"पदपरिचय "यह टॉपिक है, व्याकरण का बाप, तो जरा ध्यान से पढ़ें
पद परिचय का अर्थ-
पदों का व्याकरणिक दृष्टि से परिचय देना पद परिचय कहलाता है अर्थात पद का अर्थ होता है शब्द, शब्दों का परिचय देते समय यह स्पष्ट करना कि शब्द संज्ञा है सर्वनाम है या क्रिया या विशेषण है उसका वचन लिंग पुरुष काल आदि क्या है इन सब का परिचय देना पद परिचय कहलाता है।
जैसे-भारत की राजधानी दिल्ली है। इस वाक्य में यदि हम दिल्ली शब्द का परिचय दें तो दिल्ली व्यक्तिवाचक संज्ञा है स्त्रीलिंग है एकवचन है। राजधानी विशेषण है और विशेषण का विशेष्य भी है दिल्ली।
इस प्रकार शब्दों का परिचय देना पद परिचय कहलाता है
पद परिचय पढ़ते समय ध्यान रखने योग्य बिंदु-
पद परिचय विषय अपने आप में पूरी व्याकरण को समेटे हुए हैं देखने में तो यह शब्द छोटा लगता है परंतु पूरी व्याकरण के विषय बंधु इसमें समाहित रहते हैं अतः इसे पढ़ते और समझते समय हमें निम्नलिखित बिंदुओं का अध्ययन करना होता है या उन्हें ध्यान में रखना होता है जो हम विभिन्न कक्षाओं में पढ़ते चले आए हैं उनका विवरण इस प्रकार है।
पदों का व्याकरणिक दृष्टि से परिचय देना पद परिचय कहलाता है अर्थात पद का अर्थ होता है शब्द, शब्दों का परिचय देते समय यह स्पष्ट करना कि शब्द संज्ञा है सर्वनाम है या क्रिया या विशेषण है उसका वचन लिंग पुरुष काल आदि क्या है इन सब का परिचय देना पद परिचय कहलाता है।
जैसे-भारत की राजधानी दिल्ली है। इस वाक्य में यदि हम दिल्ली शब्द का परिचय दें तो दिल्ली व्यक्तिवाचक संज्ञा है स्त्रीलिंग है एकवचन है। राजधानी विशेषण है और विशेषण का विशेष्य भी है दिल्ली।
इस प्रकार शब्दों का परिचय देना पद परिचय कहलाता है
पद परिचय पढ़ते समय ध्यान रखने योग्य बिंदु-
पद परिचय विषय अपने आप में पूरी व्याकरण को समेटे हुए हैं देखने में तो यह शब्द छोटा लगता है परंतु पूरी व्याकरण के विषय बंधु इसमें समाहित रहते हैं अतः इसे पढ़ते और समझते समय हमें निम्नलिखित बिंदुओं का अध्ययन करना होता है या उन्हें ध्यान में रखना होता है जो हम विभिन्न कक्षाओं में पढ़ते चले आए हैं उनका विवरण इस प्रकार है।
जिन पदों का हमसे परिचय पूछा जा सकता है वह व्याकरण के बिंदु निम्न प्रकार हैं.
1.संज्ञा
2.सर्वनाम
3.क्रिया
4.क्रिया विशेषण
5.प्रविशेषण
6. निपात
7.अव्यय
8. वचन
9. पुरुष
10.लिंग
11.कारक और विभक्ति
संज्ञा और उसके प्रकार पहचान।
सर्वनाम और उसके भेद
क्रिया और उसके भेद
विशेषण एवं उसके भेद
प्रविशेषण
अव्यय या अविकारी शब्द
क्रिया विशेषण समुच्चयबोधक संबंधबोधक आदि
निपात
कारक, पुरुष, वचन काल।
आइए इन समस्त बिंदुओं का सूक्ष्म पुनः अवलोकन करें ।
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान ,भाव, अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं।
यह निम्नलिखित प्रकार की हैं-
संज्ञा और उसके प्रकार पहचान।
सर्वनाम और उसके भेद
क्रिया और उसके भेद
विशेषण एवं उसके भेद
प्रविशेषण
अव्यय या अविकारी शब्द
क्रिया विशेषण समुच्चयबोधक संबंधबोधक आदि
निपात
कारक, पुरुष, वचन काल।
आइए इन समस्त बिंदुओं का सूक्ष्म पुनः अवलोकन करें ।
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान ,भाव, अवस्था के नाम को संज्ञा कहते हैं।
यह निम्नलिखित प्रकार की हैं-
संज्ञा
व्यक्तिवाचक- जो व्यक्तिगत पहचान कराने वाली होती है जैसे,मथुरा काशी ,भारत, राम ,कृष्ण ,सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह आदि।
जाति वाचक- जिन संज्ञाओं से किसी जाति समुदाय समाज आदि का सामान्य बोध हो जातिवाचक संज्ञा कहलाती है। जैसे शहर, नगर गांव ,देश महापुरुष ,व्यक्ति ,छात्र ,आदमी ,नेता आदि।
भाववाचक संज्ञा- जिन संज्ञा से किसी की विशेषता गुण दोष
स्थिति आदि का पता चले भाववाचक संज्ञा होती हैं।
जैसे-चतुर, मूर्ख, आलसी, बुढ़ापा ,चमकीला ,आदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा-जिन संज्ञाओं से किसी पदार्थ का बोध हो वे द्रव्यवाचक संज्ञा होती हैं जैसे=लोहा ,कोयला, अनाज, दाल, चावल ,दूध दही, सोना चांदी ,आदि।
समूह या समुदाय वाचक संज्ञा-जिन सं से किसी समूह या समुदाय का बोध हो समूहवाचक संज्ञा कहलाती हैं जैसे भीड़ जनता सेना आर्मी फौज आदि।
पद परिचय में जब हम संज्ञा शब्दों का परिचय देते हैं तो वह निम्नलिखित प्रकार की होंगी उदाहरण के लिए मेरा भारत महान । यदि हमें भारत संज्ञा का परिचय देना है तो निम्न वत होगा।
भारत-व्यक्तिवाचक संज्ञा पुल्लिग एकवचन।
यदि हमें मेरा का परिचय देना है तो
मेरा_सर्वनाम ,पुरुषवाचक सर्वनाम ,प्रथम पुरुष ,एक वचन, पुल्लिंग।
सर्वनाम - संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- में हम तुम आप यह वह। सर्वनाम के प्रकार के होते हैं
1.*पुरुषवाचक सर्वनाम जैसे प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष अन्य पुरुष जिनमें मैं हम हमारे मेरे प्रथम पुरुष के सर्वनाम है जबकि तुम तो तुम्हारे तेरे मध्यम पुरुष के हैं और उन उस वह उन्हें वे उन्होंने उनके लिए यह सब अन्य पुरुष के हैं।
2*प्रश्नवाचक सर्वनाम- वे सर्वनाम जो प्रश्न करने का बोध कराएं प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे -क्या कौन किसका कितना कब क्यों कैसे आदि।
3.*निजवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जो जो स्वयं के लिए प्रयोग किए जाते हैं निज वाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे अपने आप चला जाएगा।
मैं खुद कार ड्राइव कर सकता हूं।
वह स्वयं कहता है कि वह बहुत मूर्ख है।
यह मेरा निजी मामला है।
अपना तो एक ही सिद्धांत है जियो और जीने दो।
अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग
उपरोक्त वाक्यों में स्वयं खुद अपने आप निजी अपनी अपना यह सब निजवाचक सर्वनाम है।
4.*निश्चयवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम से निश्चितता का बोध हो वे निश्चित वाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे- तू ,तुम ,आप ,मैं, हम, वह, यह।
*अनीश्चयवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिससे अनिश्चितता का बोध हो अनि श्चय वाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे -कोई ,कुछ ,थोड़ा ,किंचित।
*संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिनके साथ का ,की ,के, रा, री, रे ,जुड़ा रहता है या किसी के साथ संबंध का बोध कराते हैं वह संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे -जो ,जिसे ,जिसका, उसकी ,मेरा, मेरी, तुम्हारे, तुम्हारा आदि।
जो लड़की बाहर खड़ी है वह मेरी बहन है। इस वाक्य में जो और मेरी संबंधवाचक सर्वनाम है।
क्रिया
किसी काम का करना या होना क्रिया कहलाती है।
क्रिया दो प्रकार की होती हैं
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया।
सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं के साथ कर्म की अपेक्षा रहती है या कर्म रहता है सकर्मक क्रिया कहलाती हैं
*अनीश्चयवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिससे अनिश्चितता का बोध हो अनि श्चय वाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे -कोई ,कुछ ,थोड़ा ,किंचित।
*संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिनके साथ का ,की ,के, रा, री, रे ,जुड़ा रहता है या किसी के साथ संबंध का बोध कराते हैं वह संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे -जो ,जिसे ,जिसका, उसकी ,मेरा, मेरी, तुम्हारे, तुम्हारा आदि।
जो लड़की बाहर खड़ी है वह मेरी बहन है। इस वाक्य में जो और मेरी संबंधवाचक सर्वनाम है।
क्रिया
किसी काम का करना या होना क्रिया कहलाती है।
क्रिया दो प्रकार की होती हैं
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया।
सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं के साथ कर्म की अपेक्षा रहती है या कर्म रहता है सकर्मक क्रिया कहलाती हैं
जैसे -राम ने चाकू से सेब काटा ।इस वाक्य में राम ने चाकू से क्या काटा ।उत्तर आ रहा है" सेब ",तो यहां पर सेब क्रिया का कर्म है। अर्थात जिसका प्रभाव कर्ता पर न पडकर दूसरी किसी वस्तु या व्यक्ति पर पड़ता है वह उस क्रिया का कर्म होता है। एक उदाहरण से और स्पष्ट करते हैं- रमेश ने निबंध लिखा। यदि प्रश्न पूछा जाए कि रमेश ने क्या लिखा? तो उत्तर आएगा निबंध ।अर्थात निबंध यहां पर कर्म है तो लिखने की क्रिया यहां पर सकर्मक है।
अकर्मक क्रिया
जिस क्रिया का फल या प्रभाव केवल कर्ता पर ही पड़ता है या कर्ता में ही रहता है ।वह क्रिया अकर्मक क्रिया होती है ।
जैसे मैंने पढ़ा ।अब इस वाक्य में मैंने क्या पढ़ा? उत्तर नहीं आ रहा तो यहां क्रिया अकर्मक है क्योंकि इस वाक्य में कर्म गायब है।
द्विकर्मक क्रिया
ऐसी क्रियाएं जिनके दो कर्म होते हैं द्विकर्मक क्रिया कहलाती हैं जैसे मैंने कलम से निबंध लिखा इस वाक्य में किससे लिखा क्या लिखा दोनों का उत्तर आया कलम निबंध अर्थात इस वाक्य में दो कर्म है । लिखना तो यह द्विकर्मक क्रिया है और सकर्मक क्रिया है।
विशेषण
संज्ञा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जो निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
गुणवाचक विशेषण।
परिमाणवाचक विशेषण।
संख्यावाचक विशेषण।
सार्वनामिक विशेषण।
**संज्ञा के गुण या दोष बताने वाले विशेषण गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं ।
जैसे छोटा बच्चा गिर गया ।मैंने मीठे संतरे खाएं। इन दोनों वाक्यों में छोटा और मीठे गुणवाचक विशेषण है।
**परिमाणवाचक विशेषण
अकर्मक क्रिया
जिस क्रिया का फल या प्रभाव केवल कर्ता पर ही पड़ता है या कर्ता में ही रहता है ।वह क्रिया अकर्मक क्रिया होती है ।
जैसे मैंने पढ़ा ।अब इस वाक्य में मैंने क्या पढ़ा? उत्तर नहीं आ रहा तो यहां क्रिया अकर्मक है क्योंकि इस वाक्य में कर्म गायब है।
द्विकर्मक क्रिया
ऐसी क्रियाएं जिनके दो कर्म होते हैं द्विकर्मक क्रिया कहलाती हैं जैसे मैंने कलम से निबंध लिखा इस वाक्य में किससे लिखा क्या लिखा दोनों का उत्तर आया कलम निबंध अर्थात इस वाक्य में दो कर्म है । लिखना तो यह द्विकर्मक क्रिया है और सकर्मक क्रिया है।
विशेषण
संज्ञा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जो निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
गुणवाचक विशेषण।
परिमाणवाचक विशेषण।
संख्यावाचक विशेषण।
सार्वनामिक विशेषण।
**संज्ञा के गुण या दोष बताने वाले विशेषण गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं ।
जैसे छोटा बच्चा गिर गया ।मैंने मीठे संतरे खाएं। इन दोनों वाक्यों में छोटा और मीठे गुणवाचक विशेषण है।
**परिमाणवाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण किसी भी वस्तु की नाप और तोल का बोध कराते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं निश्चित परिमाण और अनिश्चित परिमाण। जब किसी की निश्चित मात्रा का बोध हो तो वहां निश्चित परिमाणवाचक विशेषण होता है, और जब किसी अनिश्चित मात्रा का बोध होता है तो वहां अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण होता है ।
जैसे -बाजार से 2 किलो चीनी लाओ ।
मेरे लिए 5 लीटर दूध लाओ।
यह निश्चित परिमाण वाचक है ।जबकि मुझे थोड़ी चीनी चाहिए ।उसे कुछ सामान खरीदना है। इसमें थोड़ी और कुछ अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण है।
**संख्यावाचक विशेषण
**संख्यावाचक विशेषण
जब किसी विशेषण से संख्या का बोध हो रहा हो ऐसे विशेषण शब्द संख्या वाची विशेषण शब्द होते हैं ।यह भी दो प्रकार के होते हैं ।
निश्चित संख्यावाचक
और अनिश्चित संख्यावाचक।
जब किसी निश्चित संख्या का बोध होता है, तो वहां निश्चित संख्यावाचक विशेषण होता है, जबकि अनिश्चित संख्या का बोध होने पर अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण होता है ।
जैसे कक्षा में 10 विद्यार्थी है ।उस तीसरे बच्चे को बुलाओ ।इन दोनों वाक्यों में 10 और तीसरा निश्चित संख्या है ,तथा कक्षा में कुछ विद्यार्थी बैठे हैं ।कमरे में काफी लोग बैठे हैं। इन दोनों वाक्यों में कुछ और काफी अनिश्चित संख्या का बोध कराते हैं। अतः यहां पर अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है।
जैसे कक्षा में 10 विद्यार्थी है ।उस तीसरे बच्चे को बुलाओ ।इन दोनों वाक्यों में 10 और तीसरा निश्चित संख्या है ,तथा कक्षा में कुछ विद्यार्थी बैठे हैं ।कमरे में काफी लोग बैठे हैं। इन दोनों वाक्यों में कुछ और काफी अनिश्चित संख्या का बोध कराते हैं। अतः यहां पर अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है।
निश्चित संख्यावाची विशेषण के पांच प्रकार हैं
गणना वाचक _एक ,दो ,तीन।
क्रम वाचक -पहला, दूसरा ,तीसरा।
आवृत्ति वाचक -दूना ,तिगुना ,चौगुना।
समुदाय वाचक- दोनों, तीनों ,चारों।
प्रत्येक बोधक -प्रत्येक ,हर एक ,एक- एक।
*"*
सर्वनामिक विशेषण
*"*
सर्वनामिक विशेषण
ऐसे विशेषण जो सर्वनाम शब्दों से निर्मित होते हैं वह सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं जैसे अपना से अपनत्व पर से पराया , मम से ममत्व ।
इसके अतिरिक्त कुछ विशेषण का निर्माण नामों से भी किया जाता है और कुछ विशेषण का निर्माण क्रियाओं से भी किया जाता है ।तो जिन विशेषण का निर्माण नामों से किया जाता है वे नामिक होते हैं। और जिन विशेषण का निर्माण क्रिया से किया जाता है वे क्रियार्थक होते हैं ।
जैसे -चलना से चलती 'खेलना से खेलते 'क्रिया विशेषण है जबकि कागज ,लकड़ी ,खोए ,यह नामिक विशेषण है।
विशेषण पदों का परिचय देते समय पद परिचय में हमें कुछ चीजें ध्यान रखनी चाहिए।
जैसे -विशेषण मुख्यतः संज्ञा शब्दों की पहले प्रयोग होते हैं
यथा बीमार बच्चा। लाल गुलाब ।अच्छा बच्चा। कुछ लोग ।यह संज्ञा पदों से पहले प्रयोग हो रहे हैं। कभी-कभी विशेषण ओं का प्रयोग पूरक के रूप में भी किया जाता है।
जैसे गुलाब लाल है ।साड़ी सुंदर है ।बच्चा बीमार है । लड़की ईमानदार है ।लकड़ी गीली है।
प्रविशेषण
ऐसे विशेषण शब्द जो विशेषण की विशेषता बताते हैं, प्रविशेषण कहलाती हैं ।
जैसे बहुत मीठा। भयानक काली रात। बहुत पुराना घर। एक छोटा लड़का ।कम मीठी चाय। हरी ताजा सब्जी ।इन में भयानक ,बहुत, एक ,कम ,हरी ,यह प्रविशेषण है जो विशेषण की विशेषता बता रहे है।
अव्यय
जिन शब्दों में कोई विकार उत्पन्न नहीं किया जा सकता हर एक काल पुरुष और वचन में और लिंग में जो शब्द समान रूप से प्रयोग होते हैं ऐसे शब्द अव्यय अविकारी शब्द कहलाते हैं।
जिनका विवरण निम्न प्रकार है
1.क्रिया विशेषण
2. संबंधबोधक
3. समुच्चयबोधक
4. विस्मयादिबोधक
5. निपात
1 क्रिया विशेषण
इसके अतिरिक्त कुछ विशेषण का निर्माण नामों से भी किया जाता है और कुछ विशेषण का निर्माण क्रियाओं से भी किया जाता है ।तो जिन विशेषण का निर्माण नामों से किया जाता है वे नामिक होते हैं। और जिन विशेषण का निर्माण क्रिया से किया जाता है वे क्रियार्थक होते हैं ।
जैसे -चलना से चलती 'खेलना से खेलते 'क्रिया विशेषण है जबकि कागज ,लकड़ी ,खोए ,यह नामिक विशेषण है।
विशेषण पदों का परिचय देते समय पद परिचय में हमें कुछ चीजें ध्यान रखनी चाहिए।
जैसे -विशेषण मुख्यतः संज्ञा शब्दों की पहले प्रयोग होते हैं
यथा बीमार बच्चा। लाल गुलाब ।अच्छा बच्चा। कुछ लोग ।यह संज्ञा पदों से पहले प्रयोग हो रहे हैं। कभी-कभी विशेषण ओं का प्रयोग पूरक के रूप में भी किया जाता है।
जैसे गुलाब लाल है ।साड़ी सुंदर है ।बच्चा बीमार है । लड़की ईमानदार है ।लकड़ी गीली है।
प्रविशेषण
ऐसे विशेषण शब्द जो विशेषण की विशेषता बताते हैं, प्रविशेषण कहलाती हैं ।
जैसे बहुत मीठा। भयानक काली रात। बहुत पुराना घर। एक छोटा लड़का ।कम मीठी चाय। हरी ताजा सब्जी ।इन में भयानक ,बहुत, एक ,कम ,हरी ,यह प्रविशेषण है जो विशेषण की विशेषता बता रहे है।
अव्यय
जिन शब्दों में कोई विकार उत्पन्न नहीं किया जा सकता हर एक काल पुरुष और वचन में और लिंग में जो शब्द समान रूप से प्रयोग होते हैं ऐसे शब्द अव्यय अविकारी शब्द कहलाते हैं।
जिनका विवरण निम्न प्रकार है
1.क्रिया विशेषण
2. संबंधबोधक
3. समुच्चयबोधक
4. विस्मयादिबोधक
5. निपात
1 क्रिया विशेषण
जिन शब्दों का प्रयोग क्रिया की विशेषता बताने के लिए किया जा किया जाता है, क्रियाविशेषण होते हैं ।क्रिया विशेषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
1.स्थान वाचक क्रिया विशेषण
जो क्रिया विशेषण शब्द स्थान का बोध कराते हो, स्थान वाची क्रिया विशेषण कहलाते हैं ।
जैसे -कहां, ऊपर ,नीचे ,आगे ,पीछे, यहां ,वहां, आसपास, इधर उधर चारों ओर,आदि ।
2.कालवाचक क्रिया विशेषण
ऐसी क्रिया विशेषण जो समय का बोध कराते हैं कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
जैसे
कब , सुबह ,शाम ,कल ,दिन में, रात को ,हर समय, आदि।
3. रीतिवाचक क्रिया विशेषण
ऐसी क्रिया विशेषण जो किसी कार्य के करने की स्थिति का बोध कराती हो रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
जैसे
जल्दी ,धीरे ,अचानक ,तेज ,अच्छी तरह से ,तेजी से ,भली प्रकार ,धीरे-धीरे ,दबे पांव ,खिसिया कर ,दुम दबाकर।
4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
क्रिया विशेषण शब्दों से किसी वस्तु की मात्रा का बोध होता हो कार्य की मात्रा का बोध होता है परिमाण वाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं
।
जैसे
थोड़ा, बहुत, ज्यादा ,जितना ,उतना।
2****संबंधबोधक पदों का पद परिचय
संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध स्थापित करने वाले शब्द संबंध होते हैं ।
जैसे
के साथ ,के सामने ,में, पर, के बारे ,से पहले, के अलावा ,
आदि।
3.****समुच्चयबोधक अव्यय के पद
2 पदों या 2 पद बंधुओं को या दो वाक्यों को आपस में जोड़ने या विरोध बताने या कारण परिणाम बताने का कार्य करने वाले अव्यय संबंध कहलाते हैं ।
जो दो प्रकार के हैं।
1.समानाधिकरण संबंधबोधक अव्यय
और
2. व्याधिकरण संबंधबोधक अव्यय।
**ये योजक शब्द जो दो समान अधिकार वाले अंशों को जोड़ते हैं जैसे अगर ,मगर ,
और ,या ,किंतु ,परंतु ,अथवा ,आदि।
व्यधीकरन प्राय मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य के मध्य प्रयुक्त किए जाते हैं ।
जैसे
यदि, तो, जैसे ,ही वैसे ही, इसलिए ,ताकि ,यद्यपि ,जिससे ,उससे,मनो तो,क्यों की, आदि।
वचन
1.स्थान वाचक क्रिया विशेषण
जो क्रिया विशेषण शब्द स्थान का बोध कराते हो, स्थान वाची क्रिया विशेषण कहलाते हैं ।
जैसे -कहां, ऊपर ,नीचे ,आगे ,पीछे, यहां ,वहां, आसपास, इधर उधर चारों ओर,आदि ।
2.कालवाचक क्रिया विशेषण
ऐसी क्रिया विशेषण जो समय का बोध कराते हैं कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
जैसे
कब , सुबह ,शाम ,कल ,दिन में, रात को ,हर समय, आदि।
3. रीतिवाचक क्रिया विशेषण
ऐसी क्रिया विशेषण जो किसी कार्य के करने की स्थिति का बोध कराती हो रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं।
जैसे
जल्दी ,धीरे ,अचानक ,तेज ,अच्छी तरह से ,तेजी से ,भली प्रकार ,धीरे-धीरे ,दबे पांव ,खिसिया कर ,दुम दबाकर।
4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
क्रिया विशेषण शब्दों से किसी वस्तु की मात्रा का बोध होता हो कार्य की मात्रा का बोध होता है परिमाण वाचक क्रिया विशेषण कहलाते हैं
।
जैसे
थोड़ा, बहुत, ज्यादा ,जितना ,उतना।
2****संबंधबोधक पदों का पद परिचय
संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध स्थापित करने वाले शब्द संबंध होते हैं ।
जैसे
के साथ ,के सामने ,में, पर, के बारे ,से पहले, के अलावा ,
आदि।
3.****समुच्चयबोधक अव्यय के पद
2 पदों या 2 पद बंधुओं को या दो वाक्यों को आपस में जोड़ने या विरोध बताने या कारण परिणाम बताने का कार्य करने वाले अव्यय संबंध कहलाते हैं ।
जो दो प्रकार के हैं।
1.समानाधिकरण संबंधबोधक अव्यय
और
2. व्याधिकरण संबंधबोधक अव्यय।
**ये योजक शब्द जो दो समान अधिकार वाले अंशों को जोड़ते हैं जैसे अगर ,मगर ,
और ,या ,किंतु ,परंतु ,अथवा ,आदि।
व्यधीकरन प्राय मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य के मध्य प्रयुक्त किए जाते हैं ।
जैसे
यदि, तो, जैसे ,ही वैसे ही, इसलिए ,ताकि ,यद्यपि ,जिससे ,उससे,मनो तो,क्यों की, आदि।
वचन
ऐसे शब्द जो किसी व्यक्ति वस्तु के एक या एक से अधिक होने का बोध कराते हैं वचन कहलाते हैं
जैसे
बालक- बालकों
लड़की- लड़कियां
कुर्सी -कुर्सियां
एक- अनेक
स्त्री -स्त्रियां
चिड़िया -चिड़ियां
वृक्ष -वृक्षों
पेंसिल -पेंसिलें
पुरुष
जिन शब्दों से अपने या किसी दूसरे या किसी तीसरे व्यक्ति के विषय में बात होने का ज्ञान हो बोध हो वह पुरुष कहलाते हैं।
हिंदी में पुरुष तीन प्रकार के होते हैं
प्रथम पुरुष-
वे शब्द जो हम हमारे मेरे मुझको आदि का बोध कराते हो वह प्रथम पुरुष के होते हैं।
मध्यम पुरुष-
-ऐसे शब्द जो मेरे या किसी अन्य के बीच के व्यक्ति का बोध कराते हो सामने वाले व्यक्ति का बोध कराते हो जैसे आप तुम तू तुम्हारे तेरे तुझको आधे यह मध्यम पुरुष के सर्वनाम होते हैं।
अन्यपुरुष-
ऐसे शब्द जो किसी अन्य व्यक्ति का बोध कराते हो अन्य पुरुष के अंतर्गत आते हैं जैसे विभिन्न संख्याएं तथा वह, वे, उस ,उस आदि।
लिंग
ऐसे शब्द जिनसे हमें किसी व्यक्ति या प्राणी के स्त्री या पुरुष के होनेेे का बोध हो वह लिंग हैं।
ऐसे शब्द जिनसे हमें किसी व्यक्ति या प्राणी के स्त्री या पुरुष के होनेेे का बोध हो वह लिंग हैं।
जैसे
गाय, मोर ,लड़का ,लड़की ,आदि।
हिंदी में लिग दो प्रकार के होते हैं
स्त्रीलिं और पुल्लिंग
आइए कुछ शब्दों के स्त्रीलिंग पुलिंग और पुल्लिंग स्त्रीलिंग बनाते हैं
विद्वान- विदुषी
ब्राह्मण- ब्राह्मणी
पंडित -पंडिताइन
ठाकुर -ठकुराइन
चूहा -चूहिया
सुनार- सुनारिन
लोहार -लोहारिन
जाट -जाटनी
माताा -पिता
भाई -बहन
ग्रंथ पुस्तक
जीव -आत्मा
अध्यापक -अध्यापिका
मास्टर -मास्ट्टरनी
बछड़ा -गाय
शेर -शेरनी
चिड़ियाा -चिरोटा
कारक-
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो उन्हें कारक कहते हैं।
यह आठ प्रकार के होते हैं जिनके अपने अपने चिन्ह होते हैं
जैसे
कारक नाम और चिन्ह
1. कर्ता ने
2. कर्म को
3. करण से
4.संप्रदान के लिए
5.अपादान से अलग होने के अर्थ में
6.संबंध का ,की ,के था ,री रे ,ना ,नी, ने ,
7.अधिकरण मैं ,पै, पर,
8.संबोधन । हे ,अरे, अबे,
आइए अब इनकेेे विषय में जाने ंं
१.कर्ता - किसी भी कार्य को करने वाला कर्ता कहलाता है ।
जैसे
राम ने खाना खाया।
राम साइकिल से बाजार जाता है ।
मोहन ने निबंध लिखा ।
गीता गीत गाती है।
उपरोक्त चारों वाक्यों में खाना खाने का काम राम कर रहा है ।
बाजार जाने का काम राम कर रहा है।
निबंध लिखने का काम मोहन कर रहा है।
गीत गाने का काम गीता कर रही है।
इस प्रकार इन वाक्यों में जिसके द्वारा जो काम किया जा रहा है वह काम करने वाले गीता, राम ,मोहन ,इन क्रियाओं के कर्ता हैं।
कभी-कभी वाक्यों में कर्ता के साथ में चिन्ह होता है ,और कभी-कभी नहीं होता। हमें क्रिया से काम करने वाले करता को पहचानना चाहिए।
२कर्म कारक -
-क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह कर्मकारक कहलाता है ।इसका चिन्ह को होता है।
जैसे
राम ने रावण को बाण से मारा।
उपरोक्त वाक्य में राम रावण को मारने का काम राम कर रहे हैं ।राम कर्ता है। क्रिया मारना है। और क्रिया का जो प्रभाव पड़ रहा है वह रावण पर पड़ रहा है ।अतः रावण यहां कर्म कारक है।
अन्य उदाहरण देखें
माता बालक को पिटती है।
परिचारिका कपड़ों को धोती है।
डॉक्टर बालक को दवाई देता है।
इन वाक्यों में बालक कपड़े और बालक कर्म कारक हैं।
कभी-कभी कर्म कारक के साथ को चिन्ह प्रकट नहीं होता।
छुपा रहता है, परंतु क्रिया का प्रभाव करता को छोड़कर जब किसी दूसरी वस्तु पर पड़ता है ,तो वह कर्म होता है ।इस प्रकार हम कर्म को पहचान सकते हैं ।
जैसे
राम ने गीत गाया ।
सीता ने झूला झूला।
मोहन ने निबंध लिखा।
इन वाक्यों में कर्म ढूंढने के लिए हम प्रश्न करें ।
राम ने क्या गाया ?उत्तर आया- गीत ।
सीता ने क्या झूला ?उत्तर आया -झूला।
मोहन ने क्या लिखा? उत्तर मिला -निबंध।
इस प्रकार प्रश्न करने पर हमें जो उत्तर मिल रहा है वह इस वाक्य में कर्म है।
३करण कारक--
जिन शब्दों से क्रिया के साधन का बोध हो। अर्थात जब मदद के लिए किसी चीज का उपयोग किया जाए ,और जहां पर "से "चिन्ह लगा हुआ हो या के द्वारा लगा हो, वहां करण कारक होता है ।
जैसे
बच्चा खिलौने से खेलता है।
श्याम पेन से लिखता है ।
राम ने रावण को बाण से मारा।
इन वाक्यों में बच्चे के खेलने का साधन खिलौना है
श्याम के लिखने का साधन पेन है
और राम के रावण को मारने का साधन बाण है।
इस प्रकार 3 शब्दों के साथ में से जुड़ा हुआ है, या इनके साथ के द्वारा जोड़ा जा सकता है। यह करण कारक के उदाहरण हैं। करण कारक का जो से होता है वह सहायता वाला से होता है।
४.संप्रदान कारक-
कर्ता जिसके लिए कार्य करता है ।उसे प्रकट करने वाला रूप संप्रदान कारक कहलाता है। इस कारक का चिन्ह "के लिए "या "को" होता है। जैसे
भोजन के लिए अनाज लाओ।
पीने के लिए दूध लाओ।
भिखारी के लिए दान दो।
बेटी के लिए वस्त्र पहनाओ।
हवा के लिए पौधे लगाओ ।
स्वच्छता के लिए झाड़ू लगाओ।
इन सब बातों में के लिए का प्रयोग किया गया है ।
इस प्रकार यहां संप्रदान कारक है।
५.अपादान कारक
संज्ञा के जिस रुप से एक वस्तु से दूसरी वस्तु को अलग होने का बोध कराया जाए, वहां अपादान कारक कहलाता है ।इसका चिन्ह से होता है।
जो अलग होने के अर्थ में होता है ।
जैसे
पेड़ से पत्ता गिरा ।
वृक्ष से फल गिरा।
छत से बंदर कूदा ।
गांव से बालक गया ।
देश से उसे निकाला ।
इन वाक्यों में एक संज्ञा से दूसरी संज्ञा या सर्वनाम पृथक हो रही है ।अतः यहां पर अपादान कारक है।
६. संबंध कारक-
संज्ञा के जिस रुप से किसी वस्तु या व्यक्ति का संबंध प्रकट किया जाए। वहां संबंध कारक होता है इसकी विभक्ति का,की, के, रा,री रे।, होती है ।
जैसे -
इसका, इसके, इसकी, उसका ,उसके ,उसकी राम का ,राम के ,राम की, मेरा ,मेरे मेरी ,तेरा ,तेरे तेरी ,आदि।
उदाहरण के लिए
वह व्याकरण की पुस्तक मेरी है।
यह पैन राम का है।
भारत हमारा देश है।
भारत की संतान है।
७.
अधिकरण कारक-
संज्ञा के जिस रुप से अररिया के आधार का बोध होता है, अधिकरण कारक होता है।
इस का चिन्ह में,पे,पर, है।
जैसे
मेज पर किताब है ।
किताब में कविता है ।
कविता में जानकारी है।
मेरी जेब में 10 ₹ .हैं।
उस पर केवल 1 ₹ है।
जिन शब्दों से किसी को बुलाने या सचेत करने का भाव प्रकट हो। वह संबोधन कारक कहलाता है। इसकी विभक्ति है- हे ,अरे ,अबे ,ओ ,
जैसे-
अरे! गोपाल तुम कहां गए ।
हे! प्रभु मेरी मदद करो
। ओ! लड़के इधर आओ।
अबे! बच्चे सुनता नहीं है।
It is very helpful thanku sir
ReplyDeleteDhnyvad ji
DeleteI like it very much mam
ReplyDeleteThis is helpful for us
Mam ye kiya hai
DeleteThanks mam for this
ReplyDeleteThanks mam for this
ReplyDeleteThanks mam for this
ReplyDeleteThanks mam
ReplyDeleteथैंक्स टू यू
ReplyDeleteThanks mam
ReplyDeleteMam this is very usefull but at some places typing mistake also exists which get difficulty in study.
ReplyDeleteप्रयास करती हूं वर्तनी सुधार की ,पहले पढ़ना पड़ेगा।
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