संदेश लेखन एवं अनुच्छेद लेखन

 प्रिय विद्यार्थियों सीबीएसई द्वारा 2020, 21 के पाठ्यक्रम में संदेश लेखन नाम का एक नया व्याकरण बिंदु शामिल किया गया है जो 5 अंक का है।


संदेश लेखन का अर्थ या परिभाषा-

किसी एक व्यक्ति या समूह के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति या समूह को भेजे जाने वाले संदेश जानकारी या विचार जो लिखित रूप में हो, उसे संदेश कहते हैं, यह संदेश सार्वजनिक भी हो सकते हैं और व्यक्तिगत भी ,और यही जानकारी ,यही बिंदु परीक्षा में संदेश लेखन के नाम से शामिल है।


                            संदेश लेखन के प्रारूप

संदेश लेखन के दो कारण है जो दर्शनीय हैं-






संदेश लेखन के प्रकार-

संदेश लेखन के निम्नलिखित प्रकार हैं-

1.शुभकामना संदेश -   किसी परीक्षा यात्रा प्रतियोगिता आदि के लिए                                   दिए जाने वाले संदेश, जन्म दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।



परीक्षार्थी की कापी जिसमें मिले उसे पूरे अंक

 


2.बधाई संदेश - पदोन्नति ,पुत्र प्राप्ति, नौकरी लगना, विवाह शादी के                           लिए जाने वाले संदेश ,जो बधाई स्वरूप दिए जाते हैं।




3.विभिन्न अवसरों पर दिए जाने वाले संदेश-  परिवार में जब किसी                  ‌‌‌‌‌                                             विशेष अवसर पर कोई                                                           आयोजन किया जाता है तब                                                         इस के संदेश दिए जाते हैं।

4 .पर्व और त्योहारों पर दिए जाने वाले संदेश -

किसी विशेष का पर्व और त्योहारों जैसे -होली, दीपावली, दशहरा ,स्वतंत्रता दिवस के, अवसर परजो शुभकामना संदेश दिए जाते हैं।जैसे- प्रधानमंत्री के द्वारा ,राष्ट्रपति के द्वारा ,विभिन्न हस्तियों के द्वारा या आपस में हम व्हाट्सएप पर जो संदेश देते हैं वह सब संदेश इस बिंदु के अंतर्गत आते हैं।



कभी-कभी व्यस्तता में भी हम अपने परिवार के किसी व्यक्ति के लिए कोई संदेश छोड़ते हैं जिसका उदाहरण देखें-



.5शोक संदेश- 

जब किसी परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो विभिन्न प्रकार के शोक संदेश भिजवाए जाते हैं 

जैसे -उठावनी का संदेश, शोक संतप्त परिवार को सांत्वना का संदेश ,निधन की जानकारी देने का संदेश ,किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा ऐसे अवसर पर संवेदना व्यक्त करना भी इसी संदेश के अंतर्गत आता है।


संदेश लेखन के समय ध्यान देने योग्य बिंदु



1.संदेश की शब्द सीमा सीमित होती है। यह अधिक विस्तृत नहीं होता 30 से 40 शब्दों में संदेश लिखा जाता है अर्थात दो से तीन लाइनों में संदेश पूर्ण हो जाता है।

2. संदेश की भाषा शालीनता पूर्ण होनी चाहिए। संदेश को फ्रेमिंग के अंदर लिखना चाहिए ।अर्थात उसे चारों तरफ से घेराबंदी कर के बीच में लिखना चाहिए।

3. कुछ संदेश ऐसे होते हैं जो पहले से ही दिए जाते हैं जैसे त्योहारों के पर्वों के संदेश। उन्हें अग्रिम संदेश कहा जाता है ।और कुछ संदेश ऐसे होते हैं जो तुरंत दिए जाते हैं इस प्रकार अग्रिम संदेशों पर साधारण फॉर्मेट होता है। तथा आवश्यक ,एवंक्ष तुरंत दिए जाने वाले संदेशों पर दिन दिनांक और समय भी हो सकता है । सरकार के संदेश किसी पद पर आसीन व्यक्ति सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों से संबंधित भी हो सकते हैं। वैसे समय-समय पर भारत सरकार के द्वारा कोरोना को लेकर अनेकों संदेश देश के नाम दिये गए।

4.इस प्रकार के दोनों ही प्रकार के फॉर्मेट संदेशों में प्रचलित हैं कुछ में दिन और दिनांक होता है और कुछ संदेश डायरेक्ट लिखे जाते हैं दिन और दिनांक नहीं होता केवल लिखने वाले व्यक्ति का अंत में नाम होता है।

5.एक बात का विशेष रूप से ध्यान रखना है यदि परीक्षा में किसी व्यक्ति का किसी व्यक्ति के लिए संदेश देने के लिए प्रश्न आता है जिसमें प्रश्न पत्र में नाम आता है तो विद्यार्थियों को संदेश लिखने के बाद वही नाम लिखना है जो प्रश्न पत्र में दिया गया है और यदि प्रश्न पत्र में नाम नहीं आता है आपको कोई अपने ही नाम से संदेश लिखना है तो परीक्षा में अपना नाम नहीं लिखते हैं संदेश लिखने वाले के अपने  नाम की जगह पर हम क ख ग लिखते हैं।


**उदाहरण और प्रयोग-

विभिन्न अवसरों से संबंधित कुछ संदेशों के उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं जिन्हें आप ध्यान से देखें पढ़ें और समझें।

विश्व महामारी कोरोनावायरस की स्थितियों को देखते हुए भारत में जो प्रथम लॉकडाउन लगाया गया था, उसके लिए मोदी जी ने लिखित रूप में देशवासियों को सार्वजनिक संदेश दिया था-

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   2020 सायं 7:00 बजे

प्रिय भारत वासियों।

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी पूरे हर्ष और उल्लास से नवरात्रि पर्व मनाए। लॉक डाउन का पालन करें घर में रहें सुरक्षित रहें। 

नरेंद्र मोदी

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एक अन्य उदाहरण*



त्योहार प्रभु से संबंधित संदेश सार्वजनिक संदेश होते हैं

त्योहार और  पर्व से संबंधित संदेश


उपरोक्त उदाहरण इंडिया टीवी संस्था द्वारा दिया गया संदेश है।

उपरोक्त उदाहरण अग्रिम शुभकामना संदेश है।

नीचे कुछ अन्य उदाहरण भी दे रही हूं जो अपने विद्यालय के उपाध्यक्ष जी द्वारा समय-समय पर दिए गए ।उनमें कुछ विशेष अवसरों के  हैं।



विदाई समारोह के उपलक्ष में दिया गया प्रधानाचार्य जी का एक संदेश भी दर्शनीय है। जो शुभाशीष और शुभकामना संदेश है।

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अनुच्छेद लेखन

प्रिय विद्यार्थियों सत्र 2020 21 में निबंध लेखन के स्थान पर अनुच्छेद लेखन को आपके पाठ्यक्रम में समाहित किया गया है। जो 5 अंकों का है। 

अनुच्छेद लेखन एक अत्यंत महत्वपूर्ण कला है। जिसमें किसी महत्वपूर्ण विवरण से संबंधित जानकारी का सारगर्भित विवरण किया जाता है।किसी एक विचार संकल्पना कथ्य कहानी अथवा अन्य किसी विषय पर 10-12 पंक्तियों का कुछ लिखना ,कुछ कहा जाना ,कुछ विवरण देना ,अनुच्छेद लेखन कहलाता है।अनुच्छेद लेखन को ही अंग्रेजी में पैराग्राफ राइटिंग कहा जाता है। जिस प्रकार परीक्षाओं में निबंध लेखन आता था, उसी प्रकार अब निबंध लेखन की जगह संदेश लेखन और अनुच्छेद लेखन के विषय प्रश्न पत्र में आएंगे जो 5,-5 अंक के हैं। जिन्हें आप निपुणता से हल करेंगे।


अनुच्छेद लेखन के ध्यातव्य बिंदु

1.जिस विषय पर अनुच्छेद लिखना है ,उससे संबंधित बातों का ज्ञान होना चाहिए ।उसके लिए किसी भूमिका की आवश्यकता नहीं होती है ।

2.लिखे हुए संकेतों को निश्चित क्रम दिया जाना चाहिए।

3.अनुच्छेद में केवल महत्वपूर्ण बिंदु और बातें ही लिखी जानी चाहिए।

4.क्षेत्र की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। विषय को प्रस्तुत करने वाली स्पष्ट करने वाली होनी चाहिए।

5.वाक्य छोटे सारगर्भित अर्थ वान होने चाहिए।


6.वाक्यों में परस्पर संबंध और तारतम्यता होनी चाहिए।

7.विषय अच्छी तरह स्पष्ट किया जाना चाहिए। विषय को स्पष्ट करने के लिए हम उदाहरण दे ।सकते हैं ,।उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है।

8.अनुच्छेद रोचक होना चाहिए तथा उसमें विराम चिन्हों का उचित प्रयोग होना चाहिए।


कुछ अनुच्छेदों का विवरण निम्न प्रकार है उदाहरणों से हम समझ सकते हैं अनुच्छेद किस प्रकार लिखे जाते हैं।



                1.   विषय - आचरण सब बोलता है।

हमारा आचरण और हमारा व्यवहार ही हमारी परवरिश ,हमारी पारिवारिक पृष्ठभूमि ,हमारे परिवार के संस्कार, स्पष्ट कर देता हैं। संसार में मनुष्य प्रकृति और प्रवृत्ति दोनों ही लेकर पैदा होता है। जिन पर परिवार और समाज के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के वातावरण का प्रभाव पड़ता है । जिससे व्यक्ति के गुण और दुर्गुण दोनों को विकसित किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में एक कहानी ध्यान देने योग्य है ।एक व्यक्ति के पास दो तोते थे ।एक तोते का दाम ₹10 और दूसरे तोते का दाम ₹100 था। थे तो दोनों तोते ही ।समान रंग रूप और प्रजाति के परंतु उन दोनों के दामों में जो अंतर था ,वह उनकी परवरिश और उनके व्यवहार के कारण था। उनके आचरण के कारण था ।₹10 वाला तोता किसी अपराधी के घर पर पाला पोसा ,पला बढ़ा था। जो हर समय मारो ,काटो, छीनो, जब देखो तब गालियां ही बकता था ।जबकि ₹100 वाला तोता किसी संस्कारी घर में पला बढ़ा था। जो अपने मुंह से सभ्यता मयी भाषा ही निकलता था ।इस प्रकार तोते के आचरण से ही उनके दाम थे।समाज में भी व्यक्ति के आचरण से ही उसका सम्मान और उसका अपमान होता है। उसके शत्रु और उसके मित्र होते हैं ।उसके अच्छे या बुरे होने का प्रमाण उसका आचरण ही होता है। आचरण की भाषा सब कुछ बोलती है ।वाणी से बिना कहे ही सब कुछ पता चल जाता है।



                2.   विषय-शिक्षा का उद्देश्य मानव निर्माण


वह शिक्षा ही है, जो मानव को मानव कहलाने का अधिकारी बनाती है। ऐसी शिक्षा जो  मनुष्य में मानवीय गुण विकसित न कर सके, उसे मात्र मशीन बनाकर रख दे ,ऐसी शिक्षा किसी काम की नहीं है। क्योंकि शिक्षा का दायित्व और उद्देश्य होता है समाज कल्याण ।मानवीय मूल्यों का विकास। कोई मनुष्य मानव तभी है जब उसके अंदर मानवीय संवेदनाएं दया ,धर्म,  परोपकार , सदाचार आदि गुणों से युक्त हों।इन गुणों के अभाव में वह हाथ पैर मुंह शक्ल से देखने में तो मनुष्य है ,परंतु वास्तव में वह बिना सींग और पूछ वाला पशु है ।शिक्षा ही है, जो  व्यक्ति के विवेक को जागृत करती है ।उचित और अनुचित में अंतर बोध कराती है ।अतः शिक्षित होना सभ्य होना अधिक अंक लाने का प्रतीक नहीं ।ऐसी शिक्षा जो बालक को अधिक अंक लाने के लिए तो प्रेरित करें, परंतु उसके मानवीय गुणों का विकास ना करें ,वह कतई शिक्षा कहलाने योग्य नहीं है। और ना ऐसा छात्र कतई शिक्षित कहलाने योग्य है ।जो अंक तो बहुत अच्छे लाता है, परंतु अपने माता-पिता गुरुओं का सम्मान नहीं करता, उसका व्यवहार मानवीय गुणों के विपरीत है। उससे तो हजार गुना श्रेष्ठ, वह छात्र है, जो अपने माता पिता गुरुओं का सम्मान करता है ।कोई भी मानवीय विपरीत आचरण नहीं करता। चाहे वह कक्षा में कितने भी सामान्य अंक क्यों ना लाए। अर्थात एक आचरण हीन वेद पाठी ब्राह्मण से, केवल गायत्री मंत्र जानने वाला आचरण वान ब्राह्मण हजार गुना श्रेष्ठ है।


विशेष-

प्रिय विद्यार्थियों !

उपरोक्त दो उदाहरण मैंने अपने मन से दो विषयों पर बनाकर लिखे हैं आप भी विभिन्न विषयों पर अनुच्छेद लिख सकते हैं नीचे एक पुस्तक के दो उदाहरण दे रही हूं। जिन्हें आप देखकर समझ सकते हैं ,और पुस्तकों के माध्यम से  भी अधिकाधिक अभ्यास कर सकते हैं।

समय-समय पर और अनुच्छेद इसमें अपडेट किए जाते रहेंगे।









Comments

  1. Thanks mam for your guidance and explanations

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  2. Replies
    1. आकाश आपके जी मैन्स में चयन की खबर मन प्रसन्नता से भर गई।
      खूब बधाई और शुभकामनाएं , यशस्वी भव।

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  3. Sir aapne details information di hai, kya aap anuched lekhan acche se samjhaya hai, thank you

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