वंदना ,अर्चना
वंदना क्रम
प्रातः स्मरण
https://youtu.be/smxAbMOeT4g
(विद्या भारती सम्पूर्ण वन्दना)
१. ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी,
अर्थ- हे ब्रह्मा! हे मुरारी !हे त्रिपुर के नाशक कल्याणकारी शिव !हे सूर्य, चंद्रमा, हे भूमि पुत्र मंगल!हे बुध, हे बृहस्पति ,हे शुक्र ,शनि, राहु और केतु! आप सभी नवग्रह मेरे प्रभात को शुभ और मंगलमय बनाएं।
२.सनत्कुमार: सनक:सनंदन:
सनातनौप्यासुरपिंगलौ च।
सप्त स्वरा:सप्त रसातलानि ।
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।
अर्थ- ब्रह्मा के मानस पुत्र श्री सनत कुमार, सनक, सनंदन और सनातन जो सांख्य दर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि के शिष्य हैं। आसुरी एवं छंदों का ज्ञान रखने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करिए । सातों स्वर, सातों रसातल मेरी प्रभात को शुभ मंगलकारी करें।
३.सप्तार्णवा:सप्त कुलाचलाश्च
सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त
भूरादि कृत्वा भुवनानि सप्त
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।
अर्थ- सातों समुद्र, सातों पर्वत, सप्त ऋषि, सात द्वीप, सात वन, सात भूलोक आदि ,सात भुवन ,आप सभी मेरे प्रभात को मंगलमय करिए।
४.पृथ्वी सगंधा सरसास्थाप:
स्पर्शी च वायुर्ज्वलनम् च तेज: ।
नभ: सशब्दम् महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।
अर्थ- अपने गुणों की गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलन शीलता युक्त अग्नि, तेज शब्द रूपी गुणों से युक्त आकाश, महत्व बुद्धि साथ मेरे प्रभात को मंगलमय कर दें। अर्थात पांच तत्व आकाश, भूमि, जल, अग्नि, वायु, आदि मेरे प्रभात को मंगलकारी करें।
५. प्रातः स्मरणमेतद् यो
विदित्वादरत: पठेत्।
स सम्यग् धर्मनिष्ठ: स्यात्
संस्मृताखण्ड भारत:।
इस प्रातः स्मरण को समझकर और आदर पूर्वक पाठ करना चाहिए भारत की स्मृति मन में सजाते हुए अपने धर्म एवं कर्तव्य के प्रति हमेशा निष्ठावान और प्रामाणिक बने रहना चाहि
********""""""""*"""""""""*""""""********
दीपमंत्र
दीप ज्योति परमं ज्योति दीपज्योति जनार्दन,
दीपोहरतु मे पापं,दीपज्योति नमोस्तुते।
शुभंकरोतु कल्याणम्,आरोग्यम सुख सम्पदां।
द्वेष बुद्धि विनाशाय,आत्म ज्योति नमोस्तुते।
आत्म ज्योति प्रदीप्ताय ब्रह्म ज्योति नमोस्तुते।
ब्रह्म ज्योति प्रदीप्ताय, गुरू ज्योति नमोस्तुते।
विशेष -दीप प्रज्वलित करते समय ,यह दीप मंत्र बोलना चाहिए ,और दीपक की लौ की तरफ अपलक देखना चाहिए ।दीपक की दीपशिखा ऊर्ध्वगामी होती है जो जीवन को ऊर्ध्व मुखी ,ऊर्ध्वगामी, होने की सकारात्मक ऊर्जा देती है। दीपक से प्रार्थना करनी चाहिए ,हे दीप! मेरे जीवन का सारा अज्ञान मिटा कर, मेरे मन में प्रकाश भर के ,मेरे जीवन को ऊर्ध्वगामी ,उन्मुख और प्रगतिशील बनाओ !दीपक की लौं को एकटक देखने का वैज्ञानिक कारण भी है ।यह योग की त्राटक विधि है, जो ध्यान और एकाग्रता को अर्जित करती है।
इस त्राटक विधि से हमारे नेत्रों की ज्योति भी बढ़ती है ।अतः नेत्रों की ज्योति बढ़ाने के लिए दीपक की लौं की तरफ बिना पलक झपके दीप मंत्र बोलते हुए देखना।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा (श्लोक 1)
शांति मंत्र
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षॅं शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्र्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
सर्वॅंशान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि।।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।
एकात्मता स्त्रोत्र का आरम्भिक पाठ इस प्रकार है:
ॐ सच्चिदानन्दरूपाय नमोस्तु परमात्मने
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये || १ ||
प्रकृतिः पञ्चभूतानि ग्रहा लोकाः स्वरास्तथा
दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मङ्गलम्।। २।।
रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारतमातरम् || 3 ||
महेन्द्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः
ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा || ४ ||
गङ्गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी || ५ ||
अयोध्या मथुरा माया काशीकाञ्ची अवन्तिका
वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया || ६ ||
प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत्
इन्द्रप्रस्थं सोमनाथः तथाSमृतसरः प्रियम् || ७ ||
चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा
रामायणं भारतं च गीता सद्दर्शनानि च ॥८॥
जैनागमास्त्रिपिटकाः गुरुग्रन्थः सतां गिरः
एषः ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥९॥
अरुन्धत्यनसूया च सावित्री जानकी सती
द्रौपदी कण्णगी गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ॥१०॥
लक्ष्मीरहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा
निवेदिता सारदा च प्रणम्या मातृदेवताः ॥११॥
श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः
मार्कण्डेयो हरिश्चन्द्र: प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ॥१२॥
हनुमान् जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः
दधीचिविश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभार्गवाः ॥१३॥
भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा
शिविश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तय: ॥१४॥
बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पतञ्जलिः
शङ्करो मध्वनिंबार्कौ श्रीरामानुजवल्लभौ ॥१५॥
झूलेलालोSथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा
नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ॥१६॥
देवलो रविदासश्च कबीरो गुरुनानकः
नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दृढव्रतः ॥१७॥
श्रीमत् शङ्करदेवश्च बन्धू सायणमाधवौ
ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासः पुरन्दरः ॥१८॥
बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान्
वितरन्तु सदैवैते दैवीं सद्गुणसंपदम् ॥१९॥
भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा
सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ॥२०॥
रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रः स भूपतिः
कलावंतश्च विख्याताः स्मरणीया निरन्तरम्॥२१॥
अगस्त्यः कंबुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवंशजः
अशोकः पुश्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान् ॥२२॥
चाणक्यचन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः
समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः ॥२३॥
लाचिद्भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हूणजित्
श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः ॥२४॥
मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः
रणजि सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः ॥२५॥
वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा
चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिरः सुधीः ॥२६॥
नागार्जुनो भरद्वाजः आर्यभट्टो वसुर्बुधः
ध्येयो वेंकटरामश्च विज्ञा रामानुजादयः ॥२७॥
रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः
रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः ॥२८॥
दादाभाई गोपबन्धुः तिलको गान्धिरादृताः
रमणो मालवीयश्च श्रीसुब्रह्मण्यभारती ॥२९॥
सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिवीरो विनायकः
ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ॥३०॥
संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा
स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥३१॥
अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः
अनिर्दष्टा वीराः अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः
समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः
नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ॥ ३२॥
इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्
स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ॥३३॥
|| भारत माता की जय ||
MAM BAHUT ACHCHHA HAI
ReplyDeleteMam very good blog it is helpful to us
ReplyDeleteउत्तम, व्यवस्थित , बधाई, आभार
ReplyDeleteधन्यवाद!!
Delete