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Showing posts from August, 2023

किसी के पास जबाब है इसका

 आखिर क्यों..??????? चाहे हजारों स्त्री से उसके संबंध हो,  चाहे कई नाजायज़ अनुबंध हो, लेकिन पुरुष कभी वेश्या नहीं कहलाते। चाहे वह कितने ही प्रपंच कर ले.  और इससे कितने ही प्राण हर ले, लेकिन पुरुष कभी डायन नही कहलाते।  अपनी खानदानी अस्मत कोठों पर बेच आता है, नज़रे पराई स्त्री पर चाहे लगाता है,  लेकिन पुरुष कभी कुल्टा नहीं कहलाते।  चाहे ये कितने ही क्रूर स्वभाव के हों,  चाहे कितने ही घृणित बर्ताव के हों  लेकिन पुरुष कभी चुड़ैल नहीं कहलाते।  यहां तक की दो पुरूषों के झगडे में  घर से लेकर सड़क तक के रगड़े में स्त्रियों के नाम पर ही गालियां दी जाती हैं,  और फिर शान से ये मर्द कहलाते हैं।  क्यों डायन, कुल्टा, चुड़ैल, वेश्या, बद्दलन  केवल नारी ही कहलाए.. .?  क्या इन शब्दों के पुर्लिंग शब्द, पितृसत्तात्मक समाज ने नहीं बनाए.......? क्या यहाँ कोई ऐसा पुरुष है जिसे सड़क पर चलते हुए ये भय लगता हो  कि अकस्मात ही पीछे से तेज़ रफ़्तार में  एक स्कॉर्पियो आएगी  और उसमें बैठी चार महिलाएँ  जबरन उसे गाड़ी में उठा कर ले...

तुम तो आज से दीप हो

https://youtu.be/IoFzqvNRTek  "मैम मैं जीवन में कुछ कर नहीं पाऊंगा। मैं बहुत लो फिर करता हूं! " तुम्हारे ये शब्द और स्नेह से मुझसे लिपट कर रोना,मेरे अंतस को भेद गया दीप! हां दीप ही कहूंगी तुम्हें,आज से मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से नहीं दीप नाम से ही पुकारूंगी तुम्हें।ये मेरा तुम्हारा जो सीक्रेट है न देखना एक दिन जब खुलेगा तब तुम दीप से सूरज बन चुके होंगे।आज अपने पैंदे में प्रकाश तलाश रहे तुम दुनिया को प्रकाशित करोगे।ये मेरे अंतर्मन की आवाज है प्यारे छात्र दीप!तुम तो मेरे पास आकर अपनी वेदना कह कर मेरे समझाने पर मुस्कुरा कर जा बैठे अपनी सीट पर,  पर अवकाश के बाद बहुत थके होने पर भी मैं तसल्ली  सीट पर न बैठ सकी। तीन रातों से ठीक से सो भी नहीं पाती।न जाने कितने विचार कितने छात्रों के चेहरे ,जीवन के न जाने कितने उतार चढ़ाव,और न जाने भगवत कृपा से किए गये अनेकानेक प्रयोगों के चलचित्र नाचने लगे आंखों के सामने।अपने नन्हे शिशु की पीड़ा में जो छटपटाहट एक मां की  होती है वैसा ही हाल हुआ कुछ।अंदर से आवाजें आने लगी कि मेरे दीप में कुछ आशा के तेल की जो कमी है वो पूरी करनी है।फिर अस्फ...