7th क्लास हिन्दी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम

        सरला की  हिंदी ई पाठशाला 2021 

7th  बसंत+व्याकरण+बाल महाभारत।

प्रिय विद्यार्थियों 
सप्तम कक्षा के वार्षिक परीक्षा के समस्त पाठ और बिंदु आपको इस एक ही ब्लॉग में मिल जाएंगे ।आपको प्रत्येक पाठ की लिंक पर जाकर कॉपी करके सर्च करना है। आपकी पूरी पाठ्य सामग्री लिखित और वीडियो ओपन हो जाएगी। प्रत्येक पाठ की लिंक पर जाकर आपको अलग-अलग सामग्री का अध्ययन करना है। जिससे आपको पाठ याद करने में आसानी रहेगी।
पाठ एक
हम पंछी उन्मुक्त गगन के( स्मरण हेतु)

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/05/saptam-class-hindi-part-1-hum-panchhi.html?m=1

पाठ दो -दादी मां
 
https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/05/7thclass-path2.html


  पाठ तीन -हिमालय की बेटियां

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/05/part-3-himalaya-ki-betiyan-nagarjun.html

पाठ चार- कठपुतली-

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/05/4-7thclass.html

शाम एक किसान
https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/09/blog-post.html

चिड़िया की बच्ची
https://youtu.be/333u0qfr58A
 

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/09/blog-post_3.html?m=1

खान पान की बदलती तस्वीर

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/12/7.html?m=1

नील कंठ
 https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/12/7th-class-hindi.html?m=1

भोर और बरखा
 https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/12/blog-post_42.html?m=1
वीर कुंवर सिंह

https://sarlapathshala.blogspot.com/2021/01/blog-post.html?m=1

धनराज पिल्लै

         https://sarlapathshala.blogspot.com/2021/01/blog-post_9.html                       व्याकरण बिंदु

भाषा, लिपि, व्याकरण, वर्ण विचार,

https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/05/blog-post_21.html?m=1

शब्द विचार
https://sarlapathshala.blogspot.com/2020/09/blog-post_7.html?m=1


 पत्र - 1.मित्र को जन्म दिन की बधाई।
           2.शुल्क मुक्ति हेतु प्रधानाचार्य जी को पत्र।
           3. अवकाश हेतु कक्षाचार्य जी को प्रार्थना पत्र।

निबंध-  राष्ट्रीय पर्व, तथा धार्मिक पर्व, होली व बसंत पंचमी।

वचन 
एक या एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध कराने वाले शब्द वचन कहलाते हैं !
जैसे -कुर्सी कुर्सियां।
हिंदी में वचन दो प्रकार के होते हैं एक वचन और बहुवचन, जबकि संस्कृत में वचन तीन प्रकार के होते हैं ।एक वचन , द्विवचन, बहुवचन,।

आइए एक वचन से बहुवचन परिवर्तित करना सीखें

कुर्सी             कुर्सियां 
व्यक्ति           व्यक्तियों 
लड़की            लड़कियां 
महिला            महिलाएं
 पुरुष               पुरुषों 
लोग                 लोगों 
पुस्तक              पुस्तकें 
मेज                   मेजें
 घर                     घरों
नदी                    नदियां
 सदी             सदियां

कलम                  कलमों
 पुष्प                पुष्पों
 उंगली               उंगलियां

हिंदी में वचन और स्त्रीलिंग पुल्लिंग



पुल्लिंग से स्त्रीलिंग शब्द
जिन शब्दों से स्त्री जाति या पुरुष जाति का बोध होता है वे लिंग कहलाते हैं। हिंदी में दो प्रकार के लिंग होते हैं स्त्रीलिंग और पुल्लिंग।
   
शब्द परिवर्तन

विद्वान                             विदुषी
 पहाड़ी                            पहाड़िन
 लोहार                              लोहारिन
 सुनार                               सुनारिन
ठाकुर                                ठकुराइन 
ब्राह्मण                                ब्राह्मणी
 बनिया                                 बनैनी
 सेठ                                    सेठानी 
चूहा                                     चूहिया 
चिड़ा                                   चिड़िया
 ग्रंथ                                     पुस्तक 
लोग                                  भीड़ ,जनता 
अध्यापक                            अध्यापिका
 गुरु                                      गुरु मां
 चिकित्सक (डॉक्टर )             चिकित्सिका (डाक्टरनी)
 शिक्षक (मास्टर )                    शिक्षिका ( मास्टरनी )
परिचालक (ड्राइवर )                परिचारिका ( ड्राइवरनी )

हिंदी भाषा की ये विशेषता है कि हर भाषा के शब्दों को पचा लेती है।
आम बोलचाल में बहुत से ऐसे शब्द हैं ,जो हमें  हिंदी के प्रतीत होते है, पर वास्तव में अन्य भाषा के शब्द हैं ,जिनका हिन्दीकरण होगया है। विलक्षण है हिन्दी  की पाचन शक्ति,तभी तो अंग्रेजी के ड्राइवर और मास्टर जैसे  शब्द अनीयर् प्रत्यय जोड़कर स्त्रीलिंग शब्द भी बन जाते हैं।

 उपसर्ग -
मूल शब्दों के पूर्व में जुड़ने वाले शब्दांश  उपसर्ग कहलाते हैं ,जो शब्दों के साथ मिलकर उनके अर्थों को बदल देते हैं।

उदाहरण
उपसर्ग +मूल शब्द =निर्मित शब्द
उप +हार=उपहार
प्र+कार=प्रकार
प्र+हार=प्रहार
दुर्/दुस्+साहस=दुस्साहस

संस्कृत के उपसर्ग-
संस्कृत के उपसर्ग, उनके अर्थ और उदाहरण –

क्रमांक

उपसर्ग

अर्थ

उपसर्ग से बने शब्द

1

अति       

अधिक, ऊपर, उस पार

अतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण, अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि ।

2

अधि       

ऊपर, श्रेष्ठ

अधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि।

3

अप  

बुरा, अभाव, हीनता, विरुद्ध 

अपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि।

4

अ         

अभाव

अज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि।

5

अनु        

पीछे, समानता, क्रम, पश्र्चात

अनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि।

6

आ         

ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीत

आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि।

7

अव        

हीनता, अनादर, पतन

अवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि।

8

उप         

निकटता, सदृश, गौण, सहायक, हीनता

उपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि।

9

नि         

भीतर, नीचे, अतिरिक्त

निदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि।

10

निर्        

बाहर, निषेध, रहित

निर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, निरोग, निर्मल इत्यादि।

11

परा        

उल्टा, अनादर, नाश

पराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि।

12

परि        

आसपास, चारों ओर, पूर्ण

परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि।

13

प्र          

अधिक, आगे, ऊपर, यश

प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि।

14

प्रति        

विरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तन

प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि।

15

वि         

भित्रता, हीनता, असमानता, विशेषता

विकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि।

16

सम्  

पूर्णता

संयोग संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि।

17

सु          

सुखी, अच्छा भाव, सहज, सुन्दर

सुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि।

18

अध        

आधे के अर्थ में

अधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि।

19

अ-अन      

निषेध के अर्थ में

अमोल, अनपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि।

20

उन         

एक कम

उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।

21

औ         

हीनता, निषेध

औगुन, औघट, औसर, औढर इत्यादि।

22

दु    

बुरा, हीन    

दुकाल, दुबला इत्यादि।

23

नि         

निषेध, अभाव, विशेष

निकम्मा, निखरा, निडर, निहत्था, निगोड़ा इत्यादि।

24

बिन        

निषेध

बिनजाना, बिनब्याहा, बिनबोया, बिनदेखा, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम इत्यादि।

25

भर         

पूरा, ठीक

भरपेट, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि।

26

कु-क 

बुराई, हीनता 

कुखेत, कुपात्र, कुकाठ, कपूत, कुढंग इत्यादि।

 

हिंदी के उपसर्ग-

क्रमांक

उपसर्ग

अर्थ

उपसर्ग से बने शब्द

1

अन        

निषेध अर्थ में

अनमोल, अलग, अनजान, अनकहा, अनदेखा इत्यादि।

2

अध्        

आधे अर्थ में

अधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि।

3

उन         

एक कम

उनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि।

4

भर         

पूरा ,ठीक

भरपेट, भरपूर, भरदिन इत्यादि।

5

दु          

बुरा, हीन, विशेष

दुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि।

6

नि   

आभाव, विशेष

निगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि।

7

अ   

अभाव, निषेध

अछूता, अथाह, अटल

8

क         

बुरा, हीन

कपूत, कचोट

9

कु         

बुरा

कुचाल, कुचैला, कुचक्र

10

भर         

पूरा

भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार

11

सु          

अच्छा

सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल

12

पर         

दूसरा, बाद का

परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित

13

बिन        

बिना, निषेध

बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने

 

उर्दू के उपसर्ग-

क्रमांक

उपसर्ग

अर्थ

उपसर्ग से बने शब्द

1

ला         

बिना

लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि।

2

बे          

बिना

बेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि।

3

कम        

थोड़ा, हीन

कमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि।

4

ग़ैर         

के बिना, निषेध

गैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि।

5

खुश        

श्रेष्ठता के अर्थ में

खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि।

6

ना         

अभाव

नाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि।

7

अल        

निश्र्चित

अलबत्ता, अलगरज आदि।

8

बर         

ऊपर, पर, बाहर

बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि।

9

बिल        

के साथ

बिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह

10

हम  

बराबर, समान

हमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि।

11

दर         

में

दरअसल, दरहक़ीक़त

12

फिल/फी     

में प्रति

फिलहाल, फीआदमी

13

ब    

और, अनुसार

बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर

14

बा   

सहित बाकाय

दा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा

15

सर         

मुख्य

सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार

16

बिला       

बिना

बिलावजह, बिलाशक

17

हर         

प्रत्येक

हरदिन हरसाल हरएक हरबार

 

अंग्रेजी भाषा में भी कुछ उपसर्ग होते हैं जो इस प्रकार हैं –

क्रमांक

उपसर्ग

अर्थ

उपसर्ग से बने शब्द

1

सब        

अधीन, नीचे

सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर

2

डिप्टी       

सहायक

डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर

3

वाइस       

सहायक

वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट

4

जनरल

प्रधान

जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी

5

चीफ        

प्रमुख

चीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी

6

हेड         

मुख्य

हेडमास्टर, हेड क्लर्क

 

                        प्रत्यय

प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में" और अय का अर्थ होता है "चलने वाला", अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।


  
  • समाज + इक = सामाजिक
  • सुगंध +इत = सुगंधित
  • भूलना +अक्कड = भुलक्कड
  • मीठा +आस = मिठास
  • लोहा +आर = लुहार
  • नाटक +कार =नाटककार
  • बड़ा +आई = बडाई
  • टिक +आऊ = टिकाऊ
  • बिक +आऊ = बिकाऊ
  • होन +हार = होनहार
  • लेन +दार = लेनदार
  • घट + इया = घटिया
  • गाडी +वाला = गाड़ीवाला
  • सुत +अक्कड = सुतक्कड़
  • दया +लु = दयालु

प्रत्यय के प्रकारसंपादित करें

  • संस्कृत के प्रत्यय
  • हिंदी के प्रत्यय
  • विदेशी भाषा के प्रत्यय

संस्कृत के प्रत्ययसंपादित करें

संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं । जैसे :- त – आगत , विगत , कृत । संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-

  1. कृत प्रत्यय
  2. तद्धित प्रत्यय

कृतृ प्रत्ययसंपादित करें

वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।

जैसे:लिख + अकः = लेखकः

(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल + अक = लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।

(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष + अन = पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।

(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।

(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु + अनिय = माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।

(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल +आ = सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।

(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन + आई = लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।

(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ +आन = उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।

(viii) हर, गिर, दशरथ, माला + इ = हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।

(ix) छल, जड़, बढ़, घट + इया = छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।

(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प +इत = पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।

(xi) चर्, पो, खन् + इत्र = चरित्र, पवित्र, खनित्र आदि ।

(xii) अड़, मर, सड़ + इयल = अड़ियल, मरियल, सड़ियल आदि ।

(xiii) हँस, बोल, त्यज्, रेत , घुड , फ़ांस , भार + ई = हँसी, बोली, त्यागी, रेती , घुड़की, फाँसी , भारी आदि ।

(xiv) इच्छ्, भिक्ष् + उक = इच्छुक, भिक्षुक आदि ।

(xv) कृ, वच् + तव्य = कर्तव्य, वक्तव्य आदि ।

(xvi) आ, जा, बह, मर, गा + ता = आता, जाता, बहता, मरता, गाता आदि ।

(xvii) अ, प्री, शक्, भज + ति = अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति आदि ।

(xviii) जा, खा + ते = जाते, खाते आदि ।

(xix) अन्य, सर्व, अस् + त्र = अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र आदि ।

(xx) क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले , बंध, झाड़ + न = क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन , बंधन, झाड़न आदि ।

(xxi) पढ़, लिख, बेल, गा + ना = पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना आदि ।

(xxii) दा, धा + म = दाम, धाम आदि ।

(xxiii) गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् , दा , पूज + य = गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य , देय , पूज्य आदि ।

(xxv) गे +रु = गेरू आदि ।

(xxvi) देना, आना, पढ़ना , गाना + वाला = देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला , गानेवाला आदि ।

(xxvii) बच, डाँट , गा, खा ,चढ़, रख, लूट, खेव + ऐया \ वैया = बचैया, डटैया, गवैया, खवैया ,चढ़ैया, रखैया, लुटैया, खेवैया आदि ।

(xxviii) होना, रखना, खेवना + हार = होनहार, रखनहार, खेवनहार आदि ।

कृत प्रत्यय के भेद:

  1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
  2. विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
  3. भाववाचक कृत प्रत्यय
  4. कर्मवाचक कृत प्रत्यय
  5. करणवाचक कृत प्रत्यय
  6. क्रियावाचक कृत प्रत्यय
कर्तृवाचक कृत प्रत्यय

जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। जैसे :-

अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़ आक = तैराक , लडाक आलू = झगड़ालू आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी इअल = अडियल , मरियल , सडियल एरा = लुटेरा , बसेरा ऐया = गवैया , नचैया ओडा = भगोड़ा वाला = पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला हार = होनहार , राखनहार , पालनहार ता = दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता ।

तद्धित प्रत्ययसंपादित करें

जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में लगने के बाद नए शब्दों की रचना करते हैं , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं । हिंदी में आठ प्रकार के तद्धित प्रत्यय होते हैं ।

कुछ उदाहरणसंपादित करें

वान

यह किसी व्यक्ति की विशेषता दर्शाते समय उपयोग होता है। जैसे यह पहलवान बहुत बलवान है।

  • धन + वान = धनवान
  • विद्या + वान = विद्वान
  • बल + वान = बलवान
ता
  • उदार + ता = उदारता
  • सफल + ता = सफलता
  • पण्डित + आई = पण्डिताई
  • चालाक + ई = चालाकी
  • ज्ञान + ई - ज्ञानी
ओं

इसका उपयोग एक वचन शब्दों को बहुवचन शब्द बनाने के लिए किया जाता है।

  • भाषा + ओं = भाषाओं
  • शब्द + ओं = शब्दों
  • वाक्य + ओं = वाक्यों
  • कार्य + ओं = कार्यों
याँ
  • नदी + याँ = नदियाँ




  • कारक

संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध बताने वाली अवस्थाएं कारक कहलाती है।
 अर्थात 
किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा  पदों का के साथ जो संबंध होता है वह  कारक कहलाता है। 
इसे हम इन चित्रों के माध्यम से समझ सकते हैं।


उपरोक्त्त दोनों चित्र को ध्यान सेे देखने पर पता चलता  है कि

राजा भूखे को खाना दे रहा है,और मां चाकू से फल काट रही हैं वाक्यों में, राजा और मांं  कर्ता है, क्योंकि वह काम कर रहे हैं ।भूखा, भोजन ,चाकू, फल ,इन सब का कर्ता और क्रिया के साथ संबंध है ।इस प्रकार यहांं चाकू ,भोजन ,खाना, फल ,कर्म है। रहा, और काट रही ,क्रिया है। इस प्रकार स्पष्टट होता  है क्रिया और कर्ताओं के बीच संबंध का बोध कराने वाले शब्द कारक कहलाते हैं।

कारक निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जिन का चिन्ह सहित विवरण इस प्रकार है-


कारक        चिन्ह
कर्ता              ने
कर्म               को
 करण            से( सहायक)
 संप्रदान         के लिए
 अपादान        से अलग होने के अर्थ में
 संबंध          का ,की ,के, रा, री, रे ना ,नी ने
 अधिकरण    में पै,पर,
संबोधन       हे! अरे! अबे!

उदाहरण के माध्यम से रेखांकित स्थानों को देखकर कारकों को पहचानें।

राम ने रावण को बाण से मारा।
राम अयोध्या नगरी के राजा थे राम ने रावण के अत्याचारों से संतो को मुक्त कराया।

उपरोक्त वाक्य में 
राम कर्ता
 रावण कर्म
 बाण करण 
अयोध्या नगरी संबंध
 अत्याचार अपादान कारक है।
नीचे एक  वीडियो  है जिसके माध्यम से आप संस्कृत और हिंदी दोनों प्रकार के कारकों का लाभ उठा सकते हैं



हमारी वर्णमाला वर्ण विचार

वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है वर्णमाला का विस्तृत अध्ययन करने के लिए वीडियो क्लिक करें।



 


संज्ञा
किसी व्यक्ति वस्तु स्थान या अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा पांच प्रकार की होती हैं।
1. व्यक्तिवाचक 
2.जातिवाचक
3. भाववाचक
4. द्रव्यवाचक 
5.समूहवाचक।

संज्ञा का विवरण वीडियो के माध्यम से समझ सकते हैं,.

1..जो संज्ञा किसी व्यक्ति की वस्तु की स्थान की व्यक्तिगत पहचान कराएं व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाती हैं ।
जैसे-राम ,आगरा ,अयोध्या ,।
2..जो शब्द किसी स्थान व्यक्ति वस्तु की सामान्य पहचान कराते हैं ,जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
 जैसे -शहर, नगर, पार्क, लड़का, महिला आदि।

3.. जिन संज्ञा शब्दों से किसी भाव या अवस्था का बोध हो वे भाववाचक संज्ञा कहलाती हैं।
 जैसे -बुढ़ापा ,मिठास ,तीखापन ,चतुर, चतुराई ,बचपन ।

4.. जिन संज्ञा शब्दों से किसी पदार्थ का बोध हो, जैसे- लकड़ी, सोना ,चांदी ,दाल ,चावल ,तेल ,यह सभी प्रकार के शब्द द्रव्यवाचक संज्ञा के अंतर्गत आते हैं।

5.जिन संज्ञा शब्दों से किसी समूह का बोध होता है, किसी ग्रुप का बोध होता है, वे समूह वाचक या समुदाय वाचक संज्ञा कहलाती हैं ।जैसे -भीड़, जनता, सेना ,आर्मी ,आदि।
इन्हें हम वीडियो के उदाहरण के माध्यम से और अधिक अच्छे से समझ सकते हैं।




सर्वनाम 
संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं जैसे- मैं,हम ,तुम ,यह ,वे।


सर्वनाम के भेद:

सर्वनाम के पांच भेद होते हैं –

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम
  2. निजवाचक सर्वनाम
  3. निश्चयवाचक सर्वनाम
  4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
  6. सम्बन्धवाचक सर्वनाम

1. पुरुषवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा खुद के लिए या दुसरो के लिए किया जाता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।

जैसे – मैं, हम (वक्ता द्वारा खुद के लिए), तुम और आप (सुनने वाले के लिए) और यह, वह, ये, वे (किसी और के बारे में बात करने के लिए) आदि।

पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

नीचे लिखे उदाहरणों को देखें –

  • मैं फिल्म देखना चाहता हूँ।
  • मैं घर जाना चाहती हूँ।
  • आप कहते हैं तो ठीक ही होगा।
  • तुम जब तक आये तब तक वह चला गया।
  • आजकल आप कहाँ रहते हैं।
  • वह पढने में बहुत तेज है।
  • यह व्यक्ति विश्वसनीय नहीं है।

पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद

पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं -:

  1. उत्तमपुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग बोलने वाला खुद के लिए करता है। इसके अंतर्गत मैं, मेरा, मेरे, मेरी, मुझे, मुझको, हम, हमें, हमको, हमारा, हमारे, हमारी  आदि आते हैं। जैसे – मैं फुटबॉल खेलता हूँ। हम दो, हमारे दो।
  2. मध्यम पुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत तू, तुझे, तुझको, तेरा, तेरे, तेरी, तुम, तुम्हे, तुमको, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, आप आदि आते हैं। जैसे – तुम बहुत अच्छे हो।
  3. अन्य पुरुष : जिन शब्दों का प्रयोग किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में बात करने के लिए होता है। इसके अंतर्गत यहवहयेवे आदि आते हैं। इनमें व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण भी शामिल हैं।

(पुरुषवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – पुरुषवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण)

2. निजवाचक सर्वनाम

जिन शब्दों का प्रयोग वक्ता किसी चीज़ को अपने साथ दर्शाने या अपनी बताने के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

निजवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे-:

  • मैं अपने कपडे स्वयं धो लूँगा।
  • मैं वहां अपने आप चला जाऊंगा।
  • मैं सुबह जल्दी उठता हूँ।
  • अपने देश की सेवा करना ही मेरा लक्षय है।
  • वहां जो गाडी खड़ी है वह मेरी है।

ऊपर दिए वाक्यों में वक्ता ने खुद के लिए स्वयं और अपने आप का प्रयोग  कामों को खुद से जोड़ने के लिए किया।

जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग श्रोता के लिए हो वहाँ यह आदर-सूचक मध्यम पुरुष होता है और जहाँ ‘आप’ शब्द का प्रयोग अपने लिए हो वहाँ निजवाचक होता है।

(निजवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निजवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

3. निश्चयवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की निश्चितता का बोध हो वे शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे -: यह, वह आदि।

  • यह कार मेरी है।
  • वह मोटरबाइक तुम्हारी है।
  • ये पुस्तकें मेरी हैं।
  • वे मिठाइयाँ  हैं।
  • यह एक गाय है।
  • वह एक बार फिर प्रथम आया।

ऊपर दिए वाक्यों में यहवहयेवे आदि का इस्तेमाल वस्तु, व्यक्ति आदि की निश्चितता का बोध कराने के लिए किया गया है अतः ये निश्चयवाचक सर्वनाम कहलायेंगे।

(निश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – निश्चयवाचक सर्वनाम – भेद, उदाहरण)

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों से वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि की निश्चितता का बोध नही होता वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

अनिश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे-: कुछ, कोई आदि।

  • मुझे कुछ खाना है।
  • मेरे खाने में कुछ गिर गया।
  • मुझे बाज़ार से कुछ लाना है।
  • कोई आ रहा है।
  • मुझे कोई नज़र आ रहा है।
  • तुमसे कोई बात करना चाहता है।
  • किसी ने तुम्हारे लिए ये भेजा है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में वक्ता सिर्फ अंदाजा लगा रहा है लेकिन हमे कस्तू या व्यक्ति की निश्चितता का बोध नहीं हो रहा है।  अतः कुछ, कोई आदि शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं।

(अनिश्चयवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – अनिश्चयवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम

जिन शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु, व्यक्ति आदि के बारे में कोई सवाल पूछने या उसके बारे में जान्ने के लिए किया जाता है उन शब्दों को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।

प्रश्नवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे- कौनक्याकबकहाँ आदि।

  • देखो तो कौन आया है?
  • आपने क्या खाया है?
  • मैं जानना चाहत हूँ की तुम कौन हो।
  • तुम बाज़ार से क्या लाये हो ?
  • वर्तमान में तुम क्या करते हो ?
  • आप क्या करना बेहद पसंद करते हैं।

ऊपर दिए वाक्यों में ‘कौन‘ तथा ‘क्या‘ शब्दों का प्रयोग करके किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है। अतः ये प्रश्नवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आएंगे।

(प्रश्नवाचक सर्वनाम के बारे में गहराई से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें – प्रश्नवाचक सर्वनाम – परिभाषा, उदाहरण)

6. सम्बन्धवाचक सर्वनाम

जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए वे शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

सम्बन्धवाचक सर्वनाम के उदाहरण:

जैसे :- जो-सोजैसा-वैसा आदि।

  • जैसी करनी वैसी भरनी।
  • जो सोवेगा सो खोवेगा जो जागेगा सो पावेगा।
  • जैसा बोओगे वैसा काटोगे।

ऊपर दिए वाक्यों में ‘जो-सो’ व ‘जैसे-वैसे’ शब्दों का प्रयोग करके किसी वस्तु या व्यक्ति में सम्बन्ध बताया जा रहा है। अतःये शब्द सम्बन्धवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आते हैं।


वीडियो पर क्लिक कर समझें

1.

क्रिया
किसी कार्य का करना या होना क्रिया कहलाती है ,और क्रियाओं के मूल रूप को धातु कहा जाता है। जिसे हम वीडियो के माध्यम से समझ सकते हैं।

क्रिया के भेद

  कर्म के आधार पर क्रिया दो प्रकार की होती है।
 1.सकर्मक क्रिया
 2.अकर्मक क्रिया 
जिस क्रिया में कार्य का प्रभाव करता पर पड़े ऐसी क्रिया अकर्मक क्रिया होती है। तथा जिस क्रिया में कार्य का प्रभाव करता को छोड़कर किसी दूसरी वस्तु पर पड़े वह,सकर्मक क्रिया होती है ।
अर्थात जहां कर्म होता है सकर्मक क्रिया। जहां कर्म नहीं होता है अकर्मक क्रिया।
उदाहरण के लिए 
रमेश पुस्तक पढ़ता है। 
राहुल कहानी लिखता है।
 रवि पतंग उड़ा रहा है।
 इन वाक्य में पुस्तक, कहानी, पतंग ,कर्म है। यहां क्रिया सकर्मक है।
जबकि इन्हीं बातों को यदि इस तरह लिखा जाए ,
रमेश पढता है 
राहुल लिखता है 
रवि उड़ा रहा है ।
तो यहां कर्म के अभाव में क्रिया अकर्मक हो जाएगी।
एक कर्मक और द्विकर्मक में अंतर
जिन क्रियाओं के साथ एक कर्महोता है एककर्मक कहलाती हैं जबकि जिन क्रियाओं के साथ दो कर्म होते          हैं,द्विकर्मक कहलाती हैं ।                 
उदाहरण के लिए -
मीना कपड़े सिल रही है 
यह एक कर्म क्रिया है 
मीना नौकरानी से कपड़े सिलवा रही है ।इसमें नौकरानी और कपड़े दो कर्म है अर्थात यहां द्विकर्मकक्रिया है।
  
संयुक्त क्रिया

 दो क्रियाएं जब आपस में जुड़ी होती हैं ,ऐसी क्रियाएं संयुक्त क्रिया कहलाती हैं ।
जैसे वह पढ़कर ही सोता है। यहां पर पढ़ और कर दो क्रियाएं आपस में जुड़ी हुई हैं, यह संयुक्त क्रिया है। क्योंकि पढ़ना अलग किया है और करना अलग  ।
 
विशेषण 
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं ।जैसे गाय का दूध बहुत मीठा है यहां दूध की विशेषता है मीठा होना बताया मीठा शब्द विशेषण है। 
अन्य उदाहरण
काला ,पीला, चतुर, आलसी ,मीठा, तीखा ,उदास, हंसमुख, विशेषण के प्रकार का विवरण हम  वीडियो के माध्यम से समझने का प्रयास करें।

विशेषण के प्रकार
विशेषण के प्रकार आने वाली वीडियो के माध्यम से भी समझेंगे और लिखित उदाहरणों के माध्यम से भी समझ सकते हैं।
चार प्रकार के विशेषण होते हैं
1.गुणवाचक विशेषण
2. परिमाणवाचक विशेषण
 3.संख्यावाचक विशेषण 
4.सार्वनामिक विशेषण


1.गुणवाचक विशेषण
1.जो विशेषण विशेष्य के गुण दोष स्थान अवस्था दशा आकृति समय , बताते हैं, गुणवाचक विशेषण  कहलाते हैं ।
जैसे -अच्छा ,बुरा ,कड़वा ,मीठा, खारा ,बूढ़ा ,जवान, पुराना ,छोटा ,नया, मोटा ,आलसी, पतला, पूर्वी, पश्चिमी ,पर्वतीय विदेशी ,पंजाबी ,प्रातः काल ,साप्ताहिक ,मासिक, त्रैमासिक ,आदि।


2परिमाणवाचक विशेषण
.जिन विशेष्यों  से किसी वस्तु की नापऔर मात्रा का पता चलता है, परिमाणवाचक विशेषण होते हैं।
** यह दो प्रकार के होते हैं-
1 .निश्चित परिमाण वाचक 
2.अनिश्चित परिमाणवाचक।
******जब किसी वस्तु की निश्चित मात्रा पता चले ऐसे 2 किलो चीनी ,3लीटर दूध   ,2मीटर कपड़ाआदि।

 ***जब किसी वस्तु की निश्चित मात्रा पता ना चले जैसे कुछ चावल, थोड़ा सा दूध ,तनिक चीनी ,तो यहां थोड़ा कुछ तनिक ,जैसे शब्द अनिश्चित मात्रा का बोध करा रहे हैं। अतः यह अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण है।


 3.संख्यावाचक विशेषण 
जिन विशेषण शब्दों से किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या क्रम का बोध होता है। वे संख्यावाचक विशेषण होते हैं। 
यह दो प्रकार के होते हैं 
1निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
 जब किसी संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध हो रहा हो तो निश्चित संख्यावाची और जब संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या पता ना चले तो वहां अनिश्चित संख्यावाची विशेषण होता है।
जैसे- निश्चित संख्यावाची में चौथी पांचवी दसवीं दो चार, आदि। निश्चित संख्यावाची में- कुछ, थोड़े, बहुत ,अधिक, अनेक,

4.सार्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम शब्द संज्ञा ओं की विशेषता बताते हैं अथवा जिन विशेषण ओं का निर्माण सर्व नामों से होता है सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। 
जैसे -यह, वह ,किस, कौन, मेरा ,कोई ,ममत्त्व, अपना, पराया ,तेरा, मेरा, निजत्व निजता, निजी, अपनत्व, अपना ,पराया,

प्रविशेषण
विशेषण शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं।

 जैसे ष-गाय का दूध बहुत मीठा है। मीठा विशेषण है जिसकी विशेषता बहुत शब्द बता रहा है अतः यहां पर बहुत शब्द प्रविशेषण है।



 क्रियाविशेषण
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं। 
जैसे मोहन धीरे धीरे लिखता है इस वाक्य में लिखने की क्रिया की विशेषता है धीरे-धीरे यहां रीतिवाचक क्रिया विशेषण है।

क्रिया विशेषण के प्रकार


1.. मोहन नियत समय पर स्कूल पहुंचता है।
2. लेट होने पर वह चुपचाप कक्षा में घुसता है।
3 मध्यान भोजन के समय वह कक्षा में ही बैठता है।
4. कक्षा की बाकी बच्चों से वह अधिक  परिश्रम करता है

उपरोक्त चारों बातों को ध्यान से देखें 
नियत समय- कालवाचक 
चुपचाप -रीतिवाचक
 कक्षा में ही- स्थान वाचक
 अधिक परिश्रम- परिमाणवाचक विशेषण है।
 जो क्रियाओं के साथ जुड़ कर क्रिया विशेषण बन गए हैं।


 अपठित गद्यांश

अपठित पद्यांश

 पत्र लेखन

                                   बाल महाभारत
 कथा नीचे लिंक पर जाकर आप बाल महाभारत कथा को देख सकते हैं । सुन सकते ,समझ सकते हैं। लिंक को टच करें ,कॉपी करके चलायें।

https://youtu.be/D-1qp9nqRKI


Comments

  1. Ma'am thank you so much. Mam very good videos.

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    Replies
    1. आपको भी धन्यवाद

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    2. Mam isma link ki jo I'd ha vo khul nahi rahi or other wise app pe bhi nahi khul rha

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    3. इसको पहले कापी करें फिर सर्च या गो या ओपन का आप्शन टिप करें

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  2. It helps me a lot in my exam period . Thanks mam .

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  3. Hii




    Mam





    I am hārsh kushwah ÇLÄSS 7E

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  4. Mam thank you very much for this thank youuuuu

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  5. There is no syllabus in this blog

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  6. Mam there is no syllabus in this blog

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