सुबह क्या करें ?क्या न करें? क्या आप जानते हैं? (प्रथम अंक)
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--- ?क्या आप जानते हैं?
प्रातः जागरण के उपरांत क्या करें? और क्या ना करें?
*यह प्रश्न पढ़ कर अलग-अलग लोगों के मन में अलग-अलग विचार उठ रहे होंगे।
''मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना: ।"
आइए इस लेख में हम जानते हैं ,कि प्रातः जागने के उपरांत हमें क्या-क्या करना चाहिए, और क्या क्या नहीं करना चाहिए। तो इस सवाल का जवाब जानते हैं ,हम अध्यात्म, शरीर विज्ञान ,और आयुर्वेद, को ध्यान में रखते हुए।
*सूर्य उदय से पूर्व ही जागरण उत्तम होता है।उगते सूर्य के दर्शन करें,ताकि शुभ मंगल का सूर्य हमारे जीवन में हमेशा उदित रहे।
*सूर्य उदय के पश्चात जागने से शरीर में पित्त बढ़ता है,और स्वास्थ्य के लिए कफ, पित्त और बात,का संतुलन (बैलैंश) अति आवश्यक है।
*मित्रों जागरण के उपरांत 2 मिनट बैठें, अचानक से बिस्तर से उठ कर जमीन पर न चलें। क्योंकि रात भर के सोने के उपरांत हमारे शरीर के तापमान में और पृथ्वी के तापमान में अंतर होता है। पहले अपने शरीर के तापमान को, स्वयं को सामान्य करें ।
2 मिनट बैठें तदुपरांत निम्नलिखित मंत्र को बोलते हुए सर्वप्रथम अपने हाथों का दर्शन करें।
(आपकी शुलभता के लिए मंत्र उच्चारण की वीडियो भी तैयार की है ।सुनकर भी याद कर सकते हैं)
मंत्र
कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्।।
विशेष - जीवन में हमें धन बुद्धि और बल तीनों की आवश्यकता होती है, और इन तीनों को प्रदान करने वाले हैं- सरस्वती ,लक्ष्मी और गोविंद। अतः प्रातः जागरण के उपरांत, अपने हाथ की हथेलियों और रेखाओं में तीनों देवों की कल्पना करनी चाहिए। हाथ के अग्रिम भाग में लक्ष्मी जी ,मध्य भाग में सरस्वती जी, और हाथ के मूल भाग, मणिबंध में भगवान श्री कृष्ण गोविंद ,या नारायण की कल्पना करके, प्रातः अपने हाथों का दर्शन करें, और इस श्लोक को बोलें तत्पश्चात अपने दैनिक कार्य प्रारंभ करने चाहिए।
इतना करने के पश्चात जमीन पर सीधे पैर नहीं रखें। अपने हाथों से जमीन को स्पर्श करें ।क्योंकि शरीर विज्ञान और आयुर्वेद भी कहता है ,-"पैर गर्म सिर ठंडा "अतः शरीर के तापमान और पृथ्वी के तापमान के बीच समानता बनाने के लिए, सर्वप्रथम हाथों से पृथ्वी का स्पर्श करें, और कहें -हे मातृभूमि आप को मेरा प्रणाम है। यह सर्वविदित है -हम पृथ्वी की ही संतान हैं।अतः पृथ्वी के प्रति हमारा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए ।तत्पश्चात जमीन पर पैर रखकर अपने नित्य कर्म करना प्रारंभ करें ।सर्वप्रथम गुनगुना एक या दो गिलास जल पिए। जीवन के तीन"" प""को मंत्र मांन कर जीवन को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाया जा सकता है ।
*प्रथम पा है- उठते ही दो गिलास गर्म पानी ।
*द्वितीय पा है- खाली पेट प्राणायाम योगासन ।
(विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और भसृका और भ्रामणी।)
*तृतीय पा है- स्नान आदि से निवृत होकर पूजा ।
ये तीनों प नियमित होने चाहिए।तत्पश्चात अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त होना चाहिए।
प्राणायाम के समय मधुर संगीत सुनें, जो हमें पूरे दिन ऊर्जावान बनाए रखेगा ,और हमारे चेहरे पर तेज और सकारात्मकता बनी रहेगी। सुबह की ताज़ा हवा में टहलें अवश्य। बस सुबह अपने लिए 30मिनट निकालिए और चार्ज हो जाइए पूरे दिन के लिए।
नोट- मित्रो!" क्या आप जानते हैं ?"
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जय हिंद मेम
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteVery good mam
Deletejai hind mam
ReplyDeleteMam bhaute accha ha
ReplyDeleteइस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद!!!
ReplyDeleteThanks mam for this useful information
ReplyDeleteThanks man is important information ka lia
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