दीवाली विशेष -2020लक्ष्मी पूजन. की विशेष तैयारी

जय श्री कृष्ण           

 दीपावली पर पूरी जानकारी ।पूजा अर्चना   विधि-विधान और शुभ मुहूर्त                                             




जगमग दीप जले घर-घर में,  शुभ दिवाली आई।

मुद मंगलमय जीवन होवै,सरला देत बधाई।।

 मित्रों भारतीय महान उत्सव दीपोत्सव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की अमावस्या के दिन मनाया  जाता है ।इस बार यानी 14 नवंबर 2020दिन शनिवार को दिवाली का विशेष योग है ।






आइए कैसे करें हम विधि विधान से इस पर्व का आयोजन और लक्ष्मी जी का पूजन ,जानते हैं ।मेरा यह लेख पढ़ने के बाद ब्लॉगर में कमेंट बॉक्स में कमेंट करना ना भूलें । आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। 

प्रातः काल

प्रात काल पानी में गंगाजल और थोड़ी हल्दी डालकर स्नान करें। स्नानोपरांत तांबे या पीतल के लोटे में गुड़ और पीला या लाल चंदन,लाल पुष्प डाल कर  सूर्य  नारायण को जल अर्पित करें । सूर्य नारायण ही समस्त संसार के स्वामी है, 12राशियों के स्वामी हैं। 

  मंत्र उच्चारण करें-

ॐ नमो भगवते भास्कराय नमः। अथवा सूर्य को  गायत्री मंत्र के साथ जल अर्पित करें।

2 तुलसी को जल अर्पित करें साफ-सुथरी  धुली हुई देहरी पर पीली हल्दी से स्वास्तिक बनाएं । और विघ्न विनाशक श्री गणेश जी का ध्यान करें ।मां लक्ष्मी जी का ध्यान करें ।भगवान नारायण का ध्यान करें ।और अपने घर में पधारने के लिए आमंत्रित करें।

3.अपने आराध्य देव का पूजन अर्चन करें। उन्हें भोग लगाएं। घर की परंपरा के अनुसार सुबह की पूजा करें।

4.इस दिन सभी परिवार के लोग धुले हुए लाल या पीले स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।घर की स्त्रियां लाल रंग के कपड़े पहने और 16 शृंगार करें क्योंकि मां लक्ष्मी स्वरूपा ही गृह लक्ष्मी होती है। जिसके सुंदर स्वरूप को देखकर ही लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।

6.शाम के भोग की तैयारी करें। कोरोना को ध्यान में रखते हुए घर पर ही सुलभता से बनाए जाने वाले मिष्ठान और मेवाओं से पूजन कर सकते हैं। यदि मिठाई बाजार की यूज़ करनी है तो एक या 2 दिन पूर्व लाई  हुई मिठाइयों का ही प्रयोग करें।

7. पूजन की सभी सामग्री दिन में ही जुटा लें ताकि पूजन के समय हड़बड़ी ना रहे पूजन की सामग्री इस प्रकार है-

 

पूजन की सामग्री की तैयारी

घी के दीपक 11/21

पूजा की थाली मैं स्वास्तिक बना हुआ पीले चावलों को का स्वास्तिक भी बना सकते हैं।

 1.  रोली, अक्षत

2.कलावा

 3.सुपारी 

 4.पंच मेवा

5.फूल माला , विशेष रुप से कमल का फूल लक्ष्मी जी के अर्पित करने के लिए

 6.गोमति चक्र

7. सुनहरी कौड़ी 

8.पान लोंग युक्त बीड़ा बना हुआ

9इत्र 

10दूब

11. एक मीटर लाल कपड़ा

 12.अशोक की पत्तियां /आम के पत्ते।

13.दीपावली चरण 

 14.चित्र,/कुबेर,मूर्ति गणेश, लक्ष्मी/जिनके घर पर चावल के लेप से स्वयं लक्ष्मी जी को स्थापित करने की परंपरा है वे उसी प्रकार करे चित्र या प्रतिमा का चयन करते समय ध्यान रखें मुस्कुराती हुई प्रतिमा हो चित्र में दाएं बाएं अंको में श्री यंत्र होता है जो उत्तम चित्र माना जाता है।

15.साबुत धनियां पीतल के लोटे में भरा हुआ।

16.तांबे के लोटे में पानी

17.पांच फलऔर नारियल।

18.खील खिलौने

19.नारियल की झाड़ू

20.बालकों की पुस्तक और कलम

21.घर का बहीखाता / उपहार कोई लक्ष्मी जी के लिए/. चांदी का सिक्का लक्ष्मी गणेश बना हुआ जिसका विधि विधान से पूजन करें।


https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/11/blog-post_13.html?m=1


अपनी परंपराओं के अनुसार विधि विधान से पूजन करें आप सभी के जीवन में खुशहाली संपन्नता शुभता  रहे।


विशेष -

सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित करें और दीप मंत्र बोलें
       

           

दीप ज्योति परमं ज्योति दीपज्योति जनार्दन,

      दीपोहरतु मे पापं,दीपज्योति नमोस्तुते।

शुभंकरोतु कल्याणम्,आरोग्यम सुख सम्पदां।

द्वेष बुद्धि विनाशाय,आत्म ज्योति नमोस्तुते।

आत्म ज्योति प्रदीप्ताय ब्रह्म ज्योति नमोस्तुते।

ब्रह्म ज्योति प्रदीप्ताय, गुरू ज्योति नमोस्तुते।

 विशेष -दीप प्रज्वलित करते समय ,यह दीप मंत्र बोलना चाहिए ,और दीपक की लौ की तरफ अपलक देखना चाहिए ।दीपक की दीपशिखा ऊर्ध्वगामी होती है जो  जीवन को  ऊर्ध्व मुखी ,ऊर्ध्वगामी, होने की सकारात्मक ऊर्जा देती है। दीपक से प्रार्थना करनी चाहिए ,हे दीप! मेरे जीवन का सारा अज्ञान मिटा कर, मेरे मन में प्रकाश भर के ,मेरे जीवन को ऊर्ध्वगामी ,उन्मुख और प्रगतिशील बनाओ !दीपक की लौं को एकटक देखने का वैज्ञानिक कारण भी है ।यह योग की त्राटक विधि है, जो ध्यान और एकाग्रता को अर्जित करती  है।

इस त्राटक विधि से हमारे नेत्रों की ज्योति भी बढ़ती है ।अतः नेत्रों की ज्योति बढ़ाने के लिए दीपक की लौं की तरफ बिना पलक झपके दीप मंत्र बोलते हुए देखना।

 पूजन विधि

पूजन सामग्री क्योंकि आप शाम को ही तैयार कर चुके हैं शुभ मुहूर्त में सभी स्वच्ततछता    पवित्रता  का  ध्यान रखिए। सर्वप्रथम जल के लोटे पर रोली का स्वास्तिक बनाएं । स्वास्तिक  इस तरह बनाएं कि कटे नहींं। स्वास्तिक के चारों ओर 4 बिंदु लगाएं रिद्धि सिद्धि और शुभ और लाभ की प्रतीक होती हैं। स्वास्तिक के दोनों ओर 2 विराम चिन्ह चिन्ना बनाएं जिसका अर्थ होता है रिद्धि सिद्धि और शुभता और लाभ आपके घर की तिजोरी में बंद रहे।

सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें मंत्र उच्चारण करें 

 

गणेश श्लोक

ॐ गजाननं भूतगणाधि सेवितम्।

कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्।

उमासुतम् शोक विनाश कारकम्।

नमामि विघ्नेशवरश्र्वर पाद पंकजम्।              ्््

स्तुति

गाइये गणपति जग वंदन।

शंकरसुबन भवानी नंदन।।

सिद्धि सदन गज बदन विनायक।

कृपा सिंधु सुन्दर सब लायक।।

मोदक प्रिय मुद मंगल मूला।

सब सुख करन ,हरन भव शूला।।

गाईये गणपति जग वंदन।।


तत्पश्चात गणेश जी का पूजन करें अक्षत से मोदक से दूब से कलावे से रोली से बारी बारी से धूप दीप नैवेद्य वस्त्र आदि अर्पित करने के पश्चात ,गणेश जी और मां सरस्वती के साथ विराजमान मां लक्ष्मी जी का ध्यान करें।

प्रथम मां लक्ष्मी जी से क्षमा याचना करें हे मां !हमें आपकी पूजा अर्चना नहीं आती है ,मैं जिस भी प्रकार करूं,


उसे स्वीकार    करेें।   मेरेे परिवार पर अपनीी कृपा दृष्टि रखेें।

                     

                  क्षमा याचना मंत्र

आवाहनं न जानामि

 न जानामि विसर्जनम्

 पूजा चैव  न जानामि 

क्षम्पयतां रमेश्वरी 

मंत्र हीनं क्रिया हीनं

 भक्ति हीनं सुरेश्वरी 

यत् पूजितम् मया देवी परिपूर्ण तदस्तु मे

 


                  ।।  महालक्ष्मीमंत्र ।।

देवी स्मृता हरसि भीतिम शेष जंतो  ,

स्वस्थे स्मृता  मतिमतीं शुभाम् ददासि। 

दारिद्रय भय दुख हारिणीं का त्वदन्या।

  सर्वोप कार करणाय  सदा अह्दृचित्ता।


दरिद्रता के भय और कष्ट को हरने वाली देवी मां महालक्ष्मी मेरी मेरे परिवार  को  बुद्धि ,मति को शुद्धता, शुभता ,क्षमता, प्रदान करो ।मेरे परिवार का कल्याण करो मेरे घर में सुख समृद्धि बनाए रखो। मेरे समस्त कार्य सफल करो।

मां भगवती महालक्ष्मी जी का ध्यान करें उनके रूप स्वरूप का ध्यान करें और श्री यंत्र की पूजा निम्नलिखित मंत्रों से करें।

श्री यंत्र पूजन मंत्र

श्री यंत्र 8 कोणों में होता है इसमें कुंज अंक लिखे होते हैं ,जिसे अष्ट लक्ष्मी पूजन भी कहते हैं।

ॐआद्य लक्ष्म्यै नमः।

ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः।

ॐभाग्य लक्ष्म्यै नमः।

ॐअमृत लक्ष्म्यै नमः।

ॐकाम लक्ष्म्यै नमः।

ॐसत्यलक्ष्मै नमः।

ॐभोग लक्ष्मै नमः।

ॐयोग लक्ष्मै नमः।

 


यंत्र पूजन मंत्र के बाद मां लक्ष्मी के अंग पूजन होता है महालक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए सर्वप्रथम प्रार्थना करें तत्पश्चात उनका अंग पूजन करें ।

ध्यान करते हुई लक्ष्मी जी का आह्वान

 


्आह्वान मंत्र

 समुद्र तनया देवीं सर्वा भरण भूषितम्।।

पद्म नेत्रां विशालाक्षीं,

 लक्ष्मी मावाह्याम्यहम् ।।

विष्णु प्रीत करीं देवी।

 देव कार्यार्थ साधनीयम्।।

 कुबेर धन दात्री,लक्ष्मी मावाम्याह्म्।।

ध्यान

हस्त द्वयेन कमले धारयन्ती

स्वलीलया

हार नूपुर संयुक्ताम् लक्ष्मी देवीं विचिंतये।


लक्ष्मी से प्रार्थना

सुवर्ण बृद्धिं कुरु मे गृहे लक्ष्मी(श्री:)

सुधान्यम् बृद्धिं कुरु मे गृहे श्री:। 

कल्याणम्  वृद्धिं कुरु  मे ग्रहे श्री:।

विभूति वृद्धिं कुरु मे  ग्रहे श्री:।।

       देवी के चरणों से मस्तक तक नख शिख पूजन
 

 १.ॐचपलाये नमः पादौ पूजयामि(चरणपूजन)
      २.ॐचंचलाये नमः जानुनी पूजयामि(जांघ पूजन
३.ॐकमलाये नमः कटिं पूजयामि (कमर")
   ४.ॐकात्यायन्यै नमः नाभिं पूजयामि(नाभि")
५.ॐजगन्मात्रे नमः जठरं पूजयामि(उदर")
              ६.ॐविश्ववल्लभायै नमः वक्षस्थलं पूजयामि (सीना)
               ७  .ॐ कमलवासिन्यै नमः हस्तौ पूजयामि(दोनों हाथ)
८.ॐपद्मानजायै नमः मुखं पूजयामि (मुख)
९.ॐकमलपात्राक्ष्यै नमः नेत्रं पूजयामि (नेत्रों)
     १०.ॐश्रियै नमः शिर: पूजयामि (सिर) ।          




अर्पण


 
 

  




यदि उपलब्ध हो तो निम्नलिखित पत्रों से भी महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है मंत्रोच्चारण के साथ यह पत्र अर्पित किए जाते हैं।

श्रियै नम: -कमल का पत्ता और फूल

लक्ष्म्यै  नमः -दुर्व  पत्र कालीघास

पद्मायै  नमः -तुलसी पत्र

धात्र्यै  नमः -बेल पत्र 

रमायै नमः -चंपा पत्र

बदरायै नमः-बेर या बेरी पत्र

लोक मात्रयै नमः मालती पत्र

चतुर्भुजायै नमः-जाति पत्र जामुन

ॠद्धौ नमः। आम्रपत्र

साभार  
सरला भारद्वाज
 



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