संस्कृत 6th वार्षिक विषय वस्तु पाठ्यक्रम
प्रथम पाठ अकारांत पुल्लिंग
जिन पुल्लिंग शब्दों के अंत में अ की ध्वनि निकलती है वह अकारांत पुल्लिंग कहलाते हैं।नीचे दी गई वीडियो को देखकर आसानी से पाठ को समझा जा सकता है।
अभ्यास कार्य प्रथम पाठ
स्त्री जाति का बोध कराने वाले ऐसे शब्द जिनके अंत आ ध्वनि से होता है ,अकारांत स्त्रीलिंग कहलाती है।
बकस्य प्रतिकार
संधि संधि का अर्थ
तृतीय पाठ -अकारांत नपुंसकलिंग
पाठ: विमान यानं
इस प्रश्न के उत्तर में आपको पूरी कविता गाकर पढ़नी है,
याद करनी है ,शब्दों का सही उच्चारण सीखना है ,कॉपी पर लिखनी है।
प्रश्न 5.-
पर्याय पदानि योजयत
उत्तर-
विमले- निर्मले
गगने -आकाशे
सूर्य : -दिवाकर :
चंद्र : -निशाकर:
अम्बुद : _जलद:
दो ध्वनियों को आपस में मिलाने से, जो ध्वनि में परिवर्तन उत्पन्न होता है ,उसे संधि कहते हैं।
संधि तीन प्रकार की होती हैं
स्वर संधि: ।
व्यंजन संधि।
विसर्ग: संधि।
कक्षा 6 के पाठ्यक्रम में स्वर संधि हैं।
स्वर संधियों के पांच प्रकार हैं ।
1. दीर्घ स्वर संधि
2.गुण स्वर संधि
3.यण स्वर संधि
4.वृद्धि स्वर संधि
5.अयादि स्वर संधि
जिन्हें हम बारी बारी से नीचे दी गई वीडियो के माध्यम से अच्छे से समझ सकते हैं।
हमारी वर्णमालावर्णों की व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
हमारी हिंदी वर्णमाला में 52 अक्षर हैं । वर्णमाला को दो भागों में बांटा गया है।
स्वर और व्यंजन।
1.स्वर-ऐसी अक्षर जो स्वतंत्र होते हैं जिनक उच्चारण में किसी दूसरे अक्षर की सहायता नहीं लेनी पड़ती वे स्वर कहलाते हैं ।
हमारी वर्णमाला में 11 स्वर हैं। दो अयोगवाह वर्ण हैं।
हमारी वर्णमाला में स्वरों को दो भागों में बांटा गया है।
1.हृस्व स्वर(अ,इ,उ,ऋ,,)
2.दीर्घ स्वर(आ ई ऊ ए ऐ ओ औ)
3.प्लुत स्वर(ॐ)
*वे स्वर जिनके उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है ,वह हृस्व स्वर कहलाते हैं ,*
*तथा जिनके उच्चारण में 2 मात्रा का समय लगता है ,वह दीर्घ स्वर कहलाते हैं ।
*तथा जिन के उच्चारण में 3 मात्रा का समय लगता है वे प्लुप्त स्वर कहलाते हैं।
वर्ण माला विभाजन
स्वर
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए ,ऐ, ओ ,औ, (कुल संख्या 11)
अयोगवाह वर्ण
अं,अ:। (कुल संख्या दो)
व्यंजन
स्पर्श वर्ण
क वर्ग _क, ख ,ग ,घ ,ङ,
च वर्ग_च ,छ, ज ,झ ,ञ,
ट वर्ग_ट ,ठ ,ड ,ढ ,ण,
त वर्ग_ त,थ, द, ध ,न,
प वर्ग _प ,फ,ब,भ,म( स्पर्श वर्ण की संख्या (कुल 25)
अंतस्थ वर्ण _य.र.ल.व. (कुल संख्या 4)
ऊष्म वर्ण_श ष स ह (कुल संख्या 4)
संयुक्त अक्षर -क्ष, त्र, ज्ञ ,श्र, ढ़ ,ड़ (कुल संख्या 6)
क्ष=क्+ष् +अ
त्र=त्+र् +अ
ज्ञ=ज्+ञ्+अ
श्र=श्+र+अ
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।
संस्कृत में धातुओं के रूप पांच लकारों में चलती हैं जिनको नीचे दी गई वीडियो देखकर अच्छे से समझा जा सकता है। नीचे पांचों लकारों में पठ धातु की अलग-अलग वीडियो बनाई गई हैं जिन्हें देखकर सुनकर आप अच्छे से समझ सकते हैं।
कर्ता का क्रिया से संबंध बताने वाले शब्द कारक कहलाते हैं। संस्कृत में कारकों का विशेष महत्व होता है क्योंकि जितने भी संज्ञा और सर्वनाम के रूप होते हैं वे कारको और विभक्तियों के आधार पर ही चलते हैं।
कारक आठ प्रकार के होते हैं जिन का चिन्ह सहित विवरण निम्न प्रकार है।
कारक चिन्ह
कर्ता ने
कर्म को
करण से सहायता वाला
संप्रदान के लिए
अपादान से अलग होने के अर्थ में
संबंध का की के रा री रे
अधिकरण में पे पर
संबोधन हे!ओ! अरे! अवे!
कारकों को और अधिक अच्छे से समझने के लिए नीचे दी गई वीडियो देखें।
Mam some chapter are empty please send empty chapter
ReplyDeleteThank you mam I will done all work with blogger
ReplyDeleteShivam Kumar
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ReplyDeleteMam pls send me 4,5 chapter of sans krit
ReplyDeleteVery very thank you mam aap ka bahut bahut dhanyawad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteआपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deletevery very thanku mam i am narendra kumar gautam class 6A
ReplyDeleteशुभ आशीष
DeleteWell done 👍 mam this blog is very useful and knowledge gain for every students
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