तुम नहीं आये
फूल गयी सरसों,बीत गयी बरसों,
पर तुम नहीं आये।
१..हर पल दिन रैन,
सुनने को तरसू बैन,
तरस गये नैन,
मन को न आवै चैन,
गोकुल की बस्ती में,
फागुन की मस्ती में,
काजलमय नयन नीर,निर्झर बरसाये।
पर तुम नहीं आये।
२..कलियों के हृदय खिले,
प्रियतम मधुकर जो मिले,
कोयल का कण्ठ छेड़े,रस बसंत तान,
रसवंती कलियां गायें, राग रति गान,
स्मृति की डोरियां ,खींचतीं हैं प्रान।
आ भी जाओ निष्ठुर, बैठी पलकें बिछाए।
तुम क्यों नहीं आये।
सरला भारद्वाज ।(पथिक)
१५-२-१५
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