क्षितिज 9thहिंदी कोर्स ए समस्त पाठ्यक्रम
प्रिय विद्यार्थियों इस ब्लॉग में आपको नौवीं कक्षा के वार्षिक परीक्षा में आने वाले हिंदी विषय के समस्त पाठ के वीडियोस लिंक प्रश्न उत्तर उपलब्ध होंगे। आपकी सुविधा के लिए इन्हें एक ही ब्लॉक में संकलित किया गया है।
प्रत्येक पाठ की लिंक हेडिंग के नीचे पेस्ट है, जिसे आप कॉपी करके सर्च कर सकते हैं ओपन कर सकते हैं। अर्थात् अपने मनचाहे पाठ को आप एक ही जगह से सर्च करके पढ़ सकते हैं।
विद्या भारती सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रमक्षितिज गद्य
दो बैलों की कथा
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रीढ़ की हड्डी,
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माटी वाली।
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व्याकरण
समास
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अलंकार
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उपसर्ग प्रत्यय
शब्दों से पूर्व में जुड़ने वाले शब्दांश, जो शब्द में जुड़ कर उनके अर्थ में परिवर्तन ला दे ,उपसर्ग कहलाते हैं ।
जैसे -प्रहार=प्र +हार
बि+हार= विहार
सं+हार= संघार
उपरोक्त तीनों उदाहरणों को देखें तो ,हार ,शब्द में अलग-अलग उपसर्ग जुड़ने से, हार, का अर्थ बदल जाता है ।
संस्कृत के उपसर्ग-
संस्कृत के उपसर्ग, उनके अर्थ और उदाहरण –
क्रमांक | उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
1 | अति | अधिक, ऊपर, उस पार | अतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण, अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि । |
2 | अधि | ऊपर, श्रेष्ठ | अधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि। |
3 | अप | बुरा, अभाव, हीनता, विरुद्ध | अपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि। |
4 | अ | अभाव | अज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि। |
5 | अनु | पीछे, समानता, क्रम, पश्र्चात | अनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि। |
6 | आ | ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीत | आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि। |
7 | अव | हीनता, अनादर, पतन | अवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि। |
8 | उप | निकटता, सदृश, गौण, सहायक, हीनता | उपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि। |
9 | नि | भीतर, नीचे, अतिरिक्त | निदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि। |
10 | निर् | बाहर, निषेध, रहित | निर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, निरोग, निर्मल इत्यादि। |
11 | परा | उल्टा, अनादर, नाश | पराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि। |
12 | परि | आसपास, चारों ओर, पूर्ण | परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि। |
13 | प्र | अधिक, आगे, ऊपर, यश | प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि। |
14 | प्रति | विरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तन | प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि। |
15 | वि | भित्रता, हीनता, असमानता, विशेषता | विकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि। |
16 | सम् | पूर्णता | संयोग संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि। |
17 | सु | सुखी, अच्छा भाव, सहज, सुन्दर | सुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि। |
18 | अध | आधे के अर्थ में | अधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि। |
19 | अ-अन | निषेध के अर्थ में | अमोल, अनपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि। |
20 | उन | एक कम | उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि। |
21 | औ | हीनता, निषेध | औगुन, औघट, औसर, औढर इत्यादि। |
22 | दु | बुरा, हीन | दुकाल, दुबला इत्यादि। |
23 | नि | निषेध, अभाव, विशेष | निकम्मा, निखरा, निडर, निहत्था, निगोड़ा इत्यादि। |
24 | बिन | निषेध | बिनजाना, बिनब्याहा, बिनबोया, बिनदेखा, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम इत्यादि। |
25 | भर | पूरा, ठीक | भरपेट, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि। |
26 | कु-क | बुराई, हीनता | कुखेत, कुपात्र, कुकाठ, कपूत, कुढंग इत्यादि। |
हिंदी के उपसर्ग-
क्रमांक | उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
1 | अन | निषेध अर्थ में | अनमोल, अलग, अनजान, अनकहा, अनदेखा इत्यादि। |
2 | अध् | आधे अर्थ में | अधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि। |
3 | उन | एक कम | उनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि। |
4 | भर | पूरा ,ठीक | भरपेट, भरपूर, भरदिन इत्यादि। |
5 | दु | बुरा, हीन, विशेष | दुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि। |
6 | नि | आभाव, विशेष | निगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि। |
7 | अ | अभाव, निषेध | अछूता, अथाह, अटल |
8 | क | बुरा, हीन | कपूत, कचोट |
9 | कु | बुरा | कुचाल, कुचैला, कुचक्र |
10 | भर | पूरा | भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार |
11 | सु | अच्छा | सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल |
12 | पर | दूसरा, बाद का | परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित |
13 | बिन | बिना, निषेध | बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने |
उर्दू के उपसर्ग-
क्रमांक | उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
1 | ला | बिना | लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि। |
2 | बे | बिना | बेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि। |
3 | कम | थोड़ा, हीन | कमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि। |
4 | ग़ैर | के बिना, निषेध | गैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि। |
5 | खुश | श्रेष्ठता के अर्थ में | खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि। |
6 | ना | अभाव | नाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि। |
7 | अल | निश्र्चित | अलबत्ता, अलगरज आदि। |
8 | बर | ऊपर, पर, बाहर | बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि। |
9 | बिल | के साथ | बिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह |
10 | हम | बराबर, समान | हमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि। |
11 | दर | में | दरअसल, दरहक़ीक़त |
12 | फिल/फी | में प्रति | फिलहाल, फीआदमी |
13 | ब | और, अनुसार | बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर |
14 | बा | सहित बाकाय | दा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा |
15 | सर | मुख्य | सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार |
16 | बिला | बिना | बिलावजह, बिलाशक |
17 | हर | प्रत्येक | हरदिन हरसाल हरएक हरबार |
अंग्रेजी भाषा में भी कुछ उपसर्ग होते हैं जो इस प्रकार हैं –
क्रमांक | उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
1 | सब | अधीन, नीचे | सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर |
2 | डिप्टी | सहायक | डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर |
3 | वाइस | सहायक | वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट |
4 | जनरल | प्रधान | जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी |
5 | चीफ | प्रमुख | चीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी |
6 | हेड | मुख्य | हेडमास्टर, हेड क्लर्क |
प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में" और अय का अर्थ होता है "चलने वाला", अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय
अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
- समाज + इक = सामाजिक
- सुगंध +इत = सुगंधित
- भूलना +अक्कड = भुलक्कड
- मीठा +आस = मिठास
- लोहा +आर = लुहार
- नाटक +कार =नाटककार
- बड़ा +आई =
बडाई
- टिक +आऊ = टिकाऊ
- बिक +आऊ = बिकाऊ
- होन +हार = होनहार
- लेन +दार = लेनदार
- घट + इया = घटिया
- गाडी +वाला = गाड़ीवाला
- सुत +अक्कड = सुतक्कड़
- दया +लु = दयालु
प्रत्यय के प्रकार
- संस्कृत के प्रत्यय
- हिंदी के प्रत्यय
- विदेशी भाषा के प्रत्यय
संस्कृत के प्रत्यय
संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं । जैसे :- त – आगत , विगत , कृत । संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-
- कृत प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
कृतृ प्रत्यय
वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।
जैसे:लिख + अकः = लेखकः
(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल + अक = लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।
(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष + अन = पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।
(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।
(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु + अनिय = माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।
(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल +आ = सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।
(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन + आई = लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।
(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ +आन = उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।
(viii) हर, गिर, दशरथ, माला + इ = हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।
(ix) छल, जड़, बढ़, घट + इया = छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।
(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प +इत = पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।
(xi) चर्, पो, खन् + इत्र = चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।
(xii) अड़, मर, सड़ + इयल = अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।
(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार + ई = हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।
(xiv) इच्छ्, भिक्ष् + उक = इच्छुक, भिक्षुक आदि ।
(xv) कृ, वच् + तव्य = कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।
(xvi) आ, जा, बह, मर, गा + ता = आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।
(xvii) अ, प्री, शक्, भज + ति = अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।
(xviii) जा, खा + ते = जाते, खाते आदि ।
(xix) अन्य, सर्व, अस् + त्र = अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।
(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़ + न = क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।
(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा + ना = पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।
(xxii) दा, धा + म = दाम, धाम आदि ।
(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज + य = गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।
(xxv) गे +रु = गेरू आदि ।
(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना + वाला = देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।
(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव + ऐया \ वैया = बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।
(xxviii) होना, रखना, खेवना + हार = होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।
कृत प्रत्यय के भेद:
- कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
- विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
- भाववाचक कृत प्रत्यय
- कर्मवाचक कृत प्रत्यय
- करणवाचक कृत प्रत्यय
- क्रियावाचक कृत प्रत्यय
- कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। जैसे :-
अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़ आक = तैराक , लडाक आलू = झगड़ालू आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी इअल = अडियल , मरियल , सडियल एरा = लुटेरा , बसेरा ऐया = गवैया , नचैया ओडा = भगोड़ा वाला = पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला हार = होनहार , राखनहार , पालनहार ता = दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता ।
तद्धित प्रत्यय
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में लगने के बाद नए शब्दों की रचना करते हैं , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं । हिंदी में आठ प्रकार के तद्धित प्रत्यय होते हैं ।
कुछ उदाहरण
- वान
यह किसी व्यक्ति की विशेषता दर्शाते समय उपयोग होता है। जैसे यह पहलवान बहुत बलवान है।
- धन + वान = धनवान
- विद्या + वान = विद्वान
- बल + वान = बलवान
- ता
- उदार + ता = उदारता
- सफल + ता = सफलता
- ई
- पण्डित + आई = पण्डिताई
- चालाक + ई = चालाकी
- ज्ञान + ई - ज्ञानी
- ओं
इसका उपयोग एक वचन शब्दों को बहुवचन शब्द बनाने के लिए किया जाता है।
- भाषा + ओं = भाषाओं
- शब्द + ओं = शब्दों
- वाक्य + ओं = वाक्यों
- कार्य + ओं = कार्यों
- याँ
- नदी + याँ = नदियाँ
- अर्थ के आधार पर वाक्य भेद
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पत्र
संवाद लेखन
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कथा लेखन
किसी भी विषय पर दिए गए चित्र को देखकर या किसी भी बिंदु को आधारित बनाकर कहानी लिखना। कथा लेखन के अंतर्गत आता है ।
जो आप के पाठ्यक्रम में 5 अंक का है।
Nice mam very good
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