कोरोना 2.और मेरा अनुभव

    आप बीती है ,शेयर रुकना नहीं चाहिए। ताकि अवेयर किया जा सके।

होली वाले दिन अचानक पैरों के टखनों में एड़ियों मे तेज दर्द उठा खाना बनाने के लिए खडे होने में दिक्कत थी। पूजा और खाने से निपट थोड़ी देर आराम किया, कि हाथों की हथेलियों  पंजों में सूजन सी महसूस हुई, और बुखार आना शुरू हो गया। पैरों की पिंडलियों में तीव्र दर्द था ।ऐसे लग रहा था जैसे नसें कोई खींच रहा है। तीव्र बुखार के साथ अत्यधिक मूत्र विसर्जन,ऐसा लग रहा था मानो पूरे शरीर का पानी ऐसे ही निकल जायेगा। समझ नहीं आ रहा था ,यह कैसा बुखार है ।इसलिए मैंने तुरंत अपने परिवार से खुद को अलग कर लिया ।4 दिन लगातार 104 बुखार रहा । बुखार के दौरान  तेज मस्कुलर पेन था। पैरासिटामोल लेने पर भी  बुखार कम नहीं हो रहा था ।पांचवे दिन जांच कराई तो पॉजिटिव आई ।मैं तुरंत होम आईसीयूलेट हो गई ।बाहर से ही बेटी केयर कर रही थी। समय-समय पर गर्म पानी फ्रूट्स तरल पदार्थ भोजन आदि की व्यवस्था कर रही थी। भीतर कमरे में क्या हो रहा था, इसकी खबर केवल मोबाइल से ही घरवाले  जान पा रहे थे ।इस बीच पेट खराब भी हुआ। बहुत वीकनेस हुई ।इतनी के समझ नहीं आ रहा था कि जमीन ऊंची है या नीची। इतना सिर दर्द इतने चक्कर के पता नहीं चल रहा था कि किधर जाना है क्या कर रहे हैं ।कुछ समझ नहीं आ रहा था। दो-चार दिन के बाद मुंह का स्वाद स्मैल और भूख भी चली गई ,और पेट की गड़बड़ी बढ़ गई ।लगातार कमजोरी बढ़ती चली जा रही थी। चलना फिरना भी मुश्किल था ।कमर से नीचे रीड की हड्डी और नितंब के एरिया में असह्य दर्द था,  झुकने में बहुत परेशानी हो रही थी ।सीधी टांग में ऐसा दर्द जैसे साइटिका हो,  लगातार 14 दिन तक बना रहा। स्वस्थ होने के बाद अभी भी थोड़ा सा है ।इस दौरान आंखों में भी कुछ प्रॉब्लम हुई, आंखें ऐसे लग रही थी जैसे आने वाली हैं ,थोड़ा धुंधला सा दिखने लगा कीचड़ आने लगे ।आंखों में कानों में भी अजीब सी पिन पिनाहट महसूस हो रही थी, 14 दिन के बाद थोड़ा ख़ुश  थे सब ।रिपोर्ट नेगेटिव आई सब की ।  सब की जांच कराई । परंतु अचानक से बेटी का फोन एक बुजुर्ग ने यूज जो  किया जो पौजेटिव थे।  हालांकि फोन सैनेइटाज  किया था , फिर भी बेटी पॉजिटिव हो गई । अच्छा रहा समय से पता चल गया और घर में दूरी का नियम अब भी लागू था ।इतनी तेजी से फैल रहा है समझ नहीं आ रहा कहां से कैसे लग जाए। इसलिए सभी को बहुत सतर्क और सचेत रहने की जरूरत है। साथ ही उचित देखभाल और उचित आहार की बहुत जरूरत है । गर्म पानी और स्टीम इसका सबसे बड़  इलाज है जो मरीज की सांस नहीं फूलने देता ,और खाली पेट नारियल पानी ,खीरा टमाटर बोडी को मैंटेन रखने में संजीवनी का काम करते हैं ।घर पर ही सब ठीक हो रहे हैं ।बिहारी जी सब की रक्षा करते हैं। बेटी भी ठीक हो रही है उसका स्वाद स्मेल वापस आने  से ही पता चल गया नैगेटिव होने का संकेत है। मेरे माइके में 10 लोग पौजेटिव हुए जो इसी अनुभव से ठीक हुए जबकि मेरी मां 70 के ऊपर और हाई शुगर पेशेंट है। बस बात इतनी है स्ट्रेस को पास न आने दे।तनाव से ही सांसे फूलती है ।  सांस न फूले उसके लिए डीप ब्रीदिंग, हल्का प्राणायाम, करें ,उल्टे छाती के बल लेटें,यह प्रोनिग कहलाता है जो आक्सीजन शरुर में कम नहीं होने देता , क्योंकि फैफडे पीछे होते है जिन्हें अधिक खुलापन देने की जरूरत होती है। घबराये बिल्कुल नहीं इसमें बहुत ज्यादा कमजोरी आती है जो धीरे धीरे जाती है। हल्का तरल पौष्टिक भोजन ले। अधिक से अधिक पानी । इलैक्ट्रिक पाउडर,या ओ आर एस घोल लें। हो सके तो गाय का दूध, बादाम मुनक्का काजू ले जल्दी रिकवर होने में सहायक है।खूब आराम करें । अधिक से अधिक नीद ले।सकारात्मक वातावरण बनाये रखे। व्यस्त रहें ।कष्ट के दिन झट कट जाते हैं।ईश्लर पर विश्वास रखें।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर में ये जरूर चलायें मेरा निजी अनुभव है।

https://youtu.be/4yt_nVcZulY

https://youtu.be/NA4d7OQVGSw

https://youtu.be/CeYJodwCQKc

इस दौरान ये दवाएं ली मैंने

आयुर्वेद की कोरोनिल ,ज्वरनाशकवटी श्वाशारी और अनु तेल



खाांसी के लिए


एलोपैथी सिम्टम्स कन्ट्रोल करने के लिए

जो बहुत जरूरी है।


पेट खराब होने पर ये


 इस दौरान डाक्टर देवांशी गोस्वामी लखनऊ।

और डाक्टर चिरदीप अग्रवाल जी का विशेष सहयोग रहा । दोनों का हृदय से आभार।

सरला भारद्वाज

21/4/21/

पसलियों पर कफ न जमें इसके लिए आजमाएं।

हल्दी अदरक लहसुन प्याज मिलाकर पेस्ट बनाएं और सीने पर लेप करें और कपडा लपेट ले। ये राम देव जी करा रहे हैं  निमौनिया में।


 या बांसी कागज पर गुनगुना शहद लपेट कर खाने वाले चूने का पाउडर छिड़क कर पसलियों पर चिपकायें  और कपडा लपेट ले या टाइट बनियान पहन लें।जमा हुआ सारा कफ मल में निकल जाता है।मेरा निजी अनुभव है ।बेटी को बचपन में निमोनिया बहुत होता था तब एक वैद्य जी ने ये स्पर्श चिकित्सा सिखाई थी ।दूसरे दिन नहाना नहीं ,कागज को खुदबखुद छूटने दें ,थोडा चुभेगा जरूर।

शरीर में आक्सीजन मेंटेन रखने के लिए

इस लिंक पर जायें।

https://www.facebook.com/watch/?v=187435496543085

 और अधिक जानने के लिए पूरा पढे।
सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया :


कहा जाता है -पहला सुख काया,दूजा सुख माया।" बाकी सुख बाद में। क्यों कि बाकी सुख ये दोनों हैं तभी भोग पायेंगे।इस समय पूरा विश्व कोरोना की दूसरी तीसरी लहर से जूझ रहा है।भारत में  ही अप्ररत्याशित केस पौजेटिव आ रहे हैं।  बच्चे भी    जानते हैं मास्क ,साफ सफाई,  उचित दूूरी  सोशल डिस्टेंसिंग सैनिटाइजर आदि बेसिक जानकारियां और बचाव केेे उपाय।  कोरोनाा सेे  बचनेे के के लिए व्यक्ति अपनीी शक्ति और सामर्थ्यय के अनुसार एड़ी चोटी का जोर लगा देता है कि कोरोनावायरस उसे छू न सके । परंतु सुरक्षा कीीी दीवार में कहां छोटा सा छेद रह गया  हो कोई नहीं  जानता। इस समय

10बुखार पीड़ितों में से 6को पौजेटिव आ रहा है ।तो क्या करें ? क्यों कि चपेट में कोई भी आ सकता है , मैं भी और आप भी।रोग तो रोग है किसी को भी हो सकता है।

क्या करें? 

घर में सभी दो टाइम भाप ले,

पौष्टिक और संतुलित तथा घर का ही बना भोजन लें। हाथों की सफाई का ध्यान, मास्क पहने बिना बाहर न जायें वो सभी सावधानी जो एक साल में सीखी हैं।

क्यों कि वाइरस हवा में ट्रेवल कर रहा है और उसका साइस   है मास्क से भी जा सकता है,हा मास्क 90/प्रतिशत खतरा कम कर देता है  पर ये नहीं कहा जा सकता हि पूरी तरह सुरक्षित हैं।

बुखार आने पर क्या करें - यहां आपको सतर्कता और सावधानी की विशेष जरूरत होगी। 

बुखार आने पर घर के सदस्यों से दूरी बनाएं। मास्क लगाएं। अपना ख्याल खुद रख सकते हैं तो खुद ही रखें।

 यदि नहीं रख सकते तो ख्याल रखने वाले व्यक्ति को विशेष ख्याल रखना होगा, अपना भी और मरीज का भी ,पूरे नियम फॉलो करने होंगे बचाव के,।

रोगी की चीजें रोगी के आसपस ही होनी चाहिए ताकि वह अन्य चीजों को छूने से बचें।

यहां आपकी उम्र और समझदारी , सक्षमता, असक्षमता  पर डिपैंड करता है  । पर करना अवश्य है।

1.दिन में तीन बार शरीर का टेंपरेचर, थर्मामीटर तो आपके घरों में होना ही चाहिए।

2. पेरासिटामोल 650 या डोलो 650 अवश्य लें देखते रहे बुखार कम हो रहा है कि नहीं।

3. अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाई ले।

4.रोगी के लक्षणों पर अवश्य ध्यान दें- 

क्या बुखार आने से पूर्व आपके पैर के टखनों में जोड़ों में कलाई आदि में दर्द हुआ ?

क्या सिर में अजीब सा दर्द है ?

क्या बुखार के समय मांसपेशियों में बहुत तेज दर्द है? 

विशेष रुप से पैरों की पिंडलियों, क्या पेट हल्का खराब है ,या दस्त हैं?

 क्या बहुत अधिक प्यास लग रही है?

 क्या नाक के अग्रिम भाग पर ऐसे लग रहा है जैसे मिर्ची मल दी हो? 

कमर के पीछे हड्डी में असह्य दर्द ।

क्या दवा लेने पर भी फीवर कम नहीं हो रहा है? ये लक्षण आते हैं, किसी को बहुत तेज बुखार होता है किसी को कम।

यदि  ये लक्षण हैं तो हां,   यह कोरोनावायरस  है। तुरंत जांच कराएं।


जांच कौन सी और कैसे और कब  कराये- 

 रोगी नेगेटिव है या पॉजिटिव है यह जांच करने के लिए R t p c r . नाम की जांच होती है। 

प्रत्येक जिले के जिला अस्पताल में फ्री उपलब्ध है ।

जिला अस्पताल की स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा स्थान स्थान पर जांच के कैंप भी लगाए जा रहे हैं, वहां भी कराई जा सकती है।

जैसै हमारे यहां आगरा के दयालबाग सरन अस्पताल में दोपहर को प्रतिदिन दोपहर २:-४ के बीच। प्राइवेट भी जांच होती है ₹900 का खर्चा पड़ता है। यदि रोगी को घर पर ही जांच करानी हो तो लगभग ₹1200 का पड़ता है।

एक बात का विशेष ध्यान रखें। पॉजिटिव रहें ।जांच में जो भी आए आपका स्वास्थ्य पॉजिटिविटी ही जल्दी ठीक करने वाली है। इसलिए घबराएं नहीं, एक रोग है आसानी से ठीक हो जाता है ।बस हमको ठीक ठीक समय पर डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना होता है।


पौजेटिव हो जायें तब क्या करें -

rtpcr के बाद तुरंत ही पता चल जाता है, कि हम नेगेटिव है या पॉजिटिव। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव है, तो तुरंत अपने आप को मेंटली और फिजिकली तैयार  करें ।

पॉजिटिव रहे, घबराएं नहीं। लोगों से दूरी बना ले। क्योंकि आप का इलाज अभी तुरंत शुरू नहीं होगा जांच की रिपोर्ट आने में 48 घंटे का समय लगता है। तब तक हमारी स्थिति बिगड़े ना, इसके लिए हम क्या करें यह विशेष जानने योग्य बात है जो विशेष रूप से डॉक्टर की सलाह अनुसार प्रयोग की हुई है। 

खुद को एक कमरे में आइसयोलेट कर ले। प्रयोगों के सामान दवाई पानी की बोतल कपड़े बर्तन थर्मामीटर मोबाइल मास्क सेनीटाइजर सब कुछ अपने ही पास रखें ।

 आप अपने कमरे में किसी और को प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकते किसी विशेष कंडीशन में कोई आएगा तो बहुत सावधानी सतर्कता मास्क सैनेटाइजेशन  आदि के साथ। अन्यथा रोगी के दरवाजे पर ही जरूरत की सभी चीजें रखनी है, दूर से ही सामान देना है।रोगी की छूए हुए सामान को छूने से बचें।

यदि घर में एक से अधिक बाथरूम हो तो रोगी का बाथरूम अलग निर्धारित कर ले। और यदि बाथरूम एक ही है तो उसके यूज के बाद रोगी को सैनिटाइज करना होगा। तत्पश्चात घर के और लोग सैनिटाइज करके ही प्रयोग कर सकते हैं। यदि रोगी अधिक कमजोर है तो, यह जिम्मेदारी घर के किसी समझदार व्यक्ति पर आ जाएगी। 



आपके पास आक्सीमीटर ,थर्मामीटर,और भाप लेने की मशीन तो होनी ही चाहिए

आपको यदि सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, साँस लेने में तकलीफ, जोड़ों में दर्द, अत्यधिक थकावट, मांसपेशियों में अकड़न इत्यादि लक्षण आते हैं, तो आप तुरंत कोविड की जांच कराइए। 
जब तक आपकी रिपोर्ट नहीं आती है तब तक अपने आपको कोविड पाजिटिव मानकर निम्नलिखित बातों का पालन शुरु कर दें।

1- खुद को आइसोलेट कर लें।

2- तरल पदार्थ जैसे सूप, जूस, काढ़ा, चाय, काफी, गुनगुना पानी, गर्म दूध आदि कम से कम 4 लीटर लेने का  प्रयास करें।

3- पूर्ण रूप से आराम करें और अच्छी नींद लें।

4- अपने आप को फिल्म, शार्ट फिल्म, किताब, गाना, कहानी, कविता, क्रिकेट आदि के माध्यम से व्यस्त रखें। दोस्तों से बातें करें। 

5- स्नान भी गुनगुने पानी से ही करें। 

6- सुबह शाम भाप की सांस लें और नमक पानी गुनगुना करके गलारा करें। 

7- ठन्डे वस्तुओं से परहेज़ करें।

8- पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन नापते रहें 94-92 के नीचे   आने पर तुरंत हेल्पलाईन पर फोन करें। 

9- आक्सीमीटर न मिल पाने के स्थिति में अपने सांस को 14-18 सेकेंड के लिये रोक कर अपने को चेक करें। 

10- नकारात्मक बातों और घटनाओ से दूर रहें।

मेडिकल स्टोर पर सम्पर्क करके निम्नलिखित दवाओ को शुरु कर दें।

1- पैरासिटामोल 650mg सुबह दोपहर रात

2- एज़िथ्रोमाइसिन 500mg रोज़ दिन में एक बार

3- डाक्सी 100 mg सुबह शाम 

4- आइवरमेक्टीन 12 mg तीन दिन तक रोज़ एक गोली फिर सप्ताह में एक बार

5- विटामिन सी (Limcee/ Vitcee) 500 mg सुबह शाम चूसना है। 

6- विटामिन D3 60K सप्ताह में एक बार

7- मोन्टेमैक-एल या मोन्टेयर एलसी एक सुबह एक शाम 

8- एवियान एल सी एक सुबह एक शाम 

9- ज़िन्कोवीट एक रोज़

इतना करिये जब तक 3-4 दिन में रीपोर्ट आयेगा हो सकता आपकी तीन चौथाई बीमारी समाप्त हो चुकी होगी। 

डॉ भूपेन्द्र सिंह
हिमैटोलाजिस्ट 
चंदन हास्पिटल, लखनऊ
 ये बहुत जरूरी है जिससे रोगी स्वयं जांच कर सकता है । हमारे शरीर का नार्मल आक्सीजन लेबल 95-100होता है।90से कम होने पर खतरा होता है।हमारी नार्मल पल्स रेड 72-85के बीच होती है ।90तक भी ठीक है , कमजोरी में पल्स बढ भी जाती है जिसे हल्के-फुल्के व्यायाम प्राणायाम और डीप ब्रीदिंग से ठीक किया जा सकता है ।समय से दवा भरपूर आराम  बहुत जरूरी है।95प्रतिशत रोगी घर पर ही ठीक हो जाते हैं। गंभीर बीमारी जिन्हें है उन्हें ही हास्पीटल जाने की जरूरत होती है।
इन दवाओं ने मुझे ११ दिन में  ठीक किया।
साथ में कोरोनिल भी प्रयोग की । 
बाद में वीकनेस बहुत रहती है अतः अच्छी और संतुलित हैल्दी डाइट और इलैक्ट्राल पाउडर पानी खूब ले बार बार ले पानी सबसे ज्यादा जरूरी है ।भाप लगातार लेते रहे। सूखे मेवे ले सकते हैं । कीवी और सेब बहुत कारगर रहता है।

 कोरोनिल साथ साथ ले सकते हैं या होम्योपैथिक भी ,पर किसी परिचित डाक्टर के निर्देश में। एक चीज का विशेष ध्यान रखें यह स्वयं आजमाया हुआ फार्मूला है एक डॉक्टर से ही सुना था यदि आपको कोरोना के दौरान कमजोरी नहीं चाहते, तो आपको प्रतिदिन लगातार 4 दिन तक सुबह खाली पेट खीरा और टमाटर पेट भर कर खाने हैं ।तब 2 घंटे बाद या जब भूख लगे, भोजन करना है यह आश्चर्यजनक है कि खीरा और टमाटर तथा नारियल पानी शरीर में कमजोरी नहीं आने देता और मरीज बहुत जल्दी स्वस्थ होने लगता है। प्रयोग हम बुखार आने वाले दिन से ही स्टार्ट कर दें तो और अधिक अच्छा रहता है।  इसमें कोई नुकसान भी नहीं है दवाइयां अपना काम करेंगे डॉक्टर सपने काम करेंगे और यह अपना काम करेगा। तीन बार स्टीम और बार-बार गर्म पानी पीना न भूलें यह अत्यंत आवश्यक है। कमरे के अंदर ही हल्का-फुल्का प्राणायाम करें व्यायाम करें।

समय से  दवाइयां भोजन पानी और आराम का विशेष ध्यान रखें  नीद बहुत जरूरी है। कुछ चुनौतियां भी आपको मिलेंगे जिनका आपको सामना करना पड़ सकता है।

इन चुनौतियों के लिए रहे तैयार-- 

पॉजिटिव होने के बाद आपको मानसिक भावनात्मक शारीरिक सामाजिक अलग-अलग प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अच्छे -बुरे अपने और पराए लोगों की पहचान का भी यह एक विशेष समय रहेगा आपका। 

आपको तैयार रहना होगा, आपकी कल्पना और सोच के विपरीत पढ़े लिखे और समझदार दिखने वाले लोग भी अजीब व्यवहार करते मिल सकते हैं ,हो सकता है आपसे कोई पॉजिटिव होने की बात छुपाने के लिए कहे।

 हो सकता है आपका कोई घर का बड़ा बुजुर्ग  या आपके ऑफिस का कोई बॉस आपका कोई साथी आप से फोन स्विच ऑफ करने की सलाह दे ,या दबाव बनाये। कहीं किसी भी स्थिति में आपको अपना स्विच ऑफ नहीं रखना। अपरचित की हर कॉल आपको रिसीव करनी होगी जानी पहचानी कॉल्स में आपकी स्वेच्छा है। मोबाइल फोन ही आपके और परिवार के और डाक्टर के बीच का माध्यम है ,यही आपको कामधेनु सिद्ध होगा। आप कमजोरी में बात करना चाहते हैं या नहीं। आपका निर्णय केवल परिचितों तक है।

 आपके द्वारा कोरोना टेस्ट कराते समय आधार नंबर,फोन नंबर  पूरा पता  फ़ार्म में लिया है ,उसके तहत ही शासन प्रशासन

 स्वास्थ्य विभाग एक्टिव होगा ,और आप  से बहुत सारी डिटेल मांगेगा। बार-बार कॉल आएंगे आपको हर एक कॉल का जवाब देना होगा। सही सही जानकारी देनी होगी। होम आइसोलेशन ऐप आपको डाउनलोड करना होगा। टाइम टू टाइम उसके द्वारा मांगी हुई जानकारियां अपडेट करनी होंगी। यह आपके जीवन के लिए भी जरूरी है, और आप की नैतिक जिम्मेदारी भी है, कि अपने जीवन के साथ साथ हम औरों का जीवन बचाने में सरकार की, हेल्थ डिपार्टमेंट की, सहायता करें आपको बिल्कुल नहीं उकताना है ।आपके मोबाइल पर पॉजिटिव जांच का मैसेज आते ही, पूरे डिपार्टमेंट एक्टिव हो जाते हैं ।दिन में 10 बार भी 20 बार भी आप के विषय में आपके स्वास्थ्य के विषय में आपके इर्द-गिर्द संपर्क के विषय में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त करेंगे। फोन कभी जिले से होगा कभी प्रदेश से और कभी केंद्र से, जो जानकारियां आप को वैधानिक रूप से नैतिक रूप से सही-सही प्रदान करनी है।  वो रात दिन हम सब के लिए ही काम कर रहे हैं।

एक-दो दिन की इस प्रक्रिया के बाद जिला अस्पताल से आपके पास टीम आएगी। आप यदि होम आइसोलेट रहना चाहते हैं, तो वहां से भेजी हुई दवाइयों की किट आपको वह देकर जाएगी ।और पूरी तसल्ली करके जाएगी कि आप के घर पर रहने से कोई और तो संक्रमित नहीं हो सकता साथ ही घर के सभी मेंबर्स की जांच कराने की बात होगी। जो हमें पहले ही करा देना चाहिए।

मरीज को दबा का  ध्यान रखना पड़ेगा। अपनी स्थिति का स्वास तो नहीं फूल रही, सांस लेने में खड़खड़ की आवाज तो नहीं आ रही ।ऑक्सीजन पल्स चेक करनी होंगी। टेंपरेचर चेक करना होगा ।आराम करना होगा। दी हुई दवाइयां प्रॉपर खानी होगी ।किसी विशेष आकस्मिक स्थिति के लिए दी गई सलाह हेल्पलाइन नंबर के आधार पर उस नंबर पर कांटेक्ट करना होगा।  जानकारी देनी होगी ताकि आप असुविधा से और तकलीफ से बच  सके, अन्यथा सामान्य रूप से 3 या 4 दिन में बुखार उतर जाता है अलग-अलग सिम्टम्स होते हैं ,लोगों में ।किसी की स्थिति में जल्दी सुधार आता है ।किसी की धीरे-धीरे ।जिनको कोई गंभीर बीमारी है उनकी प्रॉब्लम रहती है उन्हें विशेष देखरेख,  डॉक्टर्स की ही जरूरत है ।अस्पताल की जरूरत है ।अन्यथा घर पर रहकर ही कुछ दिन में ही व्यक्ति नेगेटिव हो जाता है। पुनः जांच करानी होती है, और शासनादेश के अनुरूप ही नेगेटिव होने के पश्चात आप सार्वजनिक स्थल पर जा सकते हैं। 

शारीरिक कठिनाई

इस दौरान ये लक्षण रहते हैं घबराएं नहीं

1.पेट ख़राब हो सकता है।

2.लगातार कयी दिन तक बुखार रह सकता है।

3.सिर भारी,और चक्कर महसूस हो सकतें हैं।

4स्वाद और स्मैल बिल्कुल चली जाती है। बाद में ठीक होने की स्थिति में अजीब  कसैला स्वाद होगा जीभ के पिछले हिस्से पर।

5,भूख गायब हो जाती है पर कुछ न कुछ खाते रहना है। नारियल पानी सबसे बेहतर है जो कमजोरी कंट्रोल करता है या  सुगर न हो तो इलेक्ट्रोल पाउडर बेहतर है।

पेट खराब होने की स्थिति में मुझे ये दवा दी गयी

 






 

 विशेष -नारियल पानी खीरा टमाटर अच्छे-अच्छे पौष्टिक  पदार्थों  इम्युनिटी बढ़ाने वाली पदार्थों का सेवन करते रहिए और मुस्कुराती हुई जिंदगी का स्वागत करें। 

 साभार -सरला भारद्वाज 




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