बिटिया तुम बड़ी जरूर होना........... 


बिटिया तुम बड़ी जरूर होना

अपने बड़े होने का फक्र करना

पैनी नजरें अपनी आसमां पर और

पैर मजबूती से ज़मीन पर रखना.... 


कुछ भेडि़ए बढता देख तुम्हें

हो सकता हैं टिकाएं गिद्ध निगाहें

वासना की दरिया में डूब, तुझे सताऐं

बेटा, तू मूक दर्शक मत बने रहना.......... 


संस्कार परिवार ने दिए हैं सब

धर्म के सबक सिखाए गए सब

भीरू होना नहीं है इनका मतलब

नारी हो मजबूर नहीं, याद रखना यह सबब. . ..... 


कोमलता ह्रदय में स्वभावगत है

दैहिक सौंदर्य ईश्वरीय वरदान है

तुमसे ही घर-परिवार की आन है, शान है

भूलना मत, तुम्हारा मान है, सम्मान है.......... 


तो गुजर गए वो दिन

जो कैद कर सके तुम्हें कुरीतियों की बेड़ियों में

जो गला घोटे तुम्हारी सुनहरी आशाओं का

जो मजबूर करें सुनने तुम्हें कसीदे जमाने के

तुम पांचाली नहीं, जिसे मजबूरी में पड़े जीना...... 


कभी नहीं टूटने देना तुम अपने सपने

सफलता के नए आयाम तुम्हें हैं गढ़ने 

परिस्थितियों के परे इतिहास है रचने

देखना, तुम नित गीत जीत के लगेगे गूंजने......... 


जरा सुनना- जरा संभलना 

अच्छे से सीखना, बुरे से बचना

जब छाने लगे नैराश्य के बादल

तब दामिनी बन तुम लगे गर्जना

उन अमर वीरांगनाओं से सीखना

मेरी इन बातों को जरा फिर याद करना........ 


बेटा, तुम बड़ी जरूर होना

मेरा तुमे बेटा कहना 

लगे चंद लोगों को खटकना

मगर तुम इन सबसे बढ़कर

निर्भीक हो

अपने बड़े होने का फक्र करना.............


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