आयौ बसंत
आयौ बसंत आयौ बसंत,
मधुमय संदेशा लायौ बसंत।
महक उठे बन बाग बगीचा,
चहुंओर नवरंग उलीचा।
क्रूर कोरोना से मुक्ति को
कोविशील्ड लायौ बसंत।
आयौ बसंत आयौ बसंत।
खुलने लगे बंद विद्यालय,
गूंज उठे फिर से ज्ञानालय।
वाणी के अवतरण दिवस संग, ।
फाग राग लायौ बसंत।
आयौ बसंत आयौ बसंत ।
अमुंवा की डाली बौराई,
देखि देखि कोयल इतराई।
छेडी पंचम तान सुरों की,
कुहुकि कुहुकि गावै बसंत।
जन जन के मन भायौ बसन्त।
सरला भारद्वाज १३-२-२१
पिछले वर्ष की स्वरमयी कोशिश भी सुनिए।
👌👌👌👌👌
ReplyDeleteवाह वाह वाह वाह
ReplyDelete👌👌👌🙌🙌🙌🙌🌻🌼🌼🌻🌺🌺
ReplyDelete👏👏👏👏
ReplyDeleteSuper 👍🙏🙏🌻🌻🥀🌷🌹💐🍁🌾🌾🌾🌼🌼🌼🌼🌼
ReplyDeleteMam bahut sindur 😃😃
ReplyDelete🤗🤗👌👌
ReplyDelete🥳🥺😃🤩sandeep Chahar
ReplyDeleteMam bahut hi sundar duani aur citra hai aap ka dhanyawad
ReplyDeleteTanay pandey