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तज़िए ताहि कोटि बैरी सम

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  जीवन में बहुत सी बातें, स्मृति और संतों के वचन ,जीवन का सबक बन जाते हैं। सतसाहित्य पढ़कर बड़ी हुई हूं ंऔर उन मूल्यों में ढली हुई हूं। जाके प्रिय न राम वैदेही,  तजिए ताहि कोटि बैरी सम, यद्यपि परम सनेही । तुलसी बाबा ने ये हिदायत इसलिए दी ताकि सरल इंसान सरलता से शांति के साथ जी पाएं। जो इस मत से सहमत नहीं वे एक बार आस्तीन में सांप पालकर देखें, अर्थ समझ में आ जाएगा। विश्वास करें ,अंध विश्वास से दूर रहें! विश्वासघात वहीं होता है जहां अंध विश्वास हो।" दुर्जन से दूरी भली "रहीम भी कहते हैं - काटे चाटे स्वान के दुहूं भांति विपरीत।" भाई कुत्ता काटे या प्यार से चाटे ,रैबीज तो लगेगा ही । जब ये बात पता चल जाए तो बुद्धिमान लोग कुत्तों को टुकड़ा तो डालते हैं पर अपनी  पवित्र चौखट  के बाहर, चौखट के भीतर नहीं प्रवेश मिलता। सामान्य सामाजिक जीवन में भी यही व्यवहार लागू होता है। नीच, लीचड़, और कीचड़ ,से दूरी बनाने का व्यवहार। आध्यात्मिक सकारात्मक नियम कहता है कि  सद जनों के हृदय  से दिए गये आशीर्वाद  बहुत प्रभावी  होते हैं। सद जनों को हृदय में रखिए।शुभ कार्यों ...

हिंदी प्रश्न पत्र 11

-पूर्णांक -80  समय 3 घंटे  हिंदी केंद्रिक  कक्षा 11 वार्षिक प्रश्न पत्र खंड "क" इस प्रश्न पत्र में तीन खंड हैं सभी खंडो के निर्देश अनुसार  सुस्पष्ट लेख में उत्तर लिखिए। निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए  प्रश्न 1*. लोकतंत्र के तीनों पायों-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अपना-अपना महत्त्व है, किंतु जब प्रथम दो अपने मार्ग या उद्देश्य के प्रति शिथिल होती हैं या संविधान के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करती हैं, तो न्यायपालिका का विशेष महत्त्व हो जाता है। न्यायपालिका ही है जो हमें आईना दिखाती है, किंतु आईना तभी उपयोगी होता है, जब उसमें दिखाई देने वाले चेहरे की विद्रूपता को सुधारने का प्रयास हो। सर्वोच्च न्यायालय के अनेक जनहितकारी निर्णयों को कुछ लोगों ने न्यायपालिका की अतिसक्रियता माना, पर जनता को लगा कि न्यायालय सही है। राजनीतिक चश्मे से देखने पर भ्रम की स्थिति हो सकती है। प्रश्न यह है कि जब संविधान की सत्ता सर्वोपरि है, तो उसके अनुपालन में शिथिलता क्यों होती है। राजनीतिक-दलगत स्वार्थ या निजी हित आड़े आ जाता है और यही भ्रष्टाचार को जन्...

मेघ आए

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  https://www.facebook.com/share/v/1BEE74KMwR/?mibextid=oFDknk  वीडियो देखने के लिए क्लिक करें  NCERT  - मेघ आए क्षितिज भाग-1 ह प्रश्न अभ्यास  1. बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए। उत्तर बादलों के आने पर प्रकृति में भिन्न तरह के परिवर्तन आते हैं। बादलों के आने की सूचना बयार नाचते-गाते देती हुई चलती है। बादलों के आगमन की सुचना पाकर लोग अतिथि सत्कार के लिए घर के दरवाज़े तथा खिड़कियाँ खोल देते हैं। वृक्ष कभी गर्दन झुकाकर तो कभी उठाकर उनको देखने का प्रयत्न कर रहे हैं। आंधी आकर धूलो को उड़ाती है। प्रकृति के अन्य रुपों के साथ नदी ठिठक गई तथा घूँघट सरकाकर आँधी को देखने का प्रयास करती है। सबसे बड़ा सदस्य होने के कारण बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर आँधी का स्वागत करता है। तालाब पानी से भर जाते हैं। आकश में बिजली चमकती है और वर्षा के बून्द मिलान के आंसू बहाते हैं।  2. निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ? धूल, पेड़, नदी, लता, ताल उत्तर 1 धूल - स्त्री 2 पेड़- नगरवासी 3 नदी - स्त्री 4 लता - मेघ की प्रतिक्षा करती नायिका 5 ताल - सेवक(नाई...

ग्राम श्री (सुमित्रानंदन पंत

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 प्रश्न 1. कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ क्यों कहा है? उत्तर- कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि उसकी शोभा अनुराग है। खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है। उस पर सूरज की धूप चमक रही है। इस शोभा के कारण पूरी वसुधा प्रसन्न दिखाई देती है। इसके कारण गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों की फसलें उग आई हैं। तरह-तरह के फूलों पर रंगीन तितलियाँ मँडरा रही हैं। आम, बेर, आड़, अनार आदि मीठे फल पैदा होने लगे हैं। आलू, गोभी, बैंगन, मूली, पालक, धनिया, लौकी, सेम, टमाटर, मिर्च आदि खूब फल-फूल रहे हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती फैलने लगी है। पक्षी आनंद विहार कर रहे हैं। ये सब दृश्य मनमोहक बन पड़े हैं। इसलिए गाँव सचमुच जन-मन को हरता है। प्रश्न 2. कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है? उत्तर- कविता में सरदी के मौसम के सौंदर्य का वर्णन है। इसी समय गुलाबी धूप हरियाली से मिलकर हरियाली पर बिछी चाँदी की उजली जाली का अहसास कराती है और पौधों पर पड़ी ओस हवा से हिलकर उनमें हरारक्त होने का भान होता है। इसके अलावा खेत में सब्ज़ियाँ तैयार होने, पेड़ों पर तरह-तरह के फल आने, तालाब के किनारे रेत ...

राजस्थान की रजत की बूंदें

 प्रश्नोत्तर 1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है? उत्तर: बहुत ही छोटा सा कुआँ को राजस्थान में कुंई कहते हैं। कुंई वर्षा के जल बड़े विचित्र ढंग से समेटती है, तब भी जब वर्षा ही नहीं होती। कुआँ की तुलना में कुई का व्यास, घेरा बड़ा संकरा होता है। कुंई व्यास में भले ही छोटा होता है, परन्तु अगर गहराई की दृष्टि से देखा जाए तो यह समान्य कुआँ से कम नहीं हैं। 2. दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने को यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है, तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जाने और लिखें? 3. उत्तर: पानी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। पानी की समस्याइतनी बढ़ गई हैं कि आज पानी खरीदाना पड़ रहा हैं। इस पाठ के द्वारा पानी की समस्या से निपटने में काफी मदद मिलेगी। कुंई बनाकर हम पानी का संरक्षण कर सकते है।  आज देश के कई राज्यों में पानी की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के पानी का संरक्षण किया जा रहा हैं। 3. चेजारो के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया हैं। पाठ के आ...

साना साना हाथ जोड़

 साना-साना हाथ जोड़ि पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? उत्तर- झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका के मन में सम्मोहन जगा रहा था। इस सुंदरता ने उस पर ऐसा जादू-सा कर दिया था कि उसे सब कुछ ठहरा हुआ-सा और अर्थहीन-सा लग रहा था। उसके भीतर-बाहर जैसे एक शून्य-सा व्याप्त हो गया था। प्रश्न 2. गंतोक को ‘मेहनकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया? उत्तर- गंतोक एक ऐसा पर्वतीय स्थल है जिसे वहाँ के मेहनतकश लोगों ने अपनी मेहनत से सुरम्य बना दिया है। वहाँ सुबह, शाम, रात सब कुछ सुंदर प्रतीत होता है। यहाँ के निवासी भरपूर परिश्रम करते हैं, इसीलिए गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है। प्रश्न 3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है? उत्तर- श्वेत पताकाएँ किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु पर फहराई जाती हैं। किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए नगर से बाहर किसी वीरान स्थान पर मंत्र लिखी एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं, जिन्हें उतारा नहीं जाता। वे धी...

किशोरावस्था में वासना का ज्वर

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 प्रिय छात्रों! सदा प्रसन्न रहो और सन्मार्ग पर बढ़ो। किसी शायर ने लिखा था शमा कहे परवाने से परे चला जा मेरी तरह जल जाएगा पास नहीं आ। सब को यही लगता है कि पतंगें को दीपक  से प्रकाश से प्यार है, पर हम जरा गौर से सोचें तो अगर उसे प्रकाश से प्यार है तो सूरज से भी होना चाहिए न आखिर दिन में कहां चले जाते हैं पतंगें? अर्थात उन्हें प्रकाश से नहीं तम ,अज्ञान से  अंधेरे  की चाह है।वह तम जो उन्हें विनाश की ओर ले जाता है।पता है ये पतंगा  की स्तिथि मनुष्य में कब दिखती है बच्चों?जब वह 12-13वर्ष की अवस्था पार करके किशोरावस्था में प्रवेश करता है।जो अवस्था अभी आप पर चल रही है।ये अवस्था तपस्या की अवस्था है पर कुछ ही तपस्वी टिक पाते हैं क्योंकि वे बल को विवेक पर हावी नहीं होने देते बस अपने लक्ष्य पर हर पल  अर्जुन की तरह दृष्टि गढाए रहते हैं वरना तो अधिकांश के विवेक पर बल हावी होने लगता है जो धीरे-धीरे बालकों को पशुता की ओर ले जाता। विवेक हीन बल तो पशु के पास ही होता है। कुछ का विवेक ,संगति,और परवरिश उसे पशु नहीं बनने देती। बड़े ही पुण्यात्मा और भाग्यशाली होते हैं वे बालक जिन्...