कृतिका1. 10 क्लास कोर्स a समस्त पाठ माता का आंचल पाठ सारांश और प्रश्न उत्तर, सहायक पुस्तक

पाठ का सारांश (माता का आंचल)

माता का आंचल पाठ में सन 1930 के दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण किया गया है। बालक तारकेश्वर नाथ के बचपन की बहुत ही मनोहारी लीलाओं का चित्रण किया है। तारकेश्वर के पिता उसे भोलानाथ कहकर पुकारते थे। भोलानाथ रात को अपने पिता के साथ ही सोता था ।सुबह उठकर भोलानाथ को उठाते उसे नहला धुला कर अपने हाथ से पूजा-पाठ पर बिठा लेते। उसके ललाट पर चंदन लगाते ।भोलानाथ अपने पिता को बाबू जी, मां को मैया कहकर पुकारते थे ।उनकी सिर की लंबी लंबी जटा थी।बाबू जी के साथ  रामायण का पाठ करते समय भोलानाथ आईने में अपना भोलानाथ अपना मुंह निहारते।


भोला नाथ के पिता पूजा पाठ कर चुके होते तो उसके बाद राम-राम लिखते अपनी एक रामनामा वहीं पर हजार बार राम नाम लिखते। उसे पाठ करने की पोथी के साथ बांध देते 108 बार कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेट देंते  और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते पिताजी के साथ भोला नाथ भी जाता। गंगा से लौटते समय पिता जी भोलानाथ को पेड़ों की डाल पर झूला झूलते।

 बाबूजी कभी-कभी उसे कुश्ती लड़ना भी सिखाते ।वह शिथिल होकर नाटक करते,  नीचे गिर पड़ते एक्टिंग करते कि वह बालक से हार गए हैं ।भोलानाथ उनकी छाती पर बैठ जाता नन्हे नन्हे हाथों से मुछे खींचने लगता। पिताजी उसके नन्हे नन्हे हाथों को चूम लेते ।पिता के कहने पर बालक उन्हें कभी दाहिनी कभी बाएं गाल पर चुम्मा लेता। इस प्रकार की अठखेलियां पिताजी को हमेशा लुभाए  रखती।

भोलानाथ ज्यादातर अपने पिता के ही साथ समय व्यतीत करते थे। पिता के हाथ से दाल भात खाते, परंतु मां को संतुष्टि नहीं होती कि बालक का पेट नहीं भरा है ।तोता मैना पंछी आदि के नाम पर बहाना बनाकर बालक के मुंह में कौर डालती और भोला नाथ के पिता जी से कहती   जाती मर्द क्या जाने बच्चों को खिलाना ।अभी मेरे लाडले का पेट नहीं भरा ।मां बालक के सिर में चोटी बनाती तेल लगाती। भोलानाथ मचल उठता, पर मैया उसे पूरा कन्हैया बनाकर ही छोड़ती ।बालक रो पड़ता सिसकियां भरने लगता, लेकिन बाहर मित्र मंडली को देखते ही रोना भूल जाता और खेल में मगन हो जाता।

बचपन में भोलानाथ के खेल बड़े अटपटे थे ।जैसे प्राचीन समय में बालक खेल तमाशे करते थे ।भोलानाथ एक चबूतरे के कोने पर तरह-तरह के नाटक खेला करता था ।वह कभी मिठाई की दुकान लगाता ,लड्डू बेचता कभी पत्तों की पूरी कचोरी, कभी गीली मिट्टी की जलेबियां बनाता कभी फूटे घड़े के टुकड़ों के बतासे बनाता । तरह-तरह  की दुकान सजाता कभी कभी वह घरों दे बनाते और दीवार बनाते। दोस्तों के साथ विभिन्न प्रकार के खेलों में व्यस्त रहते। पिताजी इन बाल लीलाओं में बड़े आनंद उठाते ।बालकों के खेलों में शामिल हो जाते ।जलेबी और पूरी मांगते ।बालक शरमा जाते  और फिर उन्हें अपने खेलों में शामिल कर लेते संपूर्ण पाठ में बालक भोलानाथ पिताजी के ही इर्द-गिर्द मंडराता रहता है, परंतु एक घटना ऐसी होती है, एक बार वह घर से बाहर एक पेड़ के नीचे निकल जाते हैं ।एक टीले पर जाकर मित्र मंडली के साथ चूहों के बिल में पानी डालने लगते हैं। तभी उस बिल में से एक सांप निकल आता है। सभी मित्र रोते चिल्लाते हुए बेहताशा भाग चलते हैं ।किसी को कहीं चोट लगती है किसी को कहीं  सिर फूटता किसी के दांत टूटते हैं। भोलानाथ की सारी देह लहूलुहान हो गई ।पैरों के तले छलनी हो गए। जैसे ही भोलानाथ घर में घुसा उसके पिता हुक्का पी रहे थे उनके बुलाने पर बालक उनके पास नहीं गया। सीधे मां की गोद में जाकर छुपा ।अधीर होकर मां उससे पूछने लगी क्या हुआ है बे टा? क्या हुआ है? लेकिन भोलानाथ कोई जवाब नहीं दे रहा था ।मां ने झटपट हल्दी पीसकर भोलानाथ के घावों पर लगाई घर में कोहराम मच गया था। बालक सा सा करते हुए कह रहा था ।वो आंखें खोलना चाहते हुए भी आंखें नहीं खोल पा रहा था । मां बार-बार उसे निहार रही थी। गले लगा रही थी। बाद में पता चलता है कि बच्चों ने सांप के बिल में पानी डाल दिया था ,इसीलिए वह बालक इतना डरा हुआ है । इसी समय उनके पिता दौड़े आए और आकर झठ मैया की गोद से अपनी गोद में लेने लगे ।परंतु बालक ने अपनी मां का आंचल नहीं छोड़ा ।मां से चिपक गया ।कहानी संदेश छोड़ती है कि दुनिया में बालक चाहे किसी से भी कितना प्रेम करें ।परंतु मां का स्थान कोई नहीं ले सकता ।मां की गोद में ही उसे सुरक्षा का अनुभव होता है ।मां का आंचल उसे सबसे बड़ा सुरक्षा चक्र लगता है ।इसलिए भोलानाथ मां के आंचल में आ कर छुप गया।


अभ्यास प्रश्न1.

बालक भोलानाथ का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था। विवाह के समय अपने पिता के पास में जाकर मां की शरण लेता है आपकी समझ में उसकी क्या वजह हो सकती है?


उत्तर
बालक भोलानाथ का अपने पिता से अधिक लगाव था। जुड़ाव था। वह हर समय पिता के साथ ही रहता था। पिता के साथ ही खाना नहाना सोना आदि। परंतु जब सांप के बिल में वह पानी डाल देते हैं और सांप को जब देख लेता है तो वह दौड़ कर अपनी मां के पास ही जाता है ।पिता के पास नहीं जाता ।ऐसा उसने इसलिए किया क्योंकि हर बालक अपनी मां के आंचल में   सुरक्षित महसूस करता है ।उसे लगता है कि मेरी मां दुनिया की सारी मुसीबतों से मुझे बचा लेगी। इसी वजह से बालक भोलानाथ अपनी मां के आंचल में जाकर छुप गया क्योंकि वहां जाकर व सुरक्षा महसूस कर रहा था।


प्रश्न2.

भोलाभोनाथ  अपने  साथियों को देखकर  सिसकना क्यो भूल जाता है?

उत्तर- बालक का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह अधिक देर तक अपनी बातों को याद नहीं रख पाता इसी बाल मनोवृत्ति के कारण भोलानाथ अपनी बातों को भूल कर कि वह क्यों रो रहा था। यह सब  भूलकर सिसकना भूल कर अपने साथियों के साथ खेल में व्यस्त हो जाता है। रोना धोना छोड़ देता है ।सिसकना छोड़ है।


प्रश्न  3
पाठ में दिखाया गया है कि भोलानाथ और उसके साथी जब तक खेलते खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं आपको भी कोई तुकबंदी याद हो तो लिखिए?

उत्तर
खेलों में आज भी बहुत सारी तुक बंदियां होती हैं जैसे
पोशांपा भाई पोशांपा डाकिया ने क्या किया ₹100 की घड़ी चुराई ।अब तो जेल में जाना पड़ेगा। जेल की रोटी खानी पड़ेगी। जेल की चक्की पीसने पड़ेगी। जेल का पानी पीना पड़ेगा ।अब तो जेल में रहना पड़ेगा।


प्रश्न 4
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और आज के खेलों की सामग्री में किस प्रकार की भिन्नता है?

उत्तर
उस समय के खेल और आज के खेलों में जमीन आसमान का अंतर है तब बालक कुश्ती दंगल काठ के घोड़े की सवारी, चबूतरे पर खड़े होकर नाटक करना विभिन्न चीजों से खाने-पीने की वस्तुएं आदि का निर्माण करना, बनाना बेचना आदि कार्य किया करते थे, परंतु आज के समय में बालकों का शारीरिक और मानसिक और सामाजिक विकास रुक सा गया है क्योंकि अधिकतर खेल इंडोर हैं या तो वह कंप्यूटर गेम खेलते हैं या चैस खेलते हैं या लूडो खेलते हैं उस तरह के स्वस्थ मनोरंजन और खेल आज बच्चों के बीच में नहीं रहे हैं। जो पहले समय में हुआ करते थे।आज की भागमभाग की दुनिया में बच्चों के पास खेलने के लिए समय भी नहीं है उनका बस्ता और होमवर्क उन्हें खेलने ही नहीं देता ऊपर से सामाजिक दायरे कम हो गए हैं एक दूसरे पर विश्वास  नहीं करते है। तो  माता-पिता अब उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देते।

प्रश्न5.

पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हैं।


उत्तर
पाठ में अनेकों ऐसे प्रसंग आए हैं जो मन को छू गए हैं दिल को छू गए हैं ।जैसे बालक जो भोजन करता है तो मां उसे पुनः भोजन कराती है वह कहती है कि मर्द जात भोजन कराना क्या जाने आप तो चार चार दाने   बच्चे के मुंह में देते हैं इससे वह थोड़ा खाने पर भी समझ लेता है कि उसने बहुत खा लिया है। यहां मां की ममता का प्रसंग दिल को छू जाता है इसके अलावा पिता का बालक भोला नाथ के खेल में शामिल होना तू जाता है ।मिठाई की दुकान पूरी कचोरी आदि बालक की क्रिया प्रतिक्रियाएं मन को छूने वाली है बच्चे खेल-खेल में पालकी में दुल्हन को लाते हैं बाबूजी देखते हैं तो  सब लोग भाग जाते हैं यह सब को छूने वाले हैं।

प्रश्न 6.
इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।


उत्तर

1930 और 21वीं सदी के समय में बहुत बड़ा अंतर आ गया है आज की संस्कृति आज के रहन सहन सब कुछ बदल गए हैं। पहले गांव कच्चे हुआ करते थे ।सड़क एक कच्छी होती थी । घर कच्चे होते थे अब घर सड़कें पक्की हैं पक्के मकान हैं ।गांव-गांव विद्यालय हैं अब बैल गाड़ियां नहीं। आवागमन के साधन है बहुत सारे।  पहले माता-पिता इतने जागरूक नहीं थे अधिकतर बच्चे खेल में ही समय बर्बाद करते थे ,परंतु आज के माता-पिता बहुत जागरूक हो गए हैं। बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर ज्यादा है ।आज गांव में वे सारे सुख साधन हैं जो पहले कभी शहर में हुआ करते थे ।अब गांव की पहुंच से कुछ भी दूर नहीं है गांव का अव काया कल्प हो चुका है।

प्रश्न 7
 पाठ पढ़ते पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड प्यार याद आ रहा होगा, अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए

उत्तर
पाठ पढ़ते पढ़ते हमें भी अपने माता पिता की लाड प्यार भरी बातें याद आ रही हैं जैसे जब हम छोटे थे तो स्कूल जाना प्रारंभ किया तो गर्मियों के दिनों में पिताजी कभी लस्सी कभी नींबू का पानी कभी आइसक्रीम लेकर स्कूल भेजते थे उन्हें आधी छुट्टी का समय मालूम होता था तो कुछ  खिला पिला कर वापस लाते थे ।कभी-कभी हम स्कूल न जाने की जिद करते थे तो मां हमें घर पर रख लेती थी ।शाम के समय पिता जी हमारे साथ ताश खेलते लूडो खेलते थे चैस खेलते थे ।हर रविवार के दिन कहीं ना कहीं घुमाने ले जाते थे ।गर्मियों की छुट्टियों में विभिन्न स्थानों की यात्रा कराते थे हम नाना नानी के घर जाते थे ।सच में क्या दिन थे बचपन के अब तो केवल पढ़ाई और पढ़ाई ही नजर आती है।

प्रश्न 8 पाठ में माता-पिता का बच्चे प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

पाठ में माता-पिता का जो भोलानाथ के प्रति वात्सल्य प्रकट हुआ है वह बड़ा अद्भुत है पिता सुबह सवेरे बालक भोलानाथ को अपने साथ उठाकरउठाकरला स्नान करा कर पूजा करवाते चंदन तिलक लगवा दे संस्कार प्रदान करते साथ में गंगा किनारे ले जाते कंधे पर बिठाकर मछलियों को ऑटो की आटे की गोलियां खिलाते कभी उसे बाग में झूला झूला दे कभी उसे कुश्ती लड़ना सिखाते कवि स्वयं घोड़ा बन जाते और उसे पीठ पर बैठाकर सवारी कराते
 भोला नाथ अपनी मंडली के बच्चों के साथ खेलता तो पिताजी उसमें शामिल हो जाते पिता और पुत्र के प्रेम के संबंध में बड़े अद्भुत दिखाए गए हैं ।लेकिन  साफ दिख जाता है भोला नाथ भोलानथ के पिता के साथ साथ मां के साथ अधिक प्रगाढ़ है। हर बच्चे का मां पर अधिक विश्वास होता है ।इसी कारण भोलानाथ  खतरे के समय भय की स्थिति में मां की गोद में आ कर छुप जाता है।

प्रश्न नंबर9.
माता का आंचल शीर्षक की उपयोगिता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक बताइए ।

किसी उपन्यास या कहानी का शीर्षक किसी घटना या पात्र या देश काल और वातावरण पर निर्धारित करता है। इस कहानी के अंत में बालक को अपनी मां की गोद में ही अधिक सुरक्षा का अनुभव होता है मां के आंचल में ही आकर छुपता है अतः इस कहानी का शीर्षक माता का आंचल पूरी तरह उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त इस कहानी के अन्य शीर्षक रखे जा सकते हैं
मां की ममता, सुरक्षा कवच, मां पर विश्वास ,मां के चरणों में स्वर्ग आदि।

प्रश्न10.
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तर

बच्चे अपने माता-पिता के प्रति तरह तरह से अपना प्रेम अभिव्यक्त करते हैं।
 छोटे बच्चे रो रो कर अपना प्रेम प्रकट करते हैं ।
अपने हर कार्य में अपने माता-पिता का आश्वासन चाहते हैं।
 कहीं कोई गलत काम करने पर मां से लिपट कर अपना प्रेम प्रकट करते हैं ।
मां के हाथ से खाना खाकर अपना प्रेम व्यक्त करते हैं मामा को अपने खेल में सम्मिलित करके भी अपना प्रेम व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 11 इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस प्रकार भिन्न है।

उत्तर
इस पाठ के बचपन की दुनिया हमारे बचपन से निम्नलिखित प्रकार भिन्न है।
हमारे माता-पिता के पास इतना समय नहीं है जितना भोला नाथ के माता-पिता के पास था।
हमारे माता-पिता ने कभी भी हमें भोलानाथ की तरह तिलक चंदन नहीं  लगाया सिर के बाल तेल से सराबोर नहीं किए।

भोलानाथ बचपन में जो खेल नाटक खेलता था वह इस समय नहीं है आज के बच्चों के खेल अलग प्रकार के हैं ।माता-पिता ने खेल सामग्रियां लाकर दे देते हैं ।जिन्हें वह बैठकर भीतर कमरे में ही खेलते हैं ।अब पहले की तरह बाहर जाकर नहीं खेलते ।


************पाठ 2 जॉर्ज पंचम की नाक***********


पाठ जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर अभ्यास

1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो बदहवासी दिखाई देती है वह किस मानसिकता की ओर संकेत करती है?

उत्तर
 सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगानी है 
इस चिंता को लेकर जो बदहवासी दिखाई देती है ,वह दर्शाती है जॉर्ज पंचम की नाक लगाना ही केवल अनिवार्य है ।क्योंकि एलिजाबेथ दिल्ली आ रही हैं ।उनके आने पर नाक अनिवार्य रूप से लग जानी चाहिए ।अन्यथा वह नाराज हो जाएंगी। सरकार आज हर कार्य की खानापूर्ति कर रही है ।उसे अपने कर्तव्य का बोध नहीं है। सरकारी दफ्तरों में जो फाइलें हैं, उन्हें धूल चाट चुकी ,है दीमक चाट चुकी है ।किसी को कोई होश नहीं है। सरकारी कामकाज के रवैया का इस पाठ में व्यंग किया गया है। नाक तो बहुत पहले से ही टूटी हुई थी, लेकिन चिंता सभी को तब हुई जब रानी एलिजाबेथ दिल्ली आ रही थी। अर्थात इस ऊहापोह और बदहवासी से पता चलता है
 कि सरकारी तंत्र में भ्रष्ट्ट लोग भरे पड़े हैं ।जो एक दूसरे के मुंह को ताकते रहते हैं ।अपनेे कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करना चाहते ,कार्यों को टालते रहते हैं।

2. रानी एलिजाबेथ के दर्जी की परेशानी का क्या कारण था?

उत्तर
 रानी एलिजाबेथ 3 देशों की यात्रा करने वाली थी। भारत, पाकिस्तान, और नेपाल ।रानी एलिजाबेथ का दर्जी इसलिए परेशान था, कि वह तीनों देशों में दौरे के दौरान ,किस तरह के वस्त्र धारण करेंगी। भारत के लिए रेशमी कपड़ा मगाया गया था। जिसका रानी के लिए सूट सिलवाया गया था। परंतु पाकिस्तान और नेपाल की यात्रा के लिए अभी तक कपड़ा उपलब्ध न था ।दर्जी परेशान था किस तरह का कपड़ा आएगा और किस तरह का परिधान सिला जाएगा ।समय से वह परिधानों को कैसे सिलकर दे पाएगा। उसकी चिंता तर्कसंगत है ।क्योंकि जब कोई भी प्रसिद्ध हस्ती कहीं आती जाती है ,तो कार्यभार सामान्य वर्ग का और कर्मचारी वर्ग का बढ़ता है।
उच्च वर्ग तो केवल तमाशा देखता है हुक्म चलाता है और मध्यम वर्ग पिसता है।

प्रश्न 3
 और देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट हो गया। नई दिल्ली के कायापलट होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?

उत्तर 
नई दिल्ली में क्योंकि इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ आने वाली थी ,इतना संकेत पाते ही पूरी दिल्ली में हड़कंप मच गया। नई दिल्ली का कायापलट हो गया। नई दिल्ली दुल्हन की तरह सजाया जाने लगी ।सड़कों की चौराहों की गली की  पार्कों की सफाई की गई। इमारतों पर लगी धूल साफ की गई ।रंगाई पुताई करवाई गई ।राजपथ पर नए-नए फूलों वाले पौधे लगाए गए। जगह-जगह पर चौकियां बनाई गई जिन पर सैनिक तैनात किए गए ।स्थान स्थान पर सजावट का प्रबंध किया जा रहा था ताकि रानी एलिजाबेथ को आकर्षित किया जा सके ।

प्रश्न 4 आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खानपान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का जो दौर चल पड़ा है वह कहां तक तर्कसंगत है  ?

अपने विचार व्यक्त करें 

तथा इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर किस तरह का प्रभाव डालती है अपने विचार व्यक्त करें।


उत्तर 
**आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे खान-पान संबंधी आदतों का खुलकर वर्णन किया जा रहा है। यदि विचार किया जाए तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता को क्या फायदा पहुंचाने वाली है? आम जनता को इससे क्या लेना देना है ?इससे सामान्य ज्ञान तो बढ़ता नहीं। इसका जीवन में कोई प्रभाव नहीं है। व्यर्थ में पैसा बर्बाद किया जाता है। यह पैसा सही जगह पर लगाया जाना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद की जानी चाहिए ।पत्रकारिता का गुण होता है समाज के लिए सही ज्ञान परोसना। जिससे समाज विकास की ओर बढ़ सके।

***
आज की जो पत्रिका  है, वह विशेषकर युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रही है ,और जब पत्रकारिता  अपना दायित्व भूल जाती है, तो ऐसी पत्रकारिता युवा पीढ़ी को गलत दिशा में बढ़ा देती है ।उसे भटका देती है। युवा पीढ़ी किसी भी देश की रीड की हड्डी होती है ,और वही रीढ़ की हड्डी कमजोर हो जाए, भटक जाए तो, उस देश को कौन बचा सकता है ?पत्रकारिता का दायित्व होना चाहिए कि वह इस प्रकार का ज्ञान पत्रिका में प्रेषित करें, जिससे युवा पीढ़ी प्रेरित होकर अपने देश और समाज का कल्याण कर सके। ना कि प्रसिद्ध लोगों की खानपान की पहनावे की रहन-सहन की आदतों का अनुकरण करके असीमित इच्छाएं पाले। अपने माता-पिता और अपनी क्षमताओं को नजरअंदाज करके ,होड़ में भविष्य को बर्बाद करें।

प्रश्न 5 
जॉर्ज पंचम की नाक की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या प्रयत्न किए?

उत्तर
 जॉर्ज पंचम की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने निम्नलिखित प्रयत्न किए।

 मूर्तिकार ने नाक का नाप लिया। पता किया कि पत्थर किस तरह लाट है ।मूर्ति का नाक के लिए मूर्तिकार पत्थर  ढूंढने के लिए हिंदुस्तान के कोने कोने में घुमा। हर पहाड़ पर ढूंढा परंतु हर जगह से वैसा ही पत्थर न मिल सका ।देश के नेताओं की मूर्तियों को देखने के लिए मूर्तिकार मुंबई गुजरात बंगाल बिहार उत्तर प्रदेश सभी जगह गया सभी नेताओं की मूर्तियों को ध्यान से देखा। तो किसी की भी नाक जॉर्ज पंचम पर फिट नहीं बैठ रही थी। बिहार में 42 में शहीद होने वाले बच्चों की मूर्तियों को भी उसने देखा । उनकी नाक भी जॉर्ज पंचम से बड़ी  निकली। भारतीयों के भारतीय बच्चों का भी सम्मान जॉर्ज पंचम से अधिक ऊंचा है। अंत में जिंदा आदमी की नाक लगा दी गई।


प्रश्न 6
 प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह पर कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं ।उदाहरण के लिए फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी है। सब हुक्मरानों ने एक दूसरे की तरफ ताका। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छांट कर लिखिए?


 उत्तर
पाठ में निम्नलिखित कथन उस समय की व्यवस्था पर करारी चोट करती है ।
जैसे 
हिंदुस्तान और पाकिस्तान नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेगी ।

इसलिए फोटोग्राफर की फौज तैयार हो रही थी ।
शाही महल में रहने वाले व पलनवाले कुत्तों तक की खबरें अखबार में छप रही थी ।
करीब 400 पाउंड का खर्चा उस सूट में आया था जिसे रानी पहनने वाली थी।

 शाही नाकों  के लिए गुरिल्ला युद्ध हो रहा था।

 मूर्तिकार -जॉर्ज पंचम की नाक लगानी है ।
जब हिंदुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता ?
मेरी राय है 40 करोड़ में से कोई एक जिंदा नाक लगा दी जाए।
 सब अखबार खाली थे।

प्रश्न 7 नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है यह बात पूरी तरह व्यंग रचना में किस तरह उभर का आई है ?
स्पष्ट करें।

उत्तर
पूरे व्यंग रचना में नाक के प्रश्न को ही उतारा गया है। रानी एलिजाबेथ हिंदुस्तान भ्रमण पर आना चाहती थी, परंतु दिल्ली के इंडिया गेट की एक जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक ने दिल्ली की नाक में दम कर दिया था ।उसे ढूंढने के लिए भरसक प्रयत्न किए जा रहे थे ,परंतु नाक नहीं लग सकी ।अंत में जिंदा आदमी की नाक लगा दी गई ।कहने का अभिप्राय है कि किसी को दिखावा करना हिंदुस्तानियों की आदत और कमजोरी हो गई है। हिंदुस्तानी लोग अपनी इज्जत हेतु अपने मान हेतु किसी जीवित व्यक्ति को मार सकते हैं अर्थात इतने स्वार्थी लोग हैं यहां जो अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे का जीवन भी दांव पर लगा देते हैं। दूसरी ओर हिंदुस्तानियों का सम्मान इतना छोटा नहीं कि किसी अत्याचारी अंग्रेज अफसर की नाक पर फिट हो जाए। अर्थात  जॉर्ज पंचम की नाक पर बच्चों की नाक भी फिट नहीं हो पाती ।उनकी नाक बड़ी निकलती है ।अर्थात हिंदुस्तानियों का सम्मान सर्वोपरि है। जिसे मिटाने पर अंग्रेजी दासता की मानसिकता वाले व्यक्ति खुले हुए हैं।

प्रश्न 8
 जॉर्ज पंचम की नाक पर किसी भी भारतीय नेता यहां तक किसी भी भारतीय बच्चे तक की नाक फिट नहीं हो पाई लेखक ने किस ओर संकेत किया है?

उत्तर 
इस कथन के माध्यम से लेखक ने संकेत किया है कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी इज्जत होती है ।अपनी मान मर्यादा होती है ।अपनी प्रतिष्ठा होती है ।जो किसी दूसरे के स्थान पर फिट नहीं हो सकती है ।भारत के मान सम्मान और मर्यादा और इज्जत किसी दूसरे देश के व्यक्ति किस स्थान पर कैसे फिट हो सकती है। हमें अपना स्वाभिमान कायम रखना चाहिए। भारतीय बच्चों का मान और सम्मान विदेशियों से ऊपर है ।
भारतीय किसी से कम नहीं है परंतु फिर भी कुछ लोग विदेशियों को  श्रेष्ठ मानते हैं।

प्रश्न नौ 
अखबारों में जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह प्रस्तुत किया गया? 

उत्तर 
उस दिन अखबारों में छपा था
- जिंदा नाक लगने की खबर इस प्रकार प्रस्तुत की गई थी
 जॉर्ज पंचम की जिंदा नाक लगाई गई है ,----------यानी ऐसी ना जो कतई पत्थर की नहीं लगती। इस प्रकार के शब्दों की परिधि में बांधकर यह तथ्य प्रस्तुत किया गया था।
 
प्रश्न 10 
नई दिल्ली में सब था सिर्फ नाक नहीं थी, इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?

उत्तर 
इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि ,नई दिल्ली में सिर्फ नाक नहीं थी ।अर्थात सम्मान नहीं था ।लोगों के मन में स्वाभिमान नहीं था ।हर ओर हड़कंप मची हुई थी। भागम भाग मची हुई थी ।बदहवासी थी ।रानी एलिजाबेथ जो आ रही थी। इतने पहरेदार होते हुए भी मूर्ति की नाक कैसे टूट गई ? यहां सरकारी तंत्र के दोष को उजागर किया गया है ।दिल्ली की चरमराई हुई व्यवस्था पर प्रहार भी किया गया है। नाक नहीं थी अर्थात दिल्ली की प्रतिष्ठा नहीं थी। सब कुछ सुविधाएं उपलब्ध थी ,परंतु फिर भी अव्यवस्थाएं थी।

प्रश्न 11
 जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर 
जिस दिन जॉर्ज पंचम की नाक लगनी थी, उस दिन सभी अखबार चुप थे। कहीं कोई सम्मेलन भी न था।अखबार चुप थे सभी अखबार चुप थे। कहीं किसी भी तरह की जिक्र नहीं थी। सरकारी तंत्र अपनी नाकामी को छुपाने का प्रयास कर रहा था और रानी भी हिंदुस्तान दौरे पर नहीं आई।

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