नमो नमो की हवा चली
चली चली फिर हवा चली ।
नमो-नमो की हवा चली ।
घर में घुसि आतंकी मारे,
चर्चा विश्व में गली गली
चली चली फिर हवा चली ।
नमो नमो की हवा चली।
कछु पूछे कितने मारे ,
कछु बोलें पेड़ उखारे।
खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे,
गर्म दूध से जली जली।
चली चली फिर हवा चली।
नमो नमो की हवा चली।
भारत के शेर दहाड़े।
दुश्मन का सीना फाड़े ।
कछु के सीना पर सांप लोट रहे,
एयर स्ट्राइक हुइ भली भली।।
चली चली फिर हवा चली ।
नमो नमो की हवा चली।
राष्ट्रहित में बटन दबाओ,
दुश्मन को धूल चटाओ।
षड्यंत्री जाएं सलाखों के पीछे ।
कमल खिले जो गली गली।।
(सरला भारद्वाज )
मौलिक रचना
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