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Showing posts from July, 2021

कौन थी कैप्टन नीराबाई ? भारतवासी है तो ये तो जानना ही चाहिए।

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 भारत की प्रथम जासूस कैप्टन नीरा आर्या की सम्पूर्ण गाथा- 26 जुलाई #पुण्यतिथि अगर आपने पूरी पोस्ट पढ़ ली तो आपकी आंखों से आंसू बहने लगेंगे- जन्म एवं बचपन -  ---------------------- नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में खेकड़ा गांव के एक सम्पन्न व कुलीन जाट परिवार में हुआ था। लेकिन अचानक से उनके माता-पिता बीमार हो गए। कोई कमाने वाला न होने के कारण एवं इलाज पर खूब पैसा लगने होने के कारण उनके घर के हालात बिगड़ गए। उन्हें कर्ज उठाना पड़ा। लेकिन कुछ समय पश्चात ही उनके माता पिता चल बसे। नीरा एवं उनका छोटा भाई बसंत कुमार अनाथ हो गए। नीरा के पिता की हवेली व जमीन साहूकारों द्वारा कर्ज की वसूली लिए कुर्क कर ली गयी। दोनो बच्चे दर दर भटकते रहे। भटकते हुए ये बच्चे एक दिन हरियाणा के चौधरी सेठ छाजूराम(छज्जुमल) जी को मिले। जिनका कलकत्ता में बहुत बड़ा व्यापार था। चौधरी साहब के साथ सेठ लगे होने के कारण कुछ लोग उन्हें वैश्य समाज का समझ लेते हैं और नीरा को भी। चौधरी साहब एक बहुत बड़े व्यापारी जरूर थे लेकिन वे हरियाणा के जाट क्षत्रिय समाज से थे। छज्जुराम जी बहुत बडे दयालु, दानवीर एवं ...

संघ गीत -केसरी बाना सजाये वीर का श्रंगार कर

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                                                      ले चले हम राष्ट्र नौका को भंवर से पार कर केसरी बाना सजायें वीर का श्रृंगार कर ॥ डर नही तूफ़ान बादल का अँधेरी रात का डर नही है धूर्त दुनिया के कपट के घात का नयन में ध्रुव ध्येय के अनुरूप ही दृढ़ भाव भर ॥ है भरा मन में तपस्वी मुनिवरों का त्याग है और हृदयों में हमारे वीरता की आग है हाथ है उद्योग में रत राष्ट्र सेवा धार कर ॥ सिन्धु से आसाम तक योगी शिला से मानसर गूंजते हैं विश्व जननी प्रार्थना के उच्च स्वर सुप्त भावों को जगा उत्साह का संचार कर ॥ स्वार्थ का लवलेश सत्ता की हमें चिंता नही प्रान्त भाषा वर्ग का कटु भेद भी छूता नही एक हैं हम एक आशा योजना साकार कर ॥ शपथ लेकर पूर्वजों की आशा हम पूरी करें मस्त हो कर कार्य रत हो ध्येयमय जीवन धरें दे रहे युग की चुनौती आज हम ललकार कर

समानार्थी या पर्यायवाची शब्द

    समान अर्थ प्रदान करने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहा जाता है। अतिथि-  मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना। अमृत-  सुरभोग सुधा, सोम, पीयूष, अमिय, जीवनोदक । अग्नि-  आग, ज्वाला, दहन, धनंजय, वैश्वानर, रोहिताश्व, वायुसखा, विभावसु, हुताशन, धूमकेतु, अनल, पावक, वहनि, कृशानु, वह्नि, शिखी। अनुपम-  अपूर्व, अतुल, अनोखा, अनूठा, अद्वितीय, अदभुत, अनन्य। अर्थ-  हय, तुरङ, वाजि, घोडा, घोटक। असुर- यातुधान, निशिचर, रजनीचर, दनुज, दैत्य, तमचर, राक्षस, निशाचर, दानव, रात्रिचर। अलंकार-  आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर। अहंकार-  दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान। अहंकारी-  गर्वित, अकडू, मगरूर, अकड़बाज, गर्वीला, आत्माभिमानी, ठस्सेबाज, घमंडी। अतिथि-  मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना। अर्थ-  धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा। अश्व-  हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, हरि, तुरग, वाजि, सैन्धव। अंधकार-  तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा, तमस, अंधियारा। अंग-  अंश, अवयव, हिस्सा, संघटक, घटक, उपादान, खंड, भाग, टुकड़ा, शरीर, तन, देह, गात, गात्र। अभिमान- ...