मनचला भंवरा
कभी इस फूल पै ,कभी उस फूल पै,
भंवरा तो मंडराते, हर फूल पै।
प्यार के जो नाम को बेजार करता है ।
वासना की वृत्ति से ,प्रहार करता है,
कहता कि कलियों पै ,उपकार करता है।
होवै ना अफसोस ,जिसे किसी भूल पै।
भंवरा तो मडराये हर फूल पै।
कलियां कुचल होवै , तृप्ति उसकी
वार करना पींठ पर ही, वृत्ति उसकी
भावनाओं को जो, तार तार करता है।
कहता है बाग को, बहार करता है।
फूल है गुलाब का, पसंद उसको ,
करेगा ये शौक कभी, तंग उसको।
पड़ जाएगा जो पंख ,कभी शूल पै।
भंवरा तो मंडराये ,हर फूल पै।
सरला भारद्वाज
10/2/10
https://youtu.be/CCrqvfIzOJk
दोस्तो अजीब संयोग है, अभी रिलीज हुआ यार मेरा तितलियां सांग मेरे द्वारा लिखित कविता और उसकी धुन से हूबहू मिलता है । जो मैंने 2010 में लिखी थी ।लिंक पर जाकर मैच कर सकते है।
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