तज़िए ताहि कोटि बैरी सम
जीवन में बहुत सी बातें, स्मृति और संतों के वचन ,जीवन का सबक बन जाते हैं। सतसाहित्य पढ़कर बड़ी हुई हूं ंऔर उन मूल्यों में ढली हुई हूं। जाके प्रिय न राम वैदेही, तजिए ताहि कोटि बैरी सम, यद्यपि परम सनेही । तुलसी बाबा ने ये हिदायत इसलिए दी ताकि सरल इंसान सरलता से शांति के साथ जी पाएं। जो इस मत से सहमत नहीं वे एक बार आस्तीन में सांप पालकर देखें, अर्थ समझ में आ जाएगा। विश्वास करें ,अंध विश्वास से दूर रहें! विश्वासघात वहीं होता है जहां अंध विश्वास हो।" दुर्जन से दूरी भली "रहीम भी कहते हैं - काटे चाटे स्वान के दुहूं भांति विपरीत।" भाई कुत्ता काटे या प्यार से चाटे ,रैबीज तो लगेगा ही । जब ये बात पता चल जाए तो बुद्धिमान लोग कुत्तों को टुकड़ा तो डालते हैं पर अपनी पवित्र चौखट के बाहर, चौखट के भीतर नहीं प्रवेश मिलता। सामान्य सामाजिक जीवन में भी यही व्यवहार लागू होता है। नीच, लीचड़, और कीचड़ ,से दूरी बनाने का व्यवहार। आध्यात्मिक सकारात्मक नियम कहता है कि सद जनों के हृदय से दिए गये आशीर्वाद बहुत प्रभावी होते हैं। सद जनों को हृदय में रखिए।शुभ कार्यों ...