दृष्टि ग्रामीण लोगों पर पड़ी। उनमें उन्हें ऐसा कुछ अनुभव हुआ जो मध्यवर्ग में नहीं था। इनमें लेखक को अपनी उम्मीद से भी अधिक मिला। उनमें वह दृढ़ता और आंतरिक शक्ति थी जो अंग्रेज़ी साम्राज्य को चुनौती दे सकती थी। कहने का तात्पर्य है कि नेहरू जी ने साधारण ग्रामीण जनता को वह शक्ति कहा जो भारत के राष्ट्रीय संघर्ष का आधार बन सकती थी।


प्रश्न 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत माता के स्वरूप को किन शब्दों में स्पष्ट किया?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू किसी भी सभा में जाते तो वहाँ उनके स्वागत में लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते। नेहरू जी ने जब भारत माता के विषय में प्रश्न किया तो वे सब एक-दूसरे के मुँह की ओर देखने लगे। तब नेहरू जी ने कहा कि भारत माता भारत की मिट्टी, नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत और भारत की जनता ही है। भारत माता के स्वरूप में यहाँ रहने वाले सभी लोग आ जाते हैं। हिमालय से कन्याकुमारी तक, पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक की सीमाओं में आबद्ध यह पूरा देश भारत माता है।


प्रश्न 9. पठित पाठ के आधार पर बताइए कि भारत की विविधता कौन-कौन सी है और उनके रहते हुए भारत की एकता कैसे है?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के विभिन्न भागों में जाकर देखा तो उन्हें लगा कि भारत में अनेक विविधताएँ साक्षात् रूप में विद्यमान हैं। यहाँ के लोगों के जीवन में यह विविधता सर्वत्र देखी जा सकती है। उनके रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, भाषा, धर्म आदि में यह विविधता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। भारत की भौगोलिक स्थिति में उसकी विविधता छुपी हुई नहीं है। कहीं बर्फ से ढका प्रदेश है तो कहीं तपता रेगिस्तान है। कहीं अत्यधिक वर्षा होती है तो कहीं एक-एक बूंद के लिए लोग तरसते हैं। इतनी विविधता होते हुए भी भारत एक है। उसकी एकता के सूत्र उसकी संस्कृति एवं सभ्यता में देखे जा सकते हैं। यहाँ विचारों की एकता ही उसकी एकता का मज़बूत आधार है।


प्रश्न 10. भारत की जन संस्कृति लेखक को कहाँ दिखाई पड़ी थी?

उत्तर- लेखक भारतीय संस्कृति के प्रति आस्थावान रहा है। उसके विविध रूपों को देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा रही है। उन्हें भारत की जन संस्कृति के दर्शन यहाँ के रामायण एवं महाभारत तथा अन्य महान ग्रंथों में हुए। रामायण एवं महाभारत का प्रभाव देश के कोने-कोने में है। इन ग्रंथों के अनुवाद अनेक भाषाओं में हुए हैं। उन्हें विविध भाषाओं के माध्यम से मंच पर भी दिखाया गया है। अशिक्षित व्यक्ति भी इनका आनंद लेते हैं। रामायण की चौपाइयों को अनपढ़ व्यक्ति कंठस्थ ही नहीं करते, अपितु अवसर पड़ने पर प्रमाण-स्वरूप उन्हें प्रस्तुत भी करते हैं। गरीब होते हुए ग्रामीण उन्हें अपनी धरोहर के रूप में बनाए हुए हैं। जन-जन में सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित है।


बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक पाठ में लेखक ने भारत के किस काल-इतिहास का वर्णन किया है?

(A) वर्तमानकाल का

(B) भविष्यकाल का

(C) अतीतकाल का

(D) उपरोक्त में से किसी का

उत्तर- (C) अतीतकाल का


2. लेखक भारत के अतीत के इतिहास में किस रास्ते से पहुंचा था?

(A) पूर्व से .

(B) पश्चिम से

(C) दक्षिण से

(D) उत्तर से

उत्तर-(B) पश्चिम से


3. लेखक किसे खारिज करने का साहस कर रहा था?

(A) अतीत की विरासत को .

(B) भारत के इतिहास को

(C) यहाँ के लोगों के अटूट विश्वास को

(D) भारत की संस्कृति को

उत्तर-(A) अतीत की विरासत को ।


4. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के इतिहास को किस दृष्टि से देखा था?

(A) कवि की दृष्टि से

(B) आलोचक की दृष्टि से

(C) इतिहासकार की दृष्टि से

(D) दर्शनशास्त्री की दृष्टि से

उत्तर- (B) आलोचक की दृष्टि से .


5. लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को कितनी पुरानी बताया है?

(A) एक हज़ार वर्ष

(B) दो


हज़ार वर्ष

(C) तीन हज़ार वर्ष

(D) पाँच हजार वर्ष

उत्तर- (D) पाँच हज़ार वर्ष 




पाठ 3 सिंधु घाटी की सभ्यता


प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न कहाँ-कहाँ विद्यमान हैं?

उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न सिंधु में मोहनजोदड़ो तथा पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में विद्यमान हैं।


प्रश्न 2. पठित पाठ में सिंधु घाटी सभ्यता की कौन-कौन सी विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर- सिंधु घाटी की सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई गई हैं-


(1) सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है।

(2) यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी।

(3) सिंधु घाटी के व्यापारी लोग धनी थे।

(4) सिंधु घाटी सभ्यता फ़ारस, मैसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से बेहतर थी।

(5) इस सभ्यता के नगर अत्यंत सुनियोजित थे।


प्रश्न 3. ‘सिंधु घाटी’ की सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी-पठित पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।

उत्तर- सिंधु घाटी की खुदाई से जिन हमामों एवं नालियों की जानकारी प्राप्त हुई है, वे नाली तंत्र आज भी उपयोगी सिद्ध होते हैं। ये तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी।


प्रश्न 4. सिंधु घाटी’ की सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर- सिंधु नदी में बहुत भयंकर बातें आती थीं जो अपने साथ गाँव-के-गाँव बहा ले जाती थीं। सिंधु घाटी भी इस नदी के । प्रकोप का शिकार बनी होगी।


प्रश्न 5. आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे?

उत्तर- आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे? इस प्रश्न का उत्तर ठोस रूप में उपलब्ध नहीं है। इस बारे में विद्वानों ने केवल अनुमान ही लगाए हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि वे दक्षिण भारत से आए थे, क्योंकि आर्यों एवं दक्षिण भारत की द्रविड़ जातियों के बीच कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये मोहनजोदड़ो से कई हज़ार वर्ष पूर्व आए होंगे। पश्चिमोत्तर दिशा से भी भारत में कई कबीले और जातियाँ आती रहीं और यहाँ समाती गईं। अतः स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि आर्य कौन थे और कहाँ से आए थे? यही माना जाता है कि वे भारत की ही संतान थे।


प्रश्न 6. भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास कौन-सा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास ‘वेद’ है। भारतीय विद्वान इसे अति प्राचीन मानते हैं, जबकि यूरोप के विद्वान इसे बहुत बाद का इतिहास मानते हैं। बहुत-से यूरोपीय विद्वानों का मत है कि वेदों का काल ईसा पूर्व 1500 है। किंतु मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से इन प्रारंभिक भारतीय धार्मिक ग्रंथों को अधिक पुराना माना जाने लगा है। मैक्समूलर ने वेदों को ‘आर्य-मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ कहा है।


प्रश्न 7. वेदों और अवेस्ता में क्या समानता है?

उत्तर- वेदों की रचना भारत की भूमि पर हुई, जबकि अवेस्ता की रचना ईरान में हुई। ‘वेदों’ और ‘अवेस्ता’ की भाषा में अद्भुत समानता है। भारत की भूमि पर प्रवेश करने से पहले आर्य अपने साथ उसी कुल के विचारों को लेकर आए थे, जिससे अवेस्ता की रचना हुई थी। ‘वेद’ भारत के अपने महाकाव्यों की संस्कृति की अपेक्षा अवेस्ता के अधिक निकट प्रतीत होते हैं।


प्रश्न 8. ‘वेद’ शब्द का अर्थ बताकर उनकी प्रमुख विशेषताएँ भी बताइए।

उत्तर- ‘वेद’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘विद्’ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है-जानना। वेद का सामान्य अर्थ है-ज्ञान का संग्रह। . वेदों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं


(1) वेदों में मूर्ति-पूजा या किसी देव-मंदिर की आराधना का वर्णन नहीं है।

(2) वेदों में आत्मा की अपेक्षा जीवन पर बल दिया गया है।

(3) वेदों में मृत्यु के पश्चात् किसी प्रकार के अस्तित्व का स्पष्ट संकेत या विश्वास नहीं है।

(4) वेदों में प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य का वर्णन उपलब्ध है।

(5) वेदों में काव्य-संग्रह है।

(6) वेद मनुष्य के उन साहसिक कार्यों का संग्रह हैं जो प्राचीनकाल में किए गए थे।


प्रश्न 9. भारतीयों के परलोक-परायणता पर नेहरू जी ने क्या कहा था?

उत्तर- नेहरू जी ने परलोक-परायणता में विश्वास रखने वाले लोगों के विषय में कहा था कि किसी देश में गरीब एवं अभागे लोग परलोक में विश्वास करने लगते हैं जब तक वे क्रांतिकारी नहीं हो जाते। यही बात गुलाम देश के लोगों पर लागू होती है। यही हाल भारतीय जनता का भी था।


 

प्रश्न 10. भारत में जाति-व्यवस्था के क्या दुष्परिणाम सामने आए?

उत्तर- भारत में जाति-व्यवस्था का आरंभ समाज को सुदृढ़ करने के लिए किया गया था। किंतु आगे चलकर जाति-व्यवस्था ने गलत रूप धारण कर लिया। समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ गए। इससे समाज की एकता को भारी हानि पहुँची। समाज कई वर्गों में बँट गया जिससे समाज का सही विकास नहीं हो सका।


प्रश्न 11. उपनिषदों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- (1) उपनिषद् वेदों के बाद की रचनाएँ हैं। इनका समय ईसा पूर्व 800 के आस-पास का बताया जाता है।

(2) उपनिषदों में जाँच-पड़ताल की चेतना और सत्य की खोज पर बल दिया गया है।

(3) उपनिषदों में विचार के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।

(4) उपनिषदों में आत्मबोध पर बल दिया गया है।

(5) इनमें जादू-टोने एवं पाठ-पूजा को व्यर्थ कहा गया है।

(6) इनका सामान्य झुकाव अद्वैतवाद की ओर है।

(7) इनमें सामंजस्य के मार्ग को अपनाया गया है, ताकि समाज में व्याप्त मतभेदों को दूर किया जा सके।


प्रश्न 12. उपनिषदों की प्रार्थना किस हेतु की गई है?

उत्तर- उपनिषदों में प्रार्थना का प्रमुख लक्ष्य मानव-जीवन की बेहतरी है। उनकी प्रार्थना में कहा गया है कि हे ईश्वर! मुझे असत् से सत् अर्थात् अज्ञान से ज्ञान की ओर ले चल। अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चल। मृत्यु से मुझे अमरत्व की ओर ले चल। अतः स्पष्ट है कि उपनिषदों की प्रार्थना में निराकार ईश्वर को संबोधित किया गया है कि मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर ले चल।


प्रश्न 13. उपनिषदों में अभिव्यक्त व्यक्तिवादी दर्शन पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- व्यक्तिवाद का अभिप्राय है कि व्यक्ति को केंद्र में रखकर किया गया विचार। उपनिषदों में इस बात पर बल दिया गया है कि मनुष्य द्वारा हर क्षेत्र में उन्नति करने के लिए उसका शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो, तन और मन दोनों अनुशासन में हों। किसी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि मनुष्य में संयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग की भावना हो।


प्रश्न 14. भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का क्या प्रभाव पड़ा? .

उत्तर- भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का यह प्रभाव पड़ा कि लोग आत्मकेंद्रित हो गए। वे अपने ही बारे में सोचने लगे थे। उन्हें समाज की कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन ही नहीं किया। अलगाववाद और ऊँच-नीच की भावना पर बल दिया जाता रहा। जाति-व्यवस्था को बढ़ावा देने के कारण लोगों में जड़ता का विकास हुआ और रचनात्मक शक्ति कमज़ोर पड़ गई।


प्रश्न 15. भौतिकवादी विचारधारा पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- भौतिकवादी विचारधारा एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें कर्म पर विश्वास किया जाता है। वे परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते। उनके अनुसार वास्तविक अस्तित्व तो विभिन्न रूपों में विद्यमान पदार्थों और इस दृश्यमान संसार का है। इसके अतिरिक्त न कोई स्वर्ग है, न नरक और न ही शरीर से अलग आत्मा। इस विचारधारा में जादू-टोनों, अंधविश्वास, धर्म और यहाँ तक कि ब्रह्मविज्ञान का भी विरोध किया गया है। इसके अनुसार मनुष्य को बंधन-रहित व्यावहारिक जीवन जीना चाहिए।


प्रश्न 16. कौटिल्य का अर्थशास्त्र कब लिखा गया था और उसमें किन विषयों का वर्णन किया गया है?

उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र ई०पू० चौथी शताब्दी में लिखा गया था। इस ग्रंथ में उस समय की राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था तथा भौतिकवादी दर्शन के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।


प्रश्न 17. भारत के प्राचीन प्रमुख दो महाकाव्य कौन-से हैं?

उत्तर- भारत के प्राचीन प्रमुख काव्य हैं(क) रामायण, (ख) महाभारत।


प्रश्न 18. ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों का क्या महत्त्व है?

उत्तर- ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों में भारतीय आर्यों के आरंभ के समय का वर्णन है। इसके अतिरिक्त प्राचीन युग में रचे जाने के बावजूद भारतीयों के जीवन पर आज भी इन महाकाव्यों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। आज के जीवन में भी ये मार्गदर्शक बने हुए हैं। इन्हीं कारणों से इन दोनों महाकाव्यों का अत्यधिक महत्त्व है।


प्रश्न 19. पुराकथाओं एवं प्रचलित कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- भारतीय पुराकथाएँ महाकाव्यों तक सीमित नहीं हैं। इनका इतिहास वैदिक काल तक जाता है। ये संस्कृत साहित्य में भी विभिन्न रूपों में प्रकट हुई हैं। ये कथाएँ वीरगाथात्मक हैं। इन कथाओं में सत्य का पालन करने और अपने प्रण को पूरा करने का उपदेश दिया गया है। इन कथाओं की अन्य प्रमुख विशेषता-जीवन-पर्यंत और मरणोपरांत भी वफ़ादारी, साहस और लोक-हित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा देना है। इन पुराकथाओं में कल्पना और तथ्यों का सुंदर मिश्रण हुआ है। ये कथाएँ दैनिक जीवन को एकरसता और कुरूपता से खींचकर उच्चतर क्षेत्रों तक ले जाती हैं।


प्रश्न 20. प्राचीन भारतीय इतिहास की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त क्यों नहीं हो पाती? इसकी जानकारी के लिए किन साधनों का सहारा लिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारतीय इतिहासकार चीनियों, यूनानियों एवं अरब देशों के इतिहासकारों की भाँति नहीं थे। इन देशों के इतिहासकारों ने घटनाओं को कालक्रमानुसार एवं विभिन्न तिथियों के संदर्भ में वर्णन किया है, जबकि भारतीय इतिहासकारों ने कालक्रम एवं तिथियों के संदर्भ में घटनाओं का वर्णन नहीं किया। इसलिए प्राचीनकाल के इतिहास की सही-सही जानकारी नहीं मिलती। आज तिथियों को सुनिश्चित करना अत्यंत कठिन कार्य है। इनकी स्पष्टता के लिए इतिहास के समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों, इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, संस्कृत साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि साधनों का सहारा लेना पड़ता है।


प्रश्न 21. प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ किसने, कौन-सा और कब लिखा था?

उत्तर- प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ कल्हण द्वारा लिखा गया, जिसका नाम ‘राजतरंगिनी’ है। इसकी रचना ईसा की . बारहवीं शताब्दी में की गई थी।

  द्वितीय सत्र ‌‌‌‌-  भारत की खोज- तनाव दो‌ पृष्ठ भूमि, उपसंहार।

तनाव पाठ से संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव कांग्रेस क्यों रखना चाहती थी?

उत्तर- ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव ब्रिटिश सरकार के एकदम विरुद्ध था। इसमें जन-साधारण से यह अपील की गई थी कि अब अंग्रेज़ों को भारत छोड़ देना चाहिए। यदि वे नहीं छोड़ेंगे तो एक जन-आंदोलन होगा।


प्रश्न 2. कांग्रेस कमेटी ने क्या अपील की और क्यों?

उत्तर- कांग्रेस कमेटी ने यह अपील की थी कि अंतरिम सरकार का निर्माण किया जाए जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो। साथ ही संसार के सभी गुलाम देशों की आज़ादी के लिए ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील की थी। साथ ही कमेटी ने यह स्वीकृति देना तय किया कि गांधी जी के नेतृत्व में शांतिपूर्ण एवं अहिंसात्मक जन-आंदोलन शुरू किया जाए। यह स्वीकृति उसी समय लागू होती जब गांधी जी ऐसा निर्णय लेते। अंत में कांग्रेस कमेटी ने कहा कि कमेटी “कांग्रेस के लिए शक्ति हासिल करना नहीं चाहती। ताकत जब भी आएगी तो वह भारत की सारी जनता की होगी।”


प्रश्न 3. ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास होने से इसका क्या परिणाम हुआ?

उत्तर- ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव 8 अगस्त, सन् 1942 को देर रात को पारित हुआ। जैसे ही प्रातः जनता ने प्रदर्शन किया वैसे ही अंग्रेज़ सरकार ने जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की गिरफ्तारियाँ करनी आरंभ कर दीं। इन्हीं गिरफ्तारियों में नेहरू जी व अन्य बड़े नेताओं को अहमदाबाद के किले में बंदी बनाया गया था।


तनाव पाठ के बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत में तनाव कब बढ़ा था?

(A) सन् 1940 में

(B) सन् 1941 में

(C) सन् 1942 में

(D) सन् 1943 में

उत्तर- सन् 1942 में



 2. ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव किस तारीख को पास हुआ था?

(A) 5 अगस्त, 1942 को

(B) 6 अगस्त, 1942 को

(C) 7 अगस्त, 1942 को

(D) 8 अगस्त, 1942 को

उत्तर- 8 अगस्त, 1942 को


3. कांग्रेस कमेटी कैसी सरकार का गठन करना चाहती थी?

(A) अंतरिम सरकार का

(B) बाहरी सरकार का

(C) निरंकुश सरकार का

(D) कांग्रेस की सरकार का

उत्तर- अंतरिम सरकार का


4. अंतरिम सरकार का पहला कार्य क्या बताया गया था?

(A) शत्रु देशों से बातचीत करना

(B) मित्र देशों से सहयोग प्राप्त करना

(C) ब्रिटिश सरकार को सहयोग देना

(D) ब्रिटिश सरकार का विरोध करना

उत्तर- मित्र देशों से सहयोग प्राप्त करना


5. कमेटी ने किसके नेतृत्व में जन-आंदोलन करने का प्रस्ताव पास किया?

(A) पंडित जवाहरलाल नेहरू के

(B) अबुल कलाम आज़ाद के

(C) सुभाषचंद्र बोस के ।

(D) महात्मा गांधी के

उत्तर- महात्मा गांधी के


6. गांधी जी और अबुल कलाम आज़ाद ने किससे मिलने का निर्णय लिया था?

(A) ब्रिटिश प्रधानमंत्री से

(B) वायसराय से

(C) भारत मंत्री से

(D) यू०एन०ओ० के प्रधान से

उत्तर- वायसराय से


7. किस तारीख को पूरे देश में गिरफ्तारियाँ की गई थीं?

(A) 7 अगस्त, 1942 को

(B) 3 अगस्त, 1942 को

(C) 9 अगस्त, 1942 को

(D) 10 अगस्त, 1942 को

उत्तर- 9 अगस्त, 1942 को




दो पृष्ठ भूमि


‘आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?’


ये प्रश्न अध्याय दो के शुरूआती हिस्से से लिए गए है। अब तक अब पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।


Answer :


भारत एक भू-भाग का नाम नहीं है अपितु उस भू-भाग में बसे लोगों, उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता, उसके रीति-रिवाजों, उसके इतिहास का नाम भारत है,30 उसके भौतिक स्वरूप का नाम भारत है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने अतीत में अनेकों संस्कृतियों को बनते बिगड़ते देखा। अनेकों संस्कृति आई और यहाँ आकर या तो विलीन हो गई या नष्ट हो गई परन्तु इन सब में अपनी संस्कृति को न सिर्फ़ बचाए रखा अपितु उसे श्रेष्ठ भी सिद्ध किया। इसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व भी किया है।


उसने कितने ही आक्रमणकारी देखें कितने ही शासनकाल देखें, गुलामी की बेड़ियाँ देखी। एक वक्त ऐसा भी आया जब उसने अपनी शक्ति को दूसरों के पैरों तले पाया पर उसने फिर उठकर अपने सम्मान को पाया अपनी धरोहर को खोने से बचा लिया।


आज बेशक वह एक बड़ी आबादी वाला देश हो परन्तु उसके पास आज भी उसकी बहुमूल्य विरासत है- उसकी संस्कृति, महापुरुषों के उच्च विचार, विविधता में एकता व धर्मनिरपेक्षता।

 

25.

गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए-

(क) कांग्रेस संगठन में।

(ख) लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में।

(ग) आजादी की लड़ाई के तरीकों में।

(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।

उत्तर-

(क) कांग्रेस संगठन में शिथिलता समाप्त हो गई। गांधी जी के आने से कांग्रेस संगठन की मजबूती बढ़ी। इसमें किसान एवं मजदूर वर्ग भी शामिल होकर नए उमंग के साथ कार्य करने लगे।


(ख) छात्र विश्वविद्यालय छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े, औरतें भी शामिल हुईं। कई धनी वर्ग भी गांधी जी के संपर्क में आए। इन लोगों ने गांधी के साथ अंग्रेज़ों के विरुद्ध नारा बुलंद किया।


(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में भी परिवर्तन आया। ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ाई में गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार बनाया।


(घ) साहित्य, संस्कृति का विकास हुआ। कई अखबार निकले। अखबारों में अंग्रेजों की दमन की नीति की खबरें प्रमुखता से छपने लगीं। स्वतंत्रता के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी।


प्रश्न 26.

“अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है।” आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए।

(संकेत-अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्नता-सुविधाविहीन आदि)

उत्तर-

भारत अंतर्विरोधों का देश है। इस देश में अनेक प्रकार के अंतर्विरोध रहे हैं।

(क) इसमें जहाँ एक ओर काफ़ी अमीरी है तो दूसरी ओर अधिकांश जनता गरीबी की मार झेल रही है। अमीर गरीब के बीच खाई-चौड़ी होती जा रही है। देश में अमीर लोग कई प्रकार की सुविधाओं के माध्यम से उत्तम जीवन व्यतीत कर रहे हैं। तो गरीब लोग जो सुविधाविहीन हैं वे निम्न स्तरीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं। शहरों में आधुनिकता की झलक दिखाई देती है तो गाँव अभी भी मध्ययुगीन दौर में हैं।


प्रश्न 27.

पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि-”हम भविष्य की उस ‘एक दुनिया की तरफ़ बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतरराष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।” आपके अनुसार उस ‘एक दुनिया में क्या-क या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?

उत्तर

हमारे अनुसार वह दुनिया सबसे अच्छी होगी जिसमें सबको जीने रहने खाने की आज़ादी बिना भेद-भाव का हो। इसका परिणाम यह होगा कि कोई देश अलग-थलग नहीं रह सकता। सभी देशों की संस्कृतियाँ एक-दूसरे से घुलमिल जाएंगी यानी सभी देश मिलकर ही उन्नति की ओर अग्रसर हो पाएँगे। एक-दूसरे से मिल-मिलाप बढ़ेगा तथा सभी उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएँगे। इससे हम भारतीय अच्छे विश्व नागरिक बन सकेंगे।


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